भारत-कनाडा के बीच कैसे शुरू हुआ विवाद ?
भारत-कनाडा के बीच कैसे शुरू हुआ विवाद, एक साल बाद फिर क्यों आमने-सामने दोनों देश?
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत आमने-सामने हैं। कनाडा ने निज्जर हत्या की जांच में भारत के राजदूत और अन्य राजनयिकों का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ लिया था। भारत ने इन बेतुके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसके साथ ही सोमवार को भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने का फैसला किया है। इसके अलावा भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का भी निर्णय लिया है।
करीब एक साल पहले भी निज्जर की मौत के मामले पर दोनों देश आमने सामने थे। उस वक्त राजनयिकों को निकालने से लेकर वीजा आवेदन बंद करने तक जैसे निर्णय लिए गए थे।
आखिर भारत और कनाडा के बीच विवाद कब शुरू हुआ? इसके बाद क्या-क्या हुआ? अभी क्या स्थिति है? आगे क्या होगा? आइये जानते हैं…
जब एक साल बाद फिर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है तो इसके पीछे निज्जर हत्याकांड ही है। दरअसल, सोमवार (14 अक्तूबर) को कनाडा ने निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ शामिल किया है। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय को रविवार (13 अक्तूबर) को एक राजनयिक संदेश मिला। दरअसल, पर्सन ऑफ इंटरेस्ट का मतलब यह है कि किसी व्यक्ति के बारे में पुलिस को लगता है कि वह किसी अपराध में शामिल हो सकता है लेकिन उस पर औपचारिक आरोप नहीं लगाए सकते और न ही गिरफ्तार किया जा सकता। हालांकि, उसकी गतिविधियों, संपर्कों और अन्य जानकारी को जांच के दायरे में रखा जाता है।
भारत ने कनाडा के आरोपों को बेतुका बताते हुए इसे सिरे से नकार दिया। सोमवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को सिरे से खारिज करता है और इनके पीछे ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे को वजह मानता है, जो कि वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है।विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘ट्रूडो सरकार ने जानने के बावजूद कनाडा में भारतीय राजनयिकों और समुदाय के नेताओं को धमकाने और डराने वाले हिंसक कट्टरपंथियों और आतंकियों को जगह दी है। इनमें राजनयिकों और भारतीय नेताओं को मौत की धमकियां तक शामिल हैं।’
विदेश मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत विरोध काफी पहले साबित हो चुका है। ट्रूडो की सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता खुले तौर पर भारत विरोधी अलगाववाद की विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामले सिर्फ बढ़े हैं।
कनाडाई राजनीति में विदेशी दखल पर आंखें मूंदने को लेकर आलोचनाओं के बावजूद ट्रूडो सरकार लगातार अपने नुकसानों को कम करने के लिए भारत का नाम ले आती है। यह ताजा घटनाक्रम, जिसमें भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाया जा रहा है इस दिशा में अगला कदम है। यह कोई संयोग नहीं है कि यह सब तब हो रहा है, जब पीएम ट्रूडो को विदेशी दखल को लेकर एक आयोग के सामने पेश होना है।’
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया। बताया जा रहा है कि कनाडा के उच्चायुक्त से कनाडाई सरकार के रुख को लेकर जानकारी तलब की गई। सोमवार शाम को कनाडा के उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर विदेश मंत्रालय से रवाना हुए। भारत सरकार ने उच्चायुक्त, अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने का भी फैसला किया है। सोमवार को ही विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार के कार्यों ने भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। हमें वर्तमान कनाडा सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए भारत सरकार ने उच्चायुक्त, अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है।
इस पूरे विवाद की जड़ में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामला है। निज्जर की 18 जून 2023 को कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसे कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के सरी स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा के पास दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था और भारत में एक घोषित आतंकवादी था। कनाडाई पुलिस का दावा है कि उसने निज्जर मामले की जांच के दौरान चार भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया है।18 सितंबर 2023 को निज्जर की हत्या को लेकर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में भारत पर आरोप लगा दिए। ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के कारण है कि भारत सरकार के एजेंटों ने ही निज्जर की हत्या की। कनाडाई एजेंसियां निज्जर की हत्या में भारत की साजिश की संभावनाओं की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा की धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी प्रकार की संलिप्तता अस्वीकार्य है।
भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 19 सितंबर 2023 को कनाडा के आरोपों का पहली प्रतिक्रिया दी थी। एमईए ने ट्रूडो के दावों को बेतुका और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए इन्हें सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने कहा था कि इस तरह के आरोप सिर्फ उन खालिस्तानी आतंकी और कट्टरपंथियों से ध्यान हटाने के लिए जिन्हें लंबे समय से कनाडा में शरण दी जा रही है और जो भारत की क्षेत्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं। इसके साथ ही जवाबी कार्रवाई में कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को भी भारत ने निष्कासित कर दिया था। इस राजनयिक को भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा 19 सितंबर को ही कनाडा की ओर से निज्जर की हत्या के आरोपों पर भारत ने नाराजगी जाहिर की थी। विदेश मंत्रालय ने कनाडा की ओर से राजनयिक को निकाले जाने के फैसले का विरोध करते हुए कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था। साथ ही उन्हें कनाडा के एक वरिष्ठ उच्चायुक्त को निष्कासित किए जाने की जानकारी दी थी।
एमईए ने कहा था कि यह फैसला हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
विवाद के बीच ही भारत ने कनाडा में भारतीय वीजा सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी थीं। 21 सितंबर 2023 को कनाडा में भारत के लिए वीजा सेवाएं मुहैया कराने वाली एजेंसी ने परिचालन कारणों से कुछ समय के लिए इस सुविधा को निलंबित कर दिया था। कनाडा के कुछ राजनयिकों को वापस भेजने का फैसला लिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उस वक्त कहा था कि कनाडा के राजनयिक ज्यादा संख्या में भारत में है, जबकि भारत के राजनयिक उतनी संख्या में कनाडा में नहीं हैं। अक्तूबर 2023 में भारत द्वारा वीजा प्रक्रिया दोबारा शुरू करने के बाद दोनों देशों के बीच ठंडे पड़े संबंधों में थोड़ी नरमी आई थी। लेकिन कनाडा के नए कदम ने दोनों देशों को फिर आमने-सामने ला दिया है।