क्या आज तक अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में है बॉलीवुड?

बाबा सिद्दीकी की हत्या: क्या आज तक अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में है बॉलीवुड?
महाराष्ट्र में अजीत पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. यह घटना उस दौर की याद दिलाती है जब गैंगवार, दिनदहाड़े हत्याएं, जबरन वसूली का मुंबई पर साया था.

बाबा सिद्दीकी एक जाने-माने राजनेता और महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व सदस्य थे. सिद्दीकी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने राजनीति और बॉलीवुड दोनों जगह अपनी पहचान बनाई. राजनीति से ज्यादा सिद्दीकी अपनी समाजवादी छवि और हर साल भव्य इफ्तार पार्टियों की मेजबानी के लिए जाने जाते थे. 

सिद्दीकी की इफ्तार पार्टियां बहुत ही शानदार होती थीं, जिनमें बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे शामिल होते थे. सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, कबीर खान, मशहूर डिजाइनर मनीष मल्होत्रा, उर्मिला मातोंडकर, कैटरीना कैफ, हुमा कुरैशी, सोनू सूद, कियारा आडवाणी जैसे कलाकार इन पार्टियों में आते थे.

मगर, 12 अक्टूबर 2024 को मुंबई में दशहरे के मौके पर पटाखों की आवाज के बीच उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है और मुंबई पुलिस अलग-अलग एंगल से मामले की जांच कर रही है. अबतक तीन शूटर्स गिरफ्तार किए जा चुके हैं. यह हत्या मुंबई में लगभग तीन दशकों बाद हुआ पहला बड़ा राजनीतिक हत्याकांड है. यह घटना सवाल उठाती है कि क्या बॉलीवुड आज तक अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में है?

कैसे शुरू हुआ मुंबई में अंडरवर्ल्ड?
मुंबई का अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड का रिश्ता उतना ही पुराना है जितनी खुद फिल्म इंडस्ट्री. 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में मुंबई में अपराध काफी बढ़ गया था, जब शहर में बड़े पैमाने पर मजदूर हड़तालें हुईं. मिल मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की, लेकिन वे नाकाम रहीं. मिल मालिकों ने मिलों को बंद कर दिया और हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए. आज उन बंद मिलों की जगहों पर शानदार मॉल और रेस्टोरेंट बने हुए हैं. इस बड़े उथल-पुथल ने कई युवाओं को स्थानीय गिरोहों और अंडरवर्ल्ड की ओर धकेल दिया.

इसके बाद मुंबई में 1990 के दशक में अपराध अपने चरम पर पहुंच गया, जब अंडरवर्ल्ड ने शहर पर खुलेआम आतंक फैलाया. आम आदमी से लेकर नेता, बिल्डर, अभिनेता, फिल्म निर्माता और यहां तक कि पुलिस अधिकारी भी डर के साये में जी रहे थे.

जब बम धमाकों से दहला मुंबई
मुंबई में जब हालात बेकाबू होने लगे तो पुलिस के पास माफिया से निपटने के लिए खूनी संघर्ष के अलावा कोई चारा नहीं बचा. मुंबई पुलिस ने न केवल गैंगस्टरों को निशाना बनाया, बल्कि अपने मकसद को पूरा करने के लिए उनके परिवारों के पीछे भी पड़ गई. मुंबई पुलिस और अंडरवर्ल्ड के बीच सबसे पहली झड़प 1991 में मुंबई के अंधेरी इलाके में स्वाति बिल्डिंग में हुई मुठभेड़ थी. यह मुठभेड़ मुंबई पुलिस और गैंगस्टर माया डोलस के बीच हुई थी. इस घटना को 16 साल बाद बनी फिल्म ‘शूटआउट एट लोखंडवाला’ में दिखाया गया है.

मुंबई पुलिस और अंडरवर्ल्ड के बीच संघर्ष जारी था, तभी 1993 में  शहर सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल उठा.  बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए इन धमाकों के पीछे कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम का हाथ था. इसके बाद मुंबई पुलिस ने सड़कों पर गैंगस्टरों को बेरहमी से मार गिराया. लेकिन कुछ साल बाद एक और हत्याकांड ने शहर को हिलाकर रख दिया. 

बाबा सिद्दीकी की हत्या: क्या आज तक अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में है बॉलीवुड?

संगीतकार गुलशन कुमार की बेरहमी से हत्या
12 अगस्त 1997 को संगीत जगत के दिग्गज गुलशन कुमार की दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी गई. मुंबई के अंधेरी पश्चिम उपनगर में जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर सुपारी किलर दाऊद मर्चेंट उर्फ अब्दुल रऊफ और उसके भाई राशिद मर्चेंट ने गुलशन कुमार पर  16 गोलियां चलाईं. गुलशन कुमार ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. 

गुलशन कुमार की हत्या ने बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के गहरे संबंधों को उजागर किया. यह घटना दिखाती है कि अंडरवर्ल्ड का सिर्फ मुंबई शहर पर ही नहीं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री पर भी कितना गहरा प्रभाव था. 

