देश के अंदर हर 16 मिनट में 1 रेप के लिए कई फैक्टर्स जिम्मेदार ?

पोर्नोग्राफी, कॉमिक्स और इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स…

शनिवार सुबह जब पुलिस सीन रिक्रिएट करने ले जा रही थी, तभी वो हाथ में लगी हंथकड़ी के साथ ही तालाब में छलांग लगा दी. पुलिस की मानें तो काफी खोजबीन की गई, लेकिन करीब दो घंटे के बाद उसका शव बरामद किया गया. हालांकि गांव वालों ने कहा कि उस युवक की इस करतूत की वजह से पूरे गांव का नाम खराब हुआ है, उसके शव को गांव में दफनाने नहीं दिया जाएगा.

देश में महिलाओं के हालात पर अगर गौर करें तो हकीकत पता चलता है कि अच्छे हाल में नहीं हैं. 2024 के ग्लोबल इंडेक्स जेंडर गैप की रिपोर्ट पर ध्यान दें तो भारत 146 देशों की सूची में 129 नंबर पर है. आज भारत में 10 में से 9 महिलाओं का कहना है कि उनको उनके पति के अनुसार ही चलना पड़ता है. 

असम की घटना में भी राजनीति 

असम में छात्रा के साथ जो घटना हुई वो मानवता को शर्मसार करने वाला है, क्योंकि छात्रा कोचिंग कर के आ रही थी, तभी आरोपियों ने उसे अपना शिकार बनाया. भारत के हर कोने से ऐसी खबरें आ रही है. 2022 के एक आंकड़े के मुताबिक, हर 16 मिनट पर एक रेप की घटना को अंजाम दिया जा रहा है. ये डेटा एनसीआरबी की ओर से दिया गया है.

असम में चार महीने की घटना को देखे तो वहां भी काफी ऐसे मामले हुए हैं. असम की घटना पर पुलिस का कहना है कि जहां ये घटना हुई थी, वहीं पर सीन को री-क्रिएट करने के लिए ले गए थे, उस वक्त उसने भागने के लिए तालाब में छलांग लगा दी, बाद में उसकी मौत हो गई. मुख्यमंत्री ने इस घटना के बाद ट्वीट किया क्योंकि आरोपी मुसलमान जाति से आता था, बाकि अन्य घटनाओं पर सीएम ने एक भी ट्वीट नहीं की. असम में पिछले कुछ समय में काफी घटनाएं हुई हैं. 

मई महीने में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था. उसमें भी सीएम का कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी. क्राइम चाहें किसी जाति के लोगों की तरफ किया गया हो, वो अपराध ही होता है. लेकिन वहां के सीएम इस घटना में भी राजनीति कर गए. देखा जाए तो अपराधी किसी के नहीं होते हैं. सबसे अधिक तो क्राइम घर के अंदर होता है, चाहें वो किसी भी जाति के रहने वालें हो.

अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक जितने भी रेप की घटनाएं सामने आई है, उसमें पाया गया है कि पीड़िता के जान-पहचान के लोग ही घटना को अंजाम देते हैं. इसमें कोई रिश्तेदार या फिर जानने वाले हो सकते हैं. इसमें जाति और धर्म की तो बात ही नहीं आती है. 

इलेक्ट्रॅानिक गैजेट भी अब सबूत

कोलकता में इससे पहले भी एक निर्भया जैसा कांड हुआ था. उस वक्त पश्चिम बंगाल में नाबालिग से रेप के आरोपी धनंजय को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. वर्तमान में ऐसे मामले सामने आने के बाद कार्रवाई भी तत्काल में की जा रही है. जब से हम इलेक्ट्रानिक की दुनिया में आए हैं. तब से ये घटनाएं काफी बढ़ गई है. कोलकता के कांड में आरोपी संजय राॅय के फोन से काफी चीजें बरामद की गई है.

