सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों को देता है 3 तरह की मान्यता …मीडिया संस्थान के लेटरपैड से मिलेगा पास
सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों को देता है 3 तरह की मान्यता …
LLB की जरूरत खत्म; मीडिया संस्थान के लेटरपैड से मिलेगा पास
भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं। उससे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के संवाददाता बनने के इच्छुक पत्रकारों को एक बड़ी सौगात दी है। उन्होंने कहा है कि अब सुप्रीम कोर्ट की मान्यता के लिए पत्रकारों को कानून की डिग्री (एलएलबी) लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि मान्यता के अलावा भी दो तरीके से पत्रकार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं।
बैठक में चीफ जस्टिस बोले, ‘मुझे नहीं पता डिग्री की शर्त क्यों रखी गई थी’
सुचित्र कल्याण मोहंती सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार हैं। मोहंती ने दैनिक भास्कर से कहा,
चीफ जस्टिस ने कई दिन पहले कुछ पत्रकारों को चाय पर बुलाया था, उनमें से एक मैं भी था। मान्यता के लिए एलएलबी की डिग्री की जरूरत खत्म करना एक नई पहल है, लेकिन यह कोर्ट का कोई आदेश नहीं है।
बैठक में चंद्रचूड़ ने पत्रकारों को बताया था,
मैंने सुप्रीम कोर्ट के मान्यता प्राप्त पत्रकारों का दायरा बढ़ाने के लिए एक फाइल पर साइन किए हैं। मुझे नहीं पता कि किस वजह से यह शर्त रखी गई थी कि आपको एलएलबी पास होना चाहिए। अब हमने इसमें ढील दी है।
मोहंती बताते हैं कि दो तरह के पत्रकार सुप्रीम कोर्ट में खबरें कवर करते हैं- मान्यता प्राप्त और अस्थाई मान्यता प्राप्त। हालांकि मोहंती के पास सुप्रीम कोर्ट की स्थाई मान्यता नहीं है। वह इसे जरूरी भी नहीं बताते।
अस्थाई मान्यता वाले पत्रकारों को भी पार्किंग छोड़कर लगभग सभी सुविधाएं
चंद्रचूड़ ने ये भी कहा है कि मान्यता लेने वाले पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट में पार्किंग में अपनी गाड़ियां खड़ी करने की सुविधा भी मिलेगी।
मोहंती कहते हैं, ‘स्थाई मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट के कई कार्यक्रमों का न्योता भी मिलता है। जजों से निकटता रहती है। इनके अलावा लगभग सभी सुविधाएं अस्थाई मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी मिलती हैं।’
सुप्रीम कोर्ट में 50 से भी कम स्थाई मान्यता प्राप्त पत्रकार
मोहंती कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट में इस समय करीब 40 स्थाई मान्यता प्राप्त और 100 के आसपास अस्थाई मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। आजकल दोनों ही तरह की मान्यताओं में बहुत फर्क नहीं है, क्योंकि अब कोर्ट की कार्यवाही ऑनलाइन उपलब्ध है।’
‘अगर वीडियो बाइट वगैरह लेने की जरूरत न हो तो सुप्रीम कोर्ट के हर कोर्टरूम की सुनवाई देखने-सुनने के लिए अलग ऑनलाइन लिंक उपलब्ध हैं। जजों और वकीलों की टेलीफोन डायरेक्टरी जैसी वह सभी चीजें जो मान्यता प्राप्त पत्रकारों को निशुल्क मिलती हैं, वह भी ऑनलाइन मिल जाती हैं।’
हालांकि मान्यता न होने पर भी न्यूज कवर करने के लिए एक दिन का पास लेकर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं। सुस्वागतम ऐप से यह पास मिलना आसान हो गया है। ऐप पर रजिस्टर करने से एक ई-मेल आ जाता है, जिसका स्क्रीनशॉट दिखाकर सुप्रीम कोर्ट जाया जा सकता है।