देश और दुनिया में अब ‘स्मार्ट शहरों’ का समय आ गया है

देश और दुनिया में अब ‘स्मार्ट शहरों’ का समय आ गया है

साहसी और परिणाम-केंद्रित नेतृत्व ही विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ा सकता है। राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत संचालित की जाने वाली नई परियोजना इस लक्ष्य की ओर देश की यात्रा को गति देगी।

सतत विकास के लिए एक और प्रोत्साहन की आवश्यकता है- स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए बड़े पैमाने पर निवेश। सरकार यही करने का इरादा रखती है। उसकी योजना डिजिटल रूप से सम्पन्न, ‘प्लग-एंड-प्ले’ औद्योगिक और मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों में बड़े पैमाने पर निवेश की है।

आज प्रधानमंत्री मोदी को एक व्यावहारिक नीति-निर्माता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने जल्द ही यह महसूस कर लिया कि भारत जैसे विशाल देश को प्रगति की ओर ले जाने के लिए आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

इसी का उत्तर था मेगा-इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को शुरू करना- भविष्य के शहरों का निर्माण करना, विशाल समुद्री केंद्र स्थापित करना, देश भर में अत्याधुनिक सड़क और रेल कॉरिडोर बनाना और विश्वस्तरीय डिजिटल बुनियादी ढांचा स्थापित करना।

इस अति-महत्वाकांक्षी परियोजना की रोजगार-क्षमता बहुत अधिक है : इससे 10 लाख प्रत्यक्ष और 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इसमें 1.52 लाख करोड़ रुपए का निवेश भी होगा, जिसमें निवेशकों को आवंटन के लिए तैयार भूमि, पानी, बिजली, गैस, दूरसंचार, सड़क, रेल, हवाई अड्डे उपलब्ध होंगे। एकीकृत नगर-नियोजन और कर्मचारियों के लिए काम के समीप ही आवास की सुविधा के साथ पर्यावरण की चिंताओं का भी ध्यान रखा जाएगा।

चूंकि ये औद्योगिक स्मार्ट शहर आर्थिक चुम्बक के रूप में कार्य करेंगे, इसलिए वे प्रमुख महानगरों पर दबाव को भी कम करेंगे। इससे योजनाबद्ध शहरीकरण होगा। यह नया भारत है। यह ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है। महाराष्ट्र हमेशा से भारत की आर्थिक शक्ति रहा है। सतत विकास के दृष्टिकोण से भी यह सबसे अधिक लाभान्वित होगा और बुनियादी ढांचे व परिवहन में नए मानक स्थापित करेगा।

इस वर्ष की शुरुआत में, मुंबई ने भारत के सबसे लंबे समुद्री पुल- मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक को हरी झंडी दिखाई। कोस्टल रोड मुंबई एक अन्य मेगा-परियोजना है और वर्तमान में इसे चरणों में विकसित किया जा रहा है। महाराष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को बदलने के लिए तैयार अन्य परियोजनाएं दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर, नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल और मुंबई-पुणे हाइपरलूप हैं।

महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में दो बेहद महत्वाकांक्षी परियोजनाएं पहले ही चल रही हैं। एक है रायगढ़ जिले के नौ गांवों में फैला दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र परियोजना। यह दिघी बंदरगाह के विकास के साथ-साथ शुरू की जा रही है और इससे राज्य में उपभोक्ता-उपकरण, धातु, ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल और रसायन व्यवसाय जैसे उद्योगों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है।

दूसरी समुद्री परियोजना मुंबई से 130 किलोमीटर उत्तर में दहानू स्थित वधावन में भारत के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक का विकास है। वधावन मध्य-पूर्व के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ने वाली समुद्री और रेल संपर्क स्थापित करने की रणनीतिक पहल का हिस्सा है। अफ्रीका के पूर्वी तट और फारस की खाड़ी के देशों से कंटेनर यातायात की पूर्ति के लिए अरब सागर में एक केंद्र के रूप में बंदरगाह को विकसित करने की योजना है।

आज पूरी दुनिया में जीवन की गुणवत्ता में सुधार, शहरों को टिकाऊ बनाने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए स्मार्ट शहरों का विकास किया जा रहा है। चीन ने 2012 में स्मार्ट शहरों को प्राथमिकता बनाया और 2020 तक देश भर में 900 से अधिक पायलट-प्रोजेक्ट स्थापित किए।

इसने ग्वांगझोउ, शेनझेन और हांग्जो जैसे छोटे शहरों को वैश्विक मानचित्र पर ला दिया, क्योंकि वे शहरी-नियोजन और प्रबंधन के लिए अभिनव दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में स्मार्ट शहरों को अपनाने वाले पहले देश दक्षिण कोरिया में आज दुनिया का सबसे स्मार्ट शहर सोंगडो है, जो सियोल से बहुत दूर नहीं है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत का विकास-रथ हमें दिखा रहा है कि जब आप दृढ़ संकल्प को स्पष्ट दृष्टि और निर्णायक कार्रवाई से जोड़ते हैं तो क्या किया जा सकता है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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