डाक्टरों के रजिस्ट्रेशन से लेकर एनओसी सर्टिफिकेट की फीस हुई महंगी
डाक्टरों के रजिस्ट्रेशन से लेकर एनओसी सर्टिफिकेट की फीस हुई महंगी
एमबीबीएस डिग्री मिलने के बाद डाक्टरों को छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बिना वे प्रदेश में प्रैक्टिस नहीं कर सकते। एमबीबीएस के बाद एमडी, एमएस पास होने के बाद पंजीयन की प्रक्रिया की जाती है। स्पेशलिटी डिग्री के बाद अगर कोई डाक्टर सुपर स्पेशलिटी डिग्री डीएम, एमसीएच की पढ़ाई करता है तो भी नया पंजीयन कराना होगा।
डाक्टरों के रजिस्ट्रेशन से लेकर एनओसी सर्टिफिकेट की फीस हुई महंगी
- एनओसी व दूसरे सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित शुल्क पर 18 फीसदी जीएसटी भी देना होगा
- एमबीबीएस के बाद एमडी, एमएस पास होने के बाद पंजीयन की प्रक्रिया की जाती है
- एमबीबीएस के बाद पंजीयन में ये स्पेशलिटी व सुपर स्पेशलिटी की डिग्री जुड़ जाती है
ग्वालियर. डाक्टरों को अब पंजीयन से लेकर एनओसी व दूसरे सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित शुल्क पर 18 फीसदी जीएसटी भी देना होगा। इससे पंजीयन व जरूरी सर्टिफिकेट समेत रिनुअल महंगा हो गया है। डायरेक्टर जनरल जीएसटी से पत्र आने के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने जीएसटी संबंधी आदेश जारी कर दिया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराने वाले डाक्टरों की संख्या एक हजार के करीब है।
एमबीबीएस डिग्री मिलने के बाद डाक्टरों को छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बिना वे प्रदेश में प्रैक्टिस नहीं कर सकते। एमबीबीएस के बाद एमडी, एमएस पास होने के बाद पंजीयन की प्रक्रिया की जाती है। स्पेशलिटी डिग्री के बाद अगर कोई डाक्टर सुपर स्पेशलिटी डिग्री डीएम, एमसीएच की पढ़ाई करता है तो भी नया पंजीयन कराना होगा।
- एमबीबीएस के बाद पंजीयन में ये स्पेशलिटी व सुपर स्पेशलिटी की डिग्री जुड़ जाती है। गौर करने वाली बात ये है कि डाक्टरों की वर्तमान फीस 26 फरवरी 2015 को लागू हुई थी। प्रदेश में जितने भी डाक्टर प्रेक्टिस कर रहे हैं, उनका काउंसिल में पंजीयन जरूरी है। हालांकि कई बार काउंसिल को शिकायतें मिली हैं कि कई डाक्टर दूसरे राज्यों में रजिस्ट्रेशन के अनुसार प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें निजी अस्पतालों व कालेजों में सेवाएं देने वाले डाक्टर ज्यादा है।
- ऐसे डाक्टरों के खिलाफ एक्ट के अनुसार कार्रवाई करने का नियम है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अब पीजी में एडमिशन के लिए काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। काउंसिल में केवल एलोपैथिक डाक्टरों का रजिस्ट्रेशन होता है। बीडीएस, आयुर्वेद, होमियोपैथी के लिए अलग काउंसिल है।