नोएडा : मोहिंदर सिंह घोटालों की नींव पर बना ‘धनकुबेर’ ?
मोहिंदर सिंह घोटालों की नींव पर बना ‘धनकुबेर’ …
नोएडा में 2007 से 2012 तक रहे CEO; बिल्डर को कौड़ियों में बांट दी जमीन
ईडी ने शारदा एक्सपोर्ट कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित घर पर छापा मारकर 7 करोड़ रुपए के हीरे बरामद किए। बता दें मोहिंदर सिंह नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और चेयरमैन रह चुके हैं।
नोएडा में उनसे जुड़े कई मामलों की जांच शासन स्तर पर और एजेंसियां कर रही हैं। करीब पांच साल तक नोएडा और ग्रेटर-नोएडा प्राधिकरण कार्यरत रहे। सही मायने में देखें तो नोएडा प्राधिकरण को कंगाल बनाने में इनका सबसे बड़ा रोल रहा।
नोएडा प्राधिकरण में कार्यकाल
- 30 नवंबर 2007 से 14 दिसंबर 2010 तक नोएडा प्राधिकरण में सीईओ
- 1 जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 अध्यक्ष
- 1 नवंबर 2011 से 20 मार्च 2012 तक चेयरमैन और सीईओ दोनों का पद
30 नवंबर 2007 को नोएडा प्राधिकरण में बतौर सीईओ के पद पर मोहिंदर सिंह ने नियुक्त हुए। उस समय बसपा का शासन कॉल था। इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर बड़े स्तर पर बिल्डरों को लाभ पहुंचाया गया। शासनादेश के बगैर नोएडा प्राधिकरण ने अपनी वीटो का इस्तेमाल करते हुए महज 10 प्रतिशत लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। पहले 30 प्रतिशत पैसा लिया जाता था।
स्पोर्ट्स सिटी की विभिन्न परियोजना में पीएएसी की इसी आपत्ति का जवाब आज तक प्राधिकरण नहीं दे पाया। आखिर बिल्डर को ये लाभ किस शासनादेश के तहत दिया गया। पूरा सेक्टर-75 इसी आवंटन दर पर दिया गया। यही वजह है कि बिल्डरों छोटे-छोटे कंसोर्शियम बनाए और जमकर जमीन आवंटित कराई गई।
प्राधिकरण को बनाया कंगाल, अब भी नहीं आया 26 हजार करोड़ आज भी बिल्डर पर प्राधिकरण का करीब 26 हजार करोड़ रुपए बकाया है। नोएडा और ग्रेटरनोएडा में लाखों बायर्स की रजिस्ट्री नहीं हो सकी और न ही उनको सपनों का घर मिल सका। दरअसल, बिल्डरों ने जमीन ली और योजना लॉन्च की।
इसके बाद बुकिंग अमाउंट लेकर अन्य कंपनियों में पैसा डायवर्ट किया। इस रकम को वापस लेने के लिए राज्य सरकार अब अमिताभ कांत की सिफारिश लेकर आई। लेकिन अब तक बकाया पैसा वापस नहीं आ सका।
2000 करोड़ रुपए का फॉर्म हाउस घोटाला यमुना किनारे योजना लाकर सस्ते दामों पर फॉर्म हाउस आवंटित किए गए। प्राधिकरण ने दो 2008 और 2010 में ओपेन एंड स्कीम के तहत दो बार में फॉर्म हाउस योजना निकाली। दोनों बार में 305 आवेदन स्वीकार किए गए। इसमे से 157 आवंटियों को 18 लाख 37 हजार 340 वर्गमीटर भूखंड आवंटन किया गया।
सीएजी ने दिखाया कि 2008-09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से भूखंड आवंटित किए। जबकि उस समय प्रचलित दर 15 हजार 914 रुपए थी। इसी दर से 2009-10 में भी 43 भूखंडों का आवंटन किया गया।
उस दौरान प्रचलित दर 16 हजार 996 रुपए थी। 2010-11 में 83 भूखंडों का आवंटन 3500 रुपए के हिसाब से किया गया। जबकि दर 17 हजार 556 रुपए थी। ये घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था।
कॉर्पोरेट सेक्टर को संस्थागत श्रेणी में बेचा गया 11 अक्टूबर 2008 से लेकर 28 अगस्त 2012 के बीच भूखंड की योजना लाई। कॉर्पोरेट के उपयोग के 2023 भूखंड को संस्थागत श्रेणी में बेचा गया। इससे प्राधिकरण को 3031 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान हुआ। इसके अलावा नोएडा में बना राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल जिसे एमओयू के तहत महज 84 करोड़ में बनाया गया। इस मामले में हजार करोड़ रुपए के घोटाला किया गया। इसकी जांच अब भी जारी है।
सुपरटेक और आम्रपाली को दिया लाभ साल 2007 से लेकर 2010-11 तक आम्रपाली बिल्डर को गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई। इसके साथ सुपरटेक को टि्वन टावर के लिए गलत तरीके से एफएआर बेचा गया। उसे ग्रीन बेल्ट में निर्माण की अनुमति दी गई।
इसका फायदा उठाकर ही सुपरटेक ने सियान और एपेक्स नाम के दो गगनचुंबी इमारत बनाए। जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त 2022 को गिराया गया। इस मामले में विजिलेंस विभाग ने मोहिंदर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
