भारत वायु प्रदूषण की आपदा के मुहाने पर खड़ा है। यहां हर साल हाई ब्लड प्रेशर (हृदय रोग) के बाद सबसे ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण की वजह से होती हैं। डायबिटीज, कैंसर से होने वाली मौतें भी इससे कम हैं। जहरीली हवा से भारत में हर साल 21 लाख लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। यही नहीं, लोगों की उम्र भी घट रही। उनकी कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
चेन्नई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ काम कर रहीं देश की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कल्पना बालाकृष्णन आईआईटीआर में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को लखनऊ में थीं।
वायु प्रदूषण पर किए गए उनके शोध व रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल, लैंसेट समेत दुनिया की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अमर उजाला से खास बातचीत में भारत के संदर्भ में साइलेंट आपदा कहे जाने वाले वायु प्रदूषण को लेकर उन्होंने अपनी चिंता साझा की।
डॉ. कल्पना का कहना है कि विभिन्न वैज्ञानिक शोध, आईक्यू-एयर और स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से सालाना 21 लाख लोग मौत के शिकार हो रहे हैं।