जब पूरी तरह से अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में था बॉलीवुड
इस मुद्दे पर एबीपी न्यूज ने बॉलीवुड फिल्मों के जानकार और लेखक विष्णु शर्मा से बातचीत की. उन्होंने बताया, बॉलीवुड बहुत पहले से ही अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में था, लेकिन पहले ये खबरें बाहर नहीं आती थी, खबरें बाहर आने की शुरुआत तब हुई जब 1993 में बम धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम भारत से भाग गया. अभिनेता संजय दत्त का नाम भी इन बम धमाकों से जोड़ा गया था. संजय दत्त की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘संजू’ में देखा जा सकता है किस तरह उन्हें धमकाया जाता था. उन्हें एके-56 रखने के लिए मजबूर किया गया. 

“माता रानी के एक भक्त गुलशन कुमार की हत्या कर दी, इससे ये समझा जा सकता है कि अंडरवर्ल्ड काफी हद तक बॉलीवुड को कंट्रोल कर रहा था. कौन सी फिल्म बनेगी, किस एंगल से बनेगी, कौन-सी हीरोइन होगी, ये सब कंट्रोल किया जा रहा था. बहुत सी फिल्मों में दाउद का पैसा भी लगा था. दाउद की बात न मानने वाले बहुत से लोगों का मर्डर भी कर दिया गया. इन फिल्मों में जानबूझकर ये दिखाया जाता था कि अगर कोई गैंगस्टर बना है तो उसकी वजह पुलिस है या कोई नेता है.”

विष्णु शर्मा ने आगे कहा, एक समय था जब दुबई में दाऊद इब्राहिम की पार्टी होती थी. वहां मंदाकिनी से लेकर मोनिका बेदी तक बॉलीवुड की तमाम हस्तियां मौजूद होती थी. तब बॉलीवुड हस्तियों को बहुत मजा आता था, उन्हें किसी तरह का डर नहीं था. तब ये लोग बहुत शान से बताया करते थे कि उनके परिचित अंडरवर्ल्ड में हैं. लेकिन आज समय पलट गया है. आज कोई बॉलीवुड कलाकार अपना नाम अंडरवर्ल्ड से नहीं जोड़ना चाहता. पहले मीडिया को भी डराकर रखा जाता था. लेकिन फिर धीरे-धीरे टीवी मीडिया ने अंडरवर्ल्ड की पोल खोलना शुरू कर दी, जिससे बॉलीवुड कलाकारों की इमेज गिरने लगी.

अब भी अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में बॉलीवुड?
बॉलीवुड के जानकार विष्णु शर्मा कहते हैं कि आज भी अंडरवर्ल्ड का बॉलीवुड पर कुछ न कुछ असर तो है. ये नहीं कहा जा सकता कि बिल्कुल खत्म हो गया है. ये नहीं कहा जा सकता कि अंडरवर्ल्ड अब फिल्मों में फंडिंग नहीं करता. ये साथ खत्म होना लगभग नामुमकिन है. इसकी एक वजह ये हो सकती है कि बॉलीवुड स्टार्स की बहुत सी संदिग्ध जानकारी गैंगस्टर्स के पास हैं. 

बाबा सिद्दीकी की हत्या: क्या आज तक अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में है बॉलीवुड?

“अब भी बॉलीवुड फिल्मों में कई बार गैंगस्टर और अपराधियों के साथ हमदर्दी दिखाई जाती है. 2017 में शाहरुख खान की फिल्म ‘रईस’ में भी ऐसा ही कुछ हुआ है. यह फिल्म 80 और 90 के दशक में गुजरात में अवैध शराब का धंधा करने वाले गैंगस्टर अब्दुल लतीफ पर आधारित है. लतीफ का गुजरात में अवैध शराब का बड़ा साम्राज्य था और इसे दाउद का राइट हैंड बोला जाता था. वह कई आतंकी घटनाओं की प्लानिंग कर रहा था, लेकिन फिल्म में उसे एक हीरो की तरह दिखाया गया. शाहरुख का फिल्म में डायलॉग भी है ‘अम्मी कहती हैं कोई धंधा छोटा नहीं होता.’ इससे पता चलता है कि इन फिल्मों के लिए किसी ने खास फंडिंग की है. ऐसा कहा भी जाता है कि उनके बेटों के कहने पर शाहरुख ये फिल्म बनाई.”

विष्णु शर्मा ने आगे कहा, भारत मानता है कि पाकिस्तान ऐसा देश है जो आतंकवाद का समर्थन करता है. पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कभी कोई अभियान नहीं चलाता है. फिर भी भारत की विदेश नीति के खिलाफ आतंकवाद और गैंगस्टर के समर्थन में लगातार बॉलीवुड में फिल्में बनती रहती हैं. इन वजहों से ये नकारा नहीं जा सकता कि बॉलीवुड अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में नहीं है.

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