सीएजी कर चुकी पुष्टि मोहिंदर सिंह बसपा नेताओं के बड़े करीबी माने जाते है। 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद सीएजी ने 2005 से 2015 तक प्राधिकरण में वित्तीय अनियमितता की जांच की। जिसमें सबसे ज्यादा वित्तीय घोटाले भी मोहिंदर सिंह के समय ही किए गए। फिलहाल इस पूरे मामले की जांच की जा रही है।
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कौन हैं पूर्व IAS मोहिंदर सिंह जिनकी आलीशान कोठी से मिले करोड़ों के सोने-हीरे, कीमत जान आप भी रह जाएंगे दंग
Mohinder Singh: यूपी ब्यूरोक्रेसी से रिटायर आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह की आलीशान कोठी से महंगे आभूषणों का खजाना मिला है। ईडी के छापों में करीब 1 करोड़ रुपये से ज्यादा कैश, 12 करोड़ रुपये के हीरे, 7 करोड़ कीमत के सोने के जेवरात और तमाम संदिग्ध दस्तावेज व प्रॉपर्टी के पेपर बरामद हुए हैं। पूर्व आईएएस पर कई गंभीर आरोप है।
- पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के ठिकाने पर रेड
- यूपी कैडर के आईएएस के घर से मिला खजाना
- बसपा सरकार के घोटाले से जुड़ा था नाम
लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार में लगातार प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की छापेमारी चल रही है। इसी क्रम में एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के ठिकाने पर छापेमारी के दौरान ईडी अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह गई है। बताया जा रहा है कि ये आईएएस अधिकारी उत्तर प्रदेश से ताल्लुख रखते हैं और एक समय में यूपी की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ताकतवर अधिकारियों की लिस्ट में शुमार थे। ईडी को छापेमारी में करोड़ों की नकदी के साथ ही भारी मात्रा में हीरे, सोने के कीमती आभूषण भी मिले हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन है वो पूर्व आईएएस अधिकारी, जो धनकुबेर बना है।
दरअसल मोहिंदर सिंह यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। अब उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित के आवास पर रेड की। इसके साथ ही दिल्ली, नोएडा, मेरठ और गोवा स्थित ठिकानों पर भी प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा है। वहीं छापेमारी के दौरान ईडी अधिकारी भी दंग रह गए है। क्योंकि ईडी को छापेमारी में रिटायर आईएएस के आवास से हीरे और सोने का खजाना मिला है। सूत्रों की माने तो पूर्व आईएएस के आवास से बेशकीमती हीरे मिले हैं, इनकी कीमत 12 करोड़ बताई जा रही है। इसके साथ ही ईडी के अधिकारियों को छापेमारी में 7 करोड़ रुपये कीमत के सोने के जेवरात भी मिले हैं।
बसपा सरकार में IAS अधिकारी की तूती बोलती थी
ईडी की छापेमारी का शिकार हुए पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह को लेकर बताया जा रहा है कि बसपा सरकार में उनकी तूती बोलती थी। मोहिंदर सिंह नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और चेयरमैन भी रह चुके हैं। पूरे पांच साल मोहिंदर सिंह इन दोनों ही पदों पर तैनात रहे थे। नोएडा में उनकी तैनाती के दौरान जुड़े कई मामलों में जांच चल रही है।
14 अरब के घोटाले से जुड़ा था नाम
मोहिंदर सिंह सुपरटेक ट्विन टावर मामले में दोषी पाए गए थे, विजिलेंस ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। इतना ही नहीं, बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों और पार्कों के निर्माण घोटाले में भी सामने आ चुका है। ये करीब 14 अरब रुपए का मामला था।
12 ठिकानों पर हुई छापेमारी
बता दें, ईडी ने नोएडा स्थित हसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशकों और उनके सहयोगियों के 12 ठिकानों पर छापेमारी की है। इस छापेमारी में अकेले यूपी के पूर्व आईएएस सरदार मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास से 7 करोड़ के हीरे बरामद हुए हैं। वहीं कंपनी से जुड़े मेरठ के कारोबारी आदित्य गुप्ता के आवास से पांच करोड़ रुपये के हीरे-जेवरात और अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं।
छापेमारी के दौरान छह बैंक लॉकरों की भी जानकारी मिली है, जिन्हें सील कर दिया गया है। लग्जरी फ्लैट के नाम पर निवेशकों से ठगी के मामले की जांच कर रही ईडी ने मंगलवार को कंपनी से जुड़े लोगों के मेरठ, दिल्ली, चंडीगढ़ और गोवा स्थित 12 ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी ने छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेज, कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और मोबाइल जब्त कर उनकी जांच शुरू कर दी है।