भारत में न तो ड्रग्स की खपत होने देनी चाहिए और न ही यह होना चाहिए कि उसे यहां लाकर अन्य देशों को भेजा जाए। भारत सरकार को उन कारणों की तह तक जाना चाहिए, जिनके चलते ड्रग्स के कारोबारियों ने भारत को आसान ठिकाना समझ लिया है और जिसके चलते आए दिन ड्रग्स की बड़ी खेप देश के विभिन्न हिस्सों से बरामद की जा रही है। भारत में एक ओर अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं ईरान से ड्रग्स आ रही है तो दूसरी ओर थाइलैंड, लाओस तथा म्यांमार के रास्ते से।

चूंकि समुद्री मार्ग के साथ जमीनी रास्तों से भी ड्रग्स आ रही है, इसलिए भारत को कहीं अधिक सतर्कता बरतनी होगी। चिंता की बात केवल यह नहीं कि नशे के कारोबारी ड्रग्स की खेप भारत लाकर उसकी आपूर्ति अन्य देशों में कर रहे हैं, बल्कि यह भी है कि उनके बीच कुछ तत्व ऐसे भी हैं, जो उसे भारत में ही खपा रहे हैं। यह एक तथ्य है कि पिछले कुछ समय से देश के अनेक छोटे शहरों में भी ड्रग्स की वह खेप पकड़ी गई है, जिसे स्थानीय स्तर पर खपाने के लिए लाया गया था। इस कारोबार में जो भी लिप्त हैं, उन पर कहीं अधिक सख्ती दिखाई जानी चाहