800+ यूरोपीय संस्थानों का इजरायली अवैध बस्तियों में निवेश: अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन?

 800+ यूरोपीय संस्थानों का इजरायली अवैध बस्तियों में निवेश: अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन?

फिलिस्तीन में इजरायली कब्जे वाली बस्तियां अंतर्राष्ट्रीय कानून के विरुद्ध हैं. इन बस्तियों के कारण फिलिस्तीनी लोगों के जमीन, पानी और अन्य संसाधनों पर अधिकारों का हनन होता है.

‘डोंट बाय इन्टू ऑक्युपेशन’ (DBIO) नाम से जारी नई रिसर्च में पता चला है कि 822 यूरोपीय बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और पेंशन फंड इजरायल की अवैध बस्तियों को फंड कर रहे हैं. ये बैंक 2021 से 2024 तक इन बस्तियों में काम करने वाली 58 कंपनियों को करीब 393 अरब डॉलर दे चुके हैं. इसमें 211 अरब डॉलर का कर्ज है और 182 अरब डॉलर का निवेश किया गया है. 

800+ यूरोपीय संस्थानों का इजरायली अवैध बस्तियों में निवेश: अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन?

ये एक बड़ा झटका है क्योंकि यूरोप खुद को मानवाधिकारों का पैरोकार बताता है, लेकिन इन बैंकों के जरिए वो इजरायल की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. ये बैंक फिलिस्तीनियों के अधिकारों का हनन करने वालों को पैसा देकर उनके अपराधों में साझेदार बन रहे हैं.

हालांकि, इन बैंकों द्वारा दिए गए पैसों का इस्तेमाल सिर्फ इजरायल की अवैध बस्तियों में नहीं होता है. ये कंपनियां दुनिया के कई हिस्सों में काम करती हैं. लेकिन जब कोई बैंक किसी कंपनी में पैसा लगाता है, तो वो उस कंपनी की सभी गतिविधियों को समर्थन दे रहा होता है, चाहे वो अच्छी हों या बुरी. इस रिपोर्ट में सिर्फ इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में अवैध बस्तियों में काम करने वाली कंपनियों के साथ यूरोपीय बैंकों के संबंधों पर ध्यान दिया गया है. 

गाजा में इजरायल की सेना का बेहद क्रूर और अमानवीय हमला
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने भी इसपर चिंता जताई है कि इजरायल की सेना गाजा में बेहद क्रूर और अमानवीय हमला कर रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उत्तरी गाजा में भूखमरी और बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. अस्पताल, स्कूल और घरों पर लगातार हमले हो रहे हैं. इजरायल की सरकार गाजा से सभी फिलिस्तीनियों को खत्म करना चाहती है. साथ ही, इजरायल सरकार ने गाजा में नई बस्तियां बनाने की योजना बनाई है.

इजरायल और गाजा के बीच विवाद वैसे तो कई दशक पुराना है. मगर, इस हमले शुरुआत तब हुई थी जब 7 अक्टूबर 2023 को पहले हमास के सैन्य विंग और अन्य फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों ने इजरायल पर हमला कर दिया था. इस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए थे, जिनमें कम से कम 809 नागरिक और 314 इजरायली सैनिक शामिल थे. इसके अलावा, 252 लोगों को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इजरायल ने बदला लेने के लिए गाजा और फिलिस्तीन पर हमला करना शुरू दिया.

एक साल से चल रहे इस हमले में नरसंहार के सभी लक्षण दिखाई दे रहे हैं. फिलिस्तीन के मानवाधिकार संगठनों के अलावा, संयुक्त राष्ट्र के कई विशेषज्ञों ने भी कहा है कि इजरायल ने नरसंहार की हद पार कर दी है. इजरायल ने वेस्ट बैंक में भी बहुत जुल्म किए हैं. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि वेस्ट बैंक में इजरायल की हिंसा बहुत बढ़ गई है. इजरायल ने वेस्ट बैंक में नए इलाके बनाए हैं और फिलिस्तीनियों को वहां से हटाया है. इजरायल ने वेस्ट बैंक पर अपना कब्जा और मजबूत किया है. अगस्त 2024 में इजरायल ने वेस्ट बैंक पर बहुत बड़ा हमला किया था.

इजरायल की बस्तियां: अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ
इजरायल की ओर से वेस्ट बैंक में बनाई गई बस्तियां अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हैं. इन बस्तियों को बनाना, उनका रख-रखाव करना और उनका विस्तार करना युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध माना जाता है. 

अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार, किसी कब्जे वाले इलाके में रहने वाले लोगों को जबरन हटाना या उन जगहों पर अपनी आबादी बसाना गैर-कानूनी है. इसके अलावा, बस्तियों के लिए संपत्ति का विनाश और हड़पना भी अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल द्वारा बस्तियों का विस्तार जारी रखना कब्जे को और मजबूत कर रहा है.

इजरायल की बस्तियों की वजह से फिलिस्तीनियों के मानवाधिकारों का बहुत बड़ा उल्लंघन हो रहा है. ये बस्तियां वेस्ट बैंक को अलग-थलग कर रही हैं और फिलिस्तीनियों के सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा डाल रही हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भी कहा है कि इजरायल की बस्तियां दो-राष्ट्र समाधान और शांति के लिए एक बड़ी बाधा हैं.

ICJ का ऐतिहासिक फैसला: इजरायल का कब्जा गैरकानूनी
जुलाई 2024 में इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि इजरायल का सैन्य कब्जा गैरकानूनी है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. ICJ ने यह भी पाया कि इजरायल ने अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन सम्मेलन (CERD) के तहत नस्लीय भेदभाव और रंगभेद के निषेध का उल्लंघन किया है. 

ICJ ने आगे कहा कि इजरायल द्वारा कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र पर स्थायी नियंत्रण का दावा करना और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को लगातार कुचलना अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है. ये इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में उपस्थिति को गैरकानूनी बनाता है. यह गैरकानूनी स्थिति 1967 में इजरायल द्वारा कब्जे किए गए पूरे फिलिस्तीनी क्षेत्र पर लागू होती है.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और कई मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, इजरायल ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ एक बहुत ही बुरा और अन्यायपूर्ण व्यवस्था बना रखी है. इस व्यवस्था में इजरायल फिलिस्तीनियों को हर जगह दबाता और सताता है. इजरायल ने कई कानून और नियम बना रखे हैं जिससे फिलिस्तीनी अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाते. वेस्ट बैंक में तो यह और भी बुरा है. वहां यहूदी बस्तियों के लिए एक अलग कानून है, जबकि फिलिस्तीनियों पर सख्त सैन्य कानून लागू है.

यूरोपीय संस्थाओं का इजरायली कंपनियों को फंड करना सही है?
इजरायल का कब्जा गैरकानूनी है. इसलिए, दूसरे देशों और कंपनियों पर भी कुछ जिम्मेदारियां हैं. इंटरनेशनल कोर्ट ने साफ कहा है कि दूसरे देशों को इजरायल के कब्जे को मान्यता नहीं देनी चाहिए और न ही उसका समर्थन करना चाहिए.

दूसरे देशों को इजरायल के साथ ऐसे कारोबार नहीं करने चाहिए जो उसके कब्जे को मजबूत करें. उन्हें इजरायल के कब्जे को मान्यता देने वाले कदम नहीं उठाने चाहिए और ऐसे कारोबार या निवेश से बचना चाहिए जो इजरायल के कब्जे को बनाए रखने में मदद करते हैं.

सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ICJ के फैसले का समर्थन किया. महासभा ने सभी देशों से कहा कि उन्हें इजरायल के कब्जे को मान्यता नहीं देनी चाहिए और न ही उसका समर्थन करना चाहिए. महासभा ने देशों से यह भी कहा कि वे अपने नागरिकों, कंपनियों और संस्थाओं को इजरायल के कब्जे को समर्थन देने वाले कारोबार करने से रोकें. साथ ही, देशों को इजरायल को हथियार और सैन्य उपकरण देने से बचना चाहिए, खासकर अगर उन्हें लगता है कि इनका इस्तेमाल कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में किया जा सकता है.

800+ यूरोपीय संस्थानों का इजरायली अवैध बस्तियों में निवेश: अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन?

कारोबार और मानवाधिकार में नए कानून और नियम
24 मई 2024 को यूरोपीय संघ ने एक नया कानून बनाया जिसे कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी ड्यू डिलिजेंस डायरेक्टिव (CSDDD) कहा जाता है. यह कानून 25 जुलाई 2024 से लागू हुआ. इस कानून के मुताबिक, बड़ी कंपनियों को अपनी सप्लाई चेन में मानवाधिकारों और पर्यावरण के जोखिमों का पता लगाना होगा और उनसे निपटना होगा. यूरोपीय संघ के देशों के पास अब दो साल का समय है कि वे इस कानून को अपने देश के कानून में शामिल करें. 

हालांकि यह कानून कारोबार में जिम्मेदारी बढ़ाने की दिशा में एक अच्छा कदम है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं. इस नए कानून की एक बड़ी कमी यह है कि यह कंपनियों को अपने सप्लाई चेन के अंत में होने वाले प्रभावों पर ध्यान देने के लिए नहीं कहता है. वित्तीय संस्थानों को तो और भी कम जिम्मेदारी दी गई है. उन्हें अपने निवेश और कर्ज देने वाली कंपनियों के कामकाज पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है.

यूरोपीय वित्तीय संस्थाओं का क्या कहना है
इस रिपोर्ट में जिन कंपनियों और बैंकों का नाम लिया गया है, उन्हें रिपोर्ट पढ़ने और अपनी राय देने का मौका दिया गया. कुल मिलाकर 156 बैंकों और 56 कंपनियों से संपर्क किया गया था. रिपोर्ट पब्लिश होने तक कुल 37 बैंकों और 3 कंपनियों ने अपनी बात रखी. ज्यादातर बैंकों ने अपने जवाबों में ज्यादा जानकारी नहीं दी है. उन्होंने सिर्फ अपने बैंक के मानवाधिकार नियमों का हवाला दिया है. कुछ बैंकों ने थोड़ी ज्यादा जानकारी दी है, लेकिन उनमें भी कुछ सामान्य बातें ही दोहराई गई हैं.

कई बार, वित्तीय संस्थानों का कहना होता है कि कुछ उत्पादों का इस्तेमाल अच्छे और बुरे दोनों कामों के लिए किया जा सकता है. इसलिए, वो कंपनियों से अपना निवेश नहीं निकालते, जो इन उत्पादों को बनाती हैं. उदाहरण के लिए, भारी मशीनों का इस्तेमाल सड़क बनाने में भी हो सकता है और घर तोड़ने में भी.

लेकिन ये बहाना सही नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के मुताबिक, वित्तीय संस्थानों को अपने सभी कारोबारी संबंधों, परियोजनाओं और उत्पादों से जुड़े मानवाधिकार जोखिमों की पहचान करनी चाहिए. कुछ उत्पाद, जैसे कि कीटनाशक या हथियार अपने आप में खतरनाक हो सकते हैं, या फिर उन्हें इस्तेमाल करने के तरीके के कारण मानवाधिकारों के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

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