पोर्नोग्राफी का वो एडिक्ट के साथ वो शराबी था. उस दिन भी पोर्न देखा और शराब पी, इसके बाद महिला चिकित्सक के साथ घिनौना घटना को अंजाम दे दिया. हालांकि भारत के डिजिटल होने के बाद से आरोपी पकड़ में आ रहे हैं. मोबाईल और फोरेंसिक औऱ आनलाईन डाटा को रिकवरी किया गया है. अभी जो नया कानून आया है, उसमें भी इलेक्ट्रॅानिक सबूतों को काफी महत्ता दी गई है. तो ऐसे में अब आरोपी काफी तेजी पकड़े जा रहे हैं अगर वो ये सोच रहे हैं कि बच जाएंगे तो ये मुमकिन नहीं है. 

देश में बढ़ती जा रही रेप की घटनाए 

पहले समाज काफी मासूम था. समाज में सब की फिक्र और कद्र था. अब डिजिटल मीडिया ने गंदगी को काफी सामने लाकर रख दिया है. हालांकि भारत सरकार ने पोर्न के वेबसाइट पर रोक लगाया है, लेकिन जो इसका एडिक्टेड है, वो कहीं ना कहीं से जुगाड़ कर के देखता है. मोबाईल पर अब उस तरह के कंटेंट सामने आ जाते हैं, जो दिमाग को भटकाने की कोशिश करता है. बच्चों का जो गेम होता है, उसमें भी कई एलिमेंट्स होते हैं. बच्चों के लिए गेम अक्सर यूरोपीन देश बनाते हैं. 

गेम और कॅामिक्स में भी गंदगी देखी जा रही है. आजकल आपसी सहमति से भी कई चीजें हो रही है, इससे भी समाज पर गलत प्रभाव जाता है. पोर्नोग्राफी, कॉमिक्स और अन्य चीजें हैं, जिसकी वजह से भी ऐसी मानसिकता लोगों में बनते जा रही है.

कंटेंट और स्टोरी का भी असर पड़ता है. वन टच से ये सारी चीजें उपलब्ध हो जाती हैं. पहले समाज में प्रेमचंद और अन्य लेखकों के पुस्तक लोग पढ़ते थे, जिससे काफी चीजें सीखने वाली होती थीं. कई बाहर की कंटेट सामने आता है. मनोहर कहानियां बच्चों को नहीं दी जाती थी, जिसमें क्राइम स्टोरी होती थी, लेकिन आज किसी पर कोई रोक नहीं हैं. अब तो डकैती और मर्डर जैसी घटनाएं हो जाती है, और पकड़े जाने पर पता चलता है कि वो किसी मूवी से प्रेरित होकर घटना को अंजाम दिया है. बैंक और शाॅप में लूट की घटना को अंजाम आसानी से दे दिया जाता हैं. 

फास्ट ट्रैक कोर्ट से होनी चाहिए सजा

रेप की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे मामलों को देश में फास्ट ट्रैक कोर्ट में लेकर जाना होगा. गल्फ देशों में रेप की घटनाएं काफी कम है. ईरान जैसी जगहों पर रेप की घटनाएं सामने नहीं आती. इसकी खास वजह ये है कि अगर इस तरह की घटना होती है, तो फिर फास्ट ट्रैक कोर्ट से डेथ पेनालिटी दी जाती है. भारत में जो नया कानून बना है, उसमें डेथ पेनालिटी की सजा का प्रावधान किया गया है. नये कानून में उम्रकैद से लेकर मृत्यु दंड तक की सजा है, लेकिन फैसला सुनाने में काफी देरी हो जाती है. 

न्याय की प्रक्रिया में देरी होने के कारण काफी दिक्कत होती है.  ऐसी घटनाओं में फास्ट ट्रैक से चार महीने में मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाना चाहिए, जिससे कि जो आरोपी होगा उसको दंड मिलेगी, और जो बेकसूर होगा, वो जल्द ही बरी हो जाएगा. चार महीने में अगर फैसला होता है, तो ऐसे क्राइम को रोका जा सकता है और सरकार को इससे जुड़े और कड़े कानून बनाए जाने चाहिए. इसके साथ ही मोबाइल पर गंदे कंटेट ना आएं, इसके लिए मोनेटरिंग की व्यवस्था करना चहिए. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि  …न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *