फेस्टिव सीजन में नकदी की किल्लत ?
फेस्टिव सीजन में नकदी की किल्लत
हर तीसरा एटीएम खराब या आउट ऑफ कैश; बैंकों का सिर्फ नाम, एटीएम का जिम्मा संभाल रहे वेंडर
एटीएम का मेंटेनेंस-सर्विलांस, कैश डालने का काम सब कुछ आउटसोर्स हो चुका है। ग्राहक एटीएम का जितना इस्तेमाल करते हैं, उस हिसाब से वेंडर्स को कमीशन मिलता है।
भाई साहब! यह मेरा पांचवां एटीएम है। पिछले चार एटीएम से धक्के खाकर आ रहा हूं। कहीं भी पैसा नहीं है। पिछले एटीएम में गया था तो वहां चार गायें बैठी थीं।
यह कहना है भोपाल के रहने वाले दयाचंद का। दैनिक भास्कर टीम की मुलाकात दयाचंद से उस वक्त हुई, जब वह पैसा निकालने के लिए एटीएम के चक्कर काट रहा था। दयाचंद ने बताया कि उसे गैस एजेंसी से सिलेंडर भरवाना है। वहां ऑनलाइन पेमेंट नहीं होता इसलिए एटीएम से पैसा निकालने गया। मगर उसे एमटीएम या तो बंद मिला या फिर लिखा था कि नकदी नहीं है।
दैनिक भास्कर ने जब राजधानी के नादरा बस स्टैंड, बैरसिया रोड, हमीदिया रोड, न्यू मार्केट से लेकर होशंगाबाद रोड के 100 से ज्यादा एटीएम की पड़ताल की तो हर तीसरा एटीएम या तो खराब मिला या आउट आफ कैश।
इस पूरी पड़ताल में ये भी पता चला कि अब एटीएम पर केवल बैंक का नाम लिखा है, एटीएम का मेंटेनेंस-सर्विलांस, कैश डालने का काम सब कुछ आउटसोर्स हो चुका है। बैंक केवल एटीएम की ट्रे में रखने के लिए पैसा देता है। एटीएम का ग्राहक जितना इस्तेमाल करते हैं, उस हिसाब से वेंडर्स को कमीशन मिलता है।
इसे लेकर भास्कर ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चेस्ट बैंक के डीजीएम से बात की तो उन्होंने कहा- एटीएम के संचालन का काम भले ही वेंडर्स को सौंपा गया है, मगर बैंक भी निगरानी करते हैं।
पहले इन तीन मामलों से समझिए, कैसे परेशान हो रहे लोग
1. एटीएम में पैसा नहीं, गार्ड मौजूद नादरा बस स्टैंड तिराहे पर बने एसबीआई के एटीएम में जब भास्कर की टीम पहुंची तो यहां एक गार्ड बैठा था। एटीएम का गेट खोलते ही गार्ड ने कहा- सारी मशीनें खराब हैं। उसी दौरान एटीएम में पहुंचे अनस मोहम्मद ने बताया कि इस एटीएम के हाल बेहाल हैं। यहां अक्सर मशीन खराब ही रहती है।
2. चार एटीएम भटकने के बाद मिला कैश घोड़ा नक्कास एटीएम में मिले लखन सिंह गंगवार ने बताया- मैं बैरसिया से आया हूं। लांबाखेड़ा, भोपाल टाकीज से लेकर बस स्टैंड तक एटीएम बंद पड़े थे। तौल कांटा पर आया तो यहां के कियोस्क में भी तीन में से दो मशीनें खराब पड़ी थीं। आखिर में एक एटीएम मिला, जो चालू हालत में था। वहां से पैसे निकाले।
3. बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन तक नो कैश सिंधी कॉलोनी चौराहे पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा के साथ एटीएम अटैच है। बैंक बंद होने के साथ एटीएम बूथ का शटर भी गिर जाता है। हमीदिया रोड शहर की प्रमुख व्यवसायिक रोड है लेकिन यहां इंडियन बैंक का एटीएम खराब पड़ा है।
नए शहर में ज्यादातर एटीएम बंद नए शहर के हालात भी पुराने शहर से अलग नहीं हैं। होशंगाबाद रोड पर आशिमा माल के नजदीक एसबीआई का एटीएम बंद मिला तो इस रोड से लगे दानिश नगर में भी सेंट्रल बैंक और एसबीआई के एटीएम बंद पड़े थे। इसी इलाके में भेल संगम चौराहे के नजदीक एक्सिस बैंक के एटीएम के हालात ऐसे हैं कि लोग रुपए तक नहीं निकाल पाते। यहां एटीएम बूथ के कांच टूटे हैं। अक्सर जानवर यहां घुस आते हैं।
दैनिक भास्कर की टीम जब मौके पर पहुंची तो यहां एटीएम बूथ के अंदर एक गाय अपने बछड़े के साथ बैठी दिखी। कुछ ही देर में दो गायें और आ गईं।
इसी के बगल में एसबीआई का एटीएम भी है लेकिन वह भी खराब पड़ा था। कुछ दूरी पर कृष्ण आर्केड के पास बैंक ऑफ बड़ौदा की ब्रांच है, साथ ही एटीएम है। इस बूथ में एटीएम और पासबुक प्रिंटर है। प्रिंटर तो चालू मिला लेकिन एटीएम खराब मिला।
एटीएम पर लिखा- आउट ऑफ सर्विस बाग सेवनिया थाने से कटारा हिल्स जाने वाली रोड पर तिराहे के नजदीक एसबीआई का बूथ हैं, यहां दो एटीएम हैं। ट्रांजेक्शन करने पर स्क्रीन पर मैसेज फ्लैश होता है- सर्विस मौजूद नहीं है। यही हाल बाग सेवनिया मार्केट के एटीएम बूथ का भी मिला।
एटीएम खराब होने की समस्या निजी बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों में ज्यादा नजर आती है। डिपो चौराहे के नजदीक लगा एक बोर्ड एसबीआई एटीएम का रास्ता दिखाता है। अंदर गली में एटीएम नजर भी आता है लेकिन गेट खुला हुआ है। अंदर कैमरा लटका है। स्क्रीन पर इसके आउट ऑफ सर्विस होने का मैसेज लगातार डिस्प्ले हो रहा है।
छोटे नोटों के लिए भी परेशान हो रहे लोग शहर के एटीएम में समस्या केवल आउट ऑफ सर्विस या आउट ऑफ कैश होने की ही नहीं है बल्कि आम आदमियों को चाहे गए नोट नहीं मिलने की भी है। कई एटीएम में 100 और 200 रुपए के नोट नहीं हैं। इनसे केवल 500 रुपए के नोट मिल रहे हैं। ऐसे में मजबूरी में बड़ी राशि निकालनी पड़ती है या ट्रांजेक्शन कैंसिल करना होता है।
अब जानिए ऐसी स्थिति क्यों है..
सारा काम वेंडर्स के हाथ, बैंक का सिर्फ नाम डीजीएम स्तर के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर इन समस्याओं के चार कारण गिनाए…
1. गार्ड की जगह ई सर्विलांस: पहले एटीएम में गार्ड तैनात होते थे। एटीएम खराब होने की स्थिति में वे बैंक को सूचना देते थे, लेकिन अब गार्ड हटा दिए गए हैं। सारे एटीएम ई सर्विलांस पर हैं।
2. एटीएम का संचालन वेंडर्स के हाथ: बैंक केवल ट्रे में पैसा भरने के लिए देते हैं। एटीएम का संचालन आउटसोर्स है। यदि वेंडर्स की टीम किसी एक बैंक के एटीएम का सॉफ्टवेयर अपडेट करती है तो उस बैंक से जुड़े इलाके के सारे एटीएम बंद हो जाते हैं। इसकी जानकारी कस्टमर को नहीं दी जाती।
3. रबर बैंड बांधकर रखते हैं नोट: एटीएम यदि 12 घंटे कैश आउट रह जाए तो आरबीआई 10 हजार का जुर्माना ठोक देता है। ऐसे में कस्टमर को चकमा देने के लिए वेंडर्स ट्रे में रुपए भरने के साथ आखिर में एक गड्डी रबर बैंड बांधकर रख देते हैं। मशीन इन नोटों को काउंट तो करती है लेकिन डिस्पैच नहीं करती। ऐसे में एरर तो आता है लेकिन आउट ऑफ कैश का मैसेज नहीं जाता और वेंडर्स जिम्मेदारी से बच जाते हैं।
4. बैंकों के पास छोटे नोटों की कमी: एटीएम में अपनी सुविधा के लिए लोअर कैश डिनोमिनेशन नहीं किया जाता। बैंक बड़े नोट ही देते हैं, चाहे कस्टमर परेशान होता रहे। इन दिनों आरबीआई से भी 200 रुपए के नोट की शॉर्टेज चल रही है। इसके चलते भी एटीएम से छोटे नोट नहीं मिल रहे हैं। इस कमी को भी बैंक और वेंडर्स छुपा रहे हैं।
भविष्य में एटीएम का ऑपरेशन फायदेमंद नहीं दैनिक भास्कर ने जब आरबीआई के चेस्ट बैंक के डीजीएम प्रमोद मिश्रा से इस मामले पर बात की तो उन्होंने कहा- आम लोगों के बीच कैशलेस पेमेंट का चलन बढ़ रहा है। एटीएम बूथ पर फुट फॉल कम हो रहा है। आने वाले वक्त में एटीएम का ऑपरेशन फायदेमंद नहीं रहेगा। भविष्य में एटीएम की संख्या कम होगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
उनसे पूछा कि एटीएम खराब है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है तो उन्होंने कहा- बैंक कभी नहीं चाहता कि एटीएम खराब हो। इससे बैंकों का भी नुकसान है। बैंक समय-समय पर इसकी निगरानी करते हैं। जहां तक छोटे नोट न मिलने का सवाल है तो कभी-कभी छोटे नोटों की कमी होती है। ये बड़ा इश्यू नहीं है।