ये आवाज़ लाठी-गोली से कैसे दबेगी?
ये आवाज़ लाठी-गोली से कैसे दबेगी?
ममता आज छात्रों का प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही नबान्न भवन पहुंच गईं थीं और पुलिस को सख्त निर्देश था कि मुख्यमंत्री के कार्यालय तक एक भी प्रदर्शनकारी न पहुंच पाए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोलकाता में हुई डॉक्टर बेटी की रेप-हत्या की घटना पर पहली बार मुंह खोलते हुए कहा है कि वह “हताश और संत्रस्त हैं। अब बहुत हो गया।” ये ऐसा समय है जब सभी दलों को शांति बनाए रखने की ज़रूरत है, लेकिन कोलकाता में आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए धमकी दे दी कि अगर बंगाल में आग लगाई गई, तो दिल्ली, यूपी, बिहार, ओडिशा, नॉर्थ-ईस्ट सब जलेंगे। बंगाल में बीजेपी ने आज 12 घंटे बंद की कॉल दी थी, जिसके दौरान गोली चलने, बम फेंकने की घटनाएं हुई। लेकिन मंगलवार को कोलकाता में छात्रों के साथ जो हुआ, वो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। मुझे याद है कि जब पश्चिम बंगाल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार थी, तब ममता बनर्जी भी सड़क पर उतरकर इसी तरह सरकार का विरोध करती थीं, बंद की कॉल देती थीं, सचिवालय का घेराव करती थीं, प्रोटेस्ट मार्च निकालती थी। उस वक्त जब बंगाल की पुलिस सख्ती करती थी तो ममता लोकतंत्र की दुहाई देती थीं। लेकिन दुख की बात ये है कि आज वही ममता बनर्जी सचिवालय में बैठकर छात्रों पर हो रहे जुल्म को देखती रहीं।
जहां तक तृणमूल कांग्रेस के इस आरोप का सवाल है कि प्रदर्शनकारी बीजेपी के समर्थक थे, बीजेपी के इशारे पर नबान्न चलो की कॉल दी गई थी, तो छात्र समाज के कार्यकर्ताओं ने इस इल्जाम को गलत बताया है। हकीकत ये है कि बीजेपी को इस आंदोलन में घुसने का मौका तो कोलकाता पुलिस ने लाठीचार्ज करके दिया। जो प्रोटेस्ट छात्रों का था, वो राजनीतिक कैसे बन गया? कोलकाता में बीजेपी के नेता प्रोटेस्ट में क्यों कूदे? इसकी दो वजहें हैं। एक तो टीएमसी के कार्यकर्ता प्रोटेस्ट करने वाले छात्रों से टकराए, उन्हें रोकने की कोशिश की, इसकी राजनीतिक प्रतिक्रिया तो होनी ही थी। बीजेपी को मौका मिला। लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि पुलिस ने जिस बर्बरता से छात्रों की पिटाई की, लाठी चलाई, आंसू गैस चलाई, वॉटर कैनन चलाए, उसके बाद विरोधी दल की किसी भी पार्टी के लिए प्रोटेस्ट करने के अलावा विकल्प भी क्या था?
कोलकाता से आए कुछ जानकार लोग मुझे आज मिले थे। उन्होंने कहा कि कोलकाता में ममता बनर्जी के खिलाफ लोगों का ऐसा गुस्सा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। लोग ममता से बेहद नाराज हैं। नाराज़गी की सबसे बड़ी वजह लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश, आधी रात में सबूतों को मिटाने की कोशिश और फिर पुलिस कमिश्नर की दादागिरी। एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती गईं कि लोगों का गुस्सा बढ़ता गया और अब ये नाराजगी सड़कों पर दिखाई दी। इस प्रोटेस्ट को संयम के साथ कंट्रोल करने की बजाय कोलकाता पुलिस ने बर्बरता का रास्ता चुना जिससे लोगों में आक्रोश और बढ़ गया। आज भी इस बात के संकेत मिले कि ममता बनर्जी नरम होने को तैयार नहीं हैं। उनकी पार्टी के लोगों ने छात्रों के मार्च को फेल करार दिया।
इस तरह की बातों से न लोग शांत होंगे, न मामला सुलझेगा। ममता बनर्जी के लिए मुसीबत और बढ़ेगी। ये सही है कि ममता बनर्जी के दिमाग में बांग्लादेश में हुए स्टूडेंट प्रोटेस्ट का डर हो सकता है, इसीलिए पुलिस को सख्ती का आदेश दिया। लेकिन कोलकाता में जो मसला है वो इतना जज़्बाती है कि वो लाठियों और गोली से दबाया नहीं जा सकता।