हम अपना गुस्सा किसी और पर क्यों निकालते हैं !

 हम अपना गुस्सा किसी और पर क्यों निकालते हैं …
इन 5 कारणों से बढ़ता है चिड़चिड़ापन, गुस्सा कंट्रोल करने के 10 टिप्स

जिन्हें ये समस्याएं हैं, वे या तो इसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा समझकर नजरअंदाज कर देते हैं या फिर फैमिली जीन से मिला गिफ्ट समझकर उसके साथ समझौता कर लेते हैं।

इसका सही कारण यह है कि आपका अपने गुस्से पर काबू नहीं है और आप क्रोध की समस्या से गुजर रहे हैं। गुस्सा करने से न केवल आप अपने आपको नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि जिस पर आप गुस्सा निकालते हैं, यह उसके लिए भी मानसिक तौर पर अच्छा नहीं है।

कल्पना कीजिए कि आप अपने किसी बहुत करीबी व्यक्ति पर किसी छोटी सी बात को लेकर भड़क जाते हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि आप अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं और फिर उसके बाद पछताते भी हैं। इस गुस्से और चिड़चिड़ेपन को कैसे समझें और इससे कैसे निपटें।

चिड़चिड़ापन व्यक्ति के हेल्थ, रिश्तों और पेशेवर जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह साइकोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकता है। तो आज ‘रिलेशनशिप’ में बात करेंगे कि हमें गुस्सा क्यों आता है। साथ ही जानेंगे कि इस पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश 2010 की एक स्टडी के मुताबिक, बेकाबू गुस्सा आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। अगर यह बढ़ जाए तो शारीरिक हिंसा तक भी पहुंच सकता है, जिससे आपको और आपके आस-पास के लोगों को नुकसान हो सकता है।

गुस्से और चिड़चिड़ेपन का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव

बार-बार गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन तनाव के स्तर को बढ़ाता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मानसिक रूप से यह चिंता, अवसाद और शर्म की भावना पैदा कर सकता है, जो चिड़चिड़ेपन को और बढ़ा देता है। लोग अलगाव और अकेलेपन से भी पीड़ित होते हैं क्योंकि चिड़चिड़ापन उनके पारस्परिक संबंधों को प्रभावित करता है।

हमारी भावनाओं को मैनेज करने में मस्तिष्क की भूमिका

मस्तिष्क हमारी सभी भावनाओं, आवेगों और व्यवहार को नियंत्रित करता है। जिस तरह से हमारा मस्तिष्क भावनाओं को उत्पन्न करता है और उन्हें नियंत्रित करता है, वह बहुत मुश्किल काम है। मस्तिष्क के कुछ हिस्से हमारी भावनाओं और व्यवहार को मैनेज करने के लिए जरूरी होते हैं। फ्रंटल लोब (हमारे माथे के पीछे का हिस्से) एक नियंत्रण केंद्र की तरह काम करता है। ये अचानक पैदा होने वाली इच्छाओं को मैनेज करता है और हम जो महसूस करते हैं, उसके जवाब में हम कैसे रिएक्ट कर रहे हैं, यह भी फ्रंटल लोब पर ही निर्भर करता है।

फ्रंटल लोब हमें सही निर्णय लेने में मदद करता है। जैसे अगर हम गुस्से में हैं और किसी को मारने की इच्छा रखते हैं तो हमारा फ्रंटल लोब हमें बताता है- ‘नहीं ऐसा मत करो! तुम उसे चोट पहुंचा सकते हो।’

गुस्से को कैसे काबू करें?

गुस्सा आना हमारे बस में नहीं होता है, लेकिन गुस्से पर काबू करना हमारे बस है। इसे आप वक्त रहते कई तरीके अपनाकर कम कर सकते हैं। अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर आप गुस्से को कम कर सकते हैं।

साइंस डायरेक्ट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, योग और व्यायाम गुस्से को काबू करने में सबसे कारगर तरीका है। यह खासकर युवाओं को गुस्से और चिड़चिड़ेपन को कम करने में मदद कर सकता है।

जब गुस्सा काबू न हो तो मनोचिकित्सक की मदद लें

गुस्सा एक जरूरी इमोशन है, लेकिन ये कंट्रोल होना जरूरी है। यदि आपको लगता है कि आपका गुस्सा नियंत्रण से बाहर है या यह आपके जीवन या रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है तो मनोचिकित्सक से मदद लें।

एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल यह बता सकता है कि आपको गुस्सा क्यों आ रहा है, इसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं। इसके लिए आपको क्या करना होगा और आप कैसे इससे आसानी से उबर सकते हैं।

  • ऐसी स्थिति में रहने से बचें, जहां आपको गुस्सा आ सकता है। यदि संभव हो तो अपने आपको शांत करने के लिए दूर हट जाएं।
  • मांसपेशियों को आराम देने और गहरी सांस लेने का प्रयास करें।
  • जिस चीज से आपको गुस्सा आ रहा है, उससे अपना ध्यान हटाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, यदि संभव हो तो संगीत सुनें, किताब पढ़ें या कुछ देर के लिए बाहर टहलें।
  • जब गुस्सा ज्यादा बढ़ जाए और ये एंग्जाइटी या स्ट्रेस का रूप ले ले तो किसी को बताएं कि आप ऐसा महसूस कर रहे हैं। उन सभी भावनाओं को सुलझाने का प्रयास करें, जिनके कारण आप गुस्सा हुए थे।

डॉक्टर और मनोचिकित्सक मूड को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह देते हैं। ज्यादातर लोगों की खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है। इसलिए अपने आहार में पौष्टिक तत्व शामिल करें, व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो वॉक पर जाएं और पूरी नींद लें। जरूर ही आपको अपने अंदर कुछ बदलाव नजर आने लगेंगे।

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