भारत में डायबिटीज के शिकार होने के कारण क्या हैं?
भारत में डायबिटीज के शिकार होने के कारण क्या हैं? सिर्फ मीठी चीजें ही वजह नहीं
जब हम ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों को खाते हैं, तो हमारे शरीर में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ जाता है, जो डायबिटीज़ का कारण बन सकता है.
तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में ज्यादातर लोगों को डायबिटीज़ जैसी जीवनभर की बीमारी हो रही है. यह आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. पिछले कुछ दशकों में भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधार किए हैं, लेकिन जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां, खासकर डायबिटीज़, एक ऐसी महामारी बन चुकी हैं, जिसका कोई ठोस इलाज या उपाय अब तक सामने नहीं आया है.
इस देश में इस बीमारी के लगातार बढ़ने का एक कारण ये भी है कि लोगों को लगता है कि अगर वे मिठाई जैसे जलेबी, केक, आइस-क्रीम आदि खाना बंद कर देंगे, तो उनकी डायबिटीज़ ठीक हो जाएगी. हालांकि, यह सच नहीं है.
असल में, डायबिटीज़ (विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज़) का मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन की कमी या इंसुलिन का सही तरीके से काम न करना है, जो कार्बोहाइड्रेट्स को ठीक से पचाने में मदद करता है. इसका मतलब है कि ये बीमारी सिर्फ मिठाई खाना बंद करने से नहीं रुकेगी, बल्कि इस कंट्रोल करने के लिए मरीज को हर प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स से दूर रहना होगा.
इसे ऐसे समझिये कि कार्बोहाइड्रेट्स केवल मीठे में नहीं बल्कि नमकीन (सॉली) खाद्य पदार्थ, जैसे रोटी, चावल, उपमा, थेपला, खाखरा में भी होते हैं. जब हम इन चीजों को खाते हैं, तो हमारे शरीर में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ जाता है, जो डायबिटीज़ का कारण बन सकता है. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति को रोटी, चावल और अन्य कार्बोहाइड्रेट्स वाली चीजे खाना पंसद है और वो इसका सेवन ज्यादा करते हैं तो भी वो भविष्य में वो डायबिटीज़ का शिकार हो सकतें है, भले ही उन्होंने मिठा खाना छोड़ दिया हो.
इसलिए, यह समझना ज़रूरी है कि डायबिटीज़ केवल मिठाई से नहीं, बल्कि शरीर में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स जाने से हो सकता है. इसलिए हमें न सिर्फ अपने आहार में संतुलन बनाए रखना चाहिए और सिर्फ मिठाई से ही नहीं, बल्कि अन्य कार्बोहाइड्रेट्स को भी नियंत्रित करना चाहिए.
भारतीयों का विश्व में प्रति व्यक्ति सबसे कम प्रोटीन सेवन होता है
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक, भारत, जो दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश है, ने 2021 में हर व्यक्ति को सिर्फ 70.52 ग्राम प्रोटीन दिया. जबकि भारत का ही पड़ोसी देश चीन ने 2021 में हर व्यक्ति को रोज़ाना 124.61 ग्राम प्रोटीन दिया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका से थोड़ा ज़्यादा था (124.33 ग्राम).
वैश्विक स्तर पर, आइसलैंड ने सबसे ज़्यादा, यानी हर व्यक्ति को 145.62 ग्राम (5.13 औंस) प्रोटीन दिया, जबकि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यह सबसे कम था, केवल 28.59 ग्राम (1 औंस) प्रतिदिन.
इसी रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार, अन्य बड़े विकासशील देशों में, इंडोनेशिया में हर व्यक्ति को रोज़ाना 79.75 ग्राम प्रोटीन मिलता है, पाकिस्तान में 70.77 ग्राम, और नाइजीरिया में 59.08 ग्राम प्रोटीन मिलता है.
बता दें कि FAO (संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन) ने 2010 से 2021 तक, 187 देशों में खाद्य आपूर्ति का डेटा इकट्ठा किया था. यह डेटा देश के उत्पादन और आयात के आधार पर था, जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर देश में कितना खाद्य और प्रोटीन खाया जाता है.
