साइबर ठगी का नया संस्करण..डिजिटली गिरफ्तार कर करोड़ों की ठगी से कैसे बचें ?

आर्थिकी: साइबर ठगी का नया संस्करण… डिजिटली गिरफ्तार कर करोड़ों की ठगी से कैसे बचें, जानिए
‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ साइबर अपराध का नया स्वरूप है। इसके जरिये अपराधी एआई का इस्तेमाल करने के साथ ही सीबीआई, ईडी आदि का अधिकारी बनकर पीड़ितों को डराकर ठग रहे हैं।
डिजिटल हाउस अरेस्ट साइबर अपराध का नया स्वरूप है, जिससे आमजन दहशतजदा हैं। ऐसी ठगी के पढ़े-लिखे लोग ज्यादा शिकार बन रहे हैं, इनमें बुजुर्गों की संख्या अधिक है। हाल ही में इंदौर में एक 65 साल की बुजुर्ग महिला को पांच दिनों तक डिजिटली घर में कैद करके फर्जी पूछताछ कर 46 लाख रुपये ठगे गए। इसी तरह अगस्त में लखनऊ की एक महिला डॉक्टर को छह दिनों तक डिजिटली गिरफ्तार कर ठगों ने 2.8 करोड़ रुपये ठगे। दोनों माममों में ठग खुद को सीबीआई अधिकारी बता रहे थे। बुजुर्ग महिला एवं डॉक्टर को हवाला कारोबार में उनकी संलिप्तता बताकर ठगी को अंजाम दिया। ठग पुलिस, सीबीआई, ईडी, इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ, नारकोटिक्स आदि का अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल करके इतना डराते हैं कि पीड़ित अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी ठग के खाते में ट्रांसफर कर देते हैं। ठगी को अंजाम देने के लिए ठग हर तरह के हथकंडे अपनाता है, जैसे पीड़ित के खाते का इस्तेमाल हवाला के लिए किया जा रहा है या उसका करीबी गिरफ्तार हो गया है या वह ड्रग्स स्मगलिंग या आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है आदि।

‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ को मूर्त रूप देने के लिए ठग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं। एआई के जरिये वे पीड़ित के सगे-संबंधियों की आवाज की नकल करके या वीडियो बनाकर पीड़ित को यह विश्वास दिलाने में कामयाब हो जाते हैं कि वे गंभीर संकट में हैं। ठगे जाने का मुख्य कारण डर, जागरूकता की कमी, सतर्क नहीं रहना और कुछ मामलों में खुद का भ्रष्ट होना है। चूंकि, ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ या दूसरे साइबर अपराधों को रोकने के लिए अब भी पुख्ता कानून और प्रशिक्षित मानव संसाधन का अभाव है। देश में प्रशिक्षित साइबर पुलिस की भारी कमी है। विश्व साइबर अपराध सूचकांक में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है। रूस शीर्ष पर है, जबकि यूक्रेन दूसरे, चीन तीसरे, अमेरिका चौथे, नाइजीरिया पांचवें, रोमानिया, छठे व उत्तर कोरिया सातवें स्थान पर है।

साइबर अपराधी फोन कॉल या एसएमएस के द्वारा लोगों को बिना कर्ज लिए ही कर्जदार बता उनसे पैसों की वसूली कर रहे हैं। ऐसी ब्लैकमेलिंग छोटी राशि मसलन, 2,000 से 5,000 रुपये के लिए ज्यादा की जा रही है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग पुलिस में शिकायत नहीं करें। ठग धमकी देते हैं, आपने हमसे कर्ज लिया है और अगर पैसे वापस नहीं करेंगे, तो आपकी आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल कर दी जाएंगी। मोबाइल एप से लोन लेना सूदखोर या साहूकार से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि ऐसे ठगों की व्यापकता देश-काल से परे है, क्योंकि अधिकांश मोबाइल चाइना मेड हैं और उनका सर्वर भारत से बाहर होता है। इसलिए ब्राउजिंग सेशन के दौरान संदेहास्पद पॉप अप से सतर्क रहें, https://पैड लॉक सिंबल वाला यूआरएल है या नहीं, यह सुनिश्चित करें।

वेबसाइट्स या मोबाइल या पब्लिक लैपटॉप या डेस्कटॉप पर कार्ड की जानकारी साझा नहीं करें, अनजान नंबर या ईमेल आईडी से आए अटैचमेंट को तुरंत डिलीट कर दें और ऑनलाइन लॉटरी, कैसिनो, गेमिंग, शॉपिंग या फ्री डाउनलोड वाले मैसेज की अनदेखी करें, तो फिशिंग मेल या एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिये फॉरवर्ड होने वाले संदेहास्पद हाइपर लिंक के जाल से बचा जा सकता है। साथ ही, कभी मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं आएं। धमकी मिलने पर पुलिस की मदद लेने से नहीं हिचकें। सबसे महत्वपूर्ण है लालच से परहेज करें, क्योंकि सावधानी ही बचाव है।

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