निर्भया के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई आज, दोपहर 2 बजे का वक्त तय
नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी. जन्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ विनय शर्मा और मुकेश द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इस मामले में चार दोषी हैं जिनमें से दो ने ही याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में न होकर जजों के चेंबर में होगी, जो दोपहर पौने 2 बजे होगी.
जस्टिस भानुमति और जस्टिस भूषण की बेंच ने दोषी की पुनर्विचार याचिका 18 दिसंबर को ख़ारिज की थी, जिसके बाद पटियाला हाउस की ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वांरट जारी कर दिया था. यह वारंट निर्भया की मां की अर्ज़ी पर जारी हुआ था, अर्ज़ी में ट्रायल कोर्ट से मांग की गई थी कि दोषियों की कोई भी याचिका सुप्रीम कोर्ट में या राष्ट्रपति के पास लंबित नहीं है, इसलिए ट्रायल कोर्ट फांसी की सजा को तामील में लाने के लिए कार्रवाई करें.
क्या है मामला
16 दिसंबर, 2012 को एक 23 वर्षीय महिला के साथ बेहरमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया और दोषियों की ओर से पीड़िता को काफी अत्याचार भी झेलना पड़ा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. इसके बाद अपराध में शामिल सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर दुष्कर्म व हत्या का मामला दर्ज किया गया.
आरोपियों में से एक नाबालिग था, जोकि एक किशोर (जुवेनाइल) अदालत के सामने पेश किया गया. वहीं एक अन्य आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. बाकी बचे चार दोषियों को सितंबर 2013 में एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. इसके बाद मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा में कोई बदलाव नहीं किया और अदालत ने दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं
क्यूरेटिव याचिका में विनय शर्मा ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही के कारण उसका पूरा परिवार पीड़ित हुआ है. इसमें कहा गया कि “अकेले याचिकाकर्ता को दंडित नहीं किया जा रहा है, बल्कि आपराधिक कार्यवाही के कारण उसका पूरा परिवार अत्यंत पीड़ित हुआ है. परिवार की कोई गलती नहीं, फिर भी उसे सामाजिक प्रताड़ना और अपमान झेलना पड़ा है.”
वरिष्ठ अधिवक्ता अधिस सी. अग्रवाल और ए.पी. सिंह के जरिए दायर याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता के माता-पिता वृद्ध और अत्यंत गरीब हैं. इस मामले में उनका भारी संसाधन बर्बाद हो गया और अब उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा है.”