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करता है
भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 300-400 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन प्रति दिन होता है. वहीं भारत के पड़ोसी देश चीन में भी कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन उच्च है, हालांकि, चीन में चावल और नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक होता है. चीन में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 250-350 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन होता है.
वहीं अमेरिका में इन दो देशों की तुलना में कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन कम है. यहां औसतन 250 ग्राम के करी कार्बोहाइड्रेट्स प्रति व्यक्ति प्रतिदिन सेवन होता है. अमेरिका में कैलोरी का प्रमुख स्रोत प्रोटीन और वसा (फैट) होते हैं, और कार्बोहाइड्रेट्स का योगदान केवल 50-55% के करीब होता है.
यूरोपीय देशों की बात की जाए तो वहां भी कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन अमेरिका की तरह कम होता है. इन देशों में औसतन 200-300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन होता है, और कैलोरी का प्रमुख स्रोत प्रोटीन और वसा होते हैं.
भारत में कार्बोगहाइड्रेट्स का सेवव क्यों करते हैं लोग
ईएटी-लांसेट (EAT- Lancet) ने जनवरी में अपनी तीन साल लंबी अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें भारतीयों के खाद्य सेवन की प्रवृत्तियों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है.
यह अध्ययन बताता है कि हमारे खाने में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे चावल, रोटी, आलू) शरीर को 0 से 60 प्रतिशत तक ऊर्जा देते हैं, जबकि प्रोटीन (जैसे दाल, मांस, अंडे) सिर्फ 15 प्रतिशत ऊर्जा का ही स्रोत होते हैं. अध्ययन में यह भी सामने आया है कि खाद्य पदार्थों की कीमत एक बड़ी वजह है, जिसके कारण लोग स्वस्थ आहार नहीं ले पाते. खासकर फल और सब्जियां बहुत महंगी होती हैं और दक्षिण एशिया में ये कुल खाद्य खर्च का एक तिहाई हिस्सा होती हैं. मांस भी महंगा है. भारत जैसे देशों में लोग कार्बोहाइड्रेट्स तो आसानी से खा लेते हैं, लेकिन प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों को पर्याप्त रूप से नहीं खा पाते.
शरीर को दिनभर में कितनी कार्ब की होती है जरूरत
ईट लैंसेट की रिपोर्ट में पोषण विशेषज्ञों ने बताया कि एक इंसान को हर रोज 282 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स खाना चाहिए, लेकिन ग्रामीण भारत में लोग औसतन 432 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स खाते हैं, और शहरी भारत में यह औसतन 347 ग्राम होता है. जो कि जरूरत से बहुत ज्यादा है.
वहीं, प्रोटीन का सही सेवन 459 ग्राम रोज़ होना चाहिए, लेकिन ग्रामीण भारत में औसतन 194 ग्राम प्रोटीन खाया जाता है, और शहरी भारत में 242 ग्राम. इससे साफ है कि भारतीयों का कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन ज़्यादा है, लेकिन प्रोटीन का सेवन बहुत कम है.
कैलोरी सेवन की बात करें तो पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि 850 कैलरी कार्बोहाइड्रेट्स से लेना चाहिए. ग्रामीण भारत में लोग औसतन 1,318 कैलरी और शहरी भारत में 1,058 कैलरी कार्बोहाइड्रेट्स खाते हैं.
डायबिटीज़ के मामले में भारत की स्थिति
भारत में डायबिटीज़ के मामलों में एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य वैश्विक शोध रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत दूसरे स्थान पर है, जहां सबसे अधिक डायबिटीज़ के मरीज हैं.
2022 के आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 77 मिलियन लोग डायबिटीज़ से प्रभावित हैं , और यह संख्या लगातार बढ़ रही हैय भारत में टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी जा रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में.
विश्व में भारत दूसरे स्थान पर है, केवल चीन के बाद, जहां सबसे अधिक डायबिटीज़ के मामले हैं. चीन में लगभग 140 मिलियन लोग डायबिटीज़ से प्रभावित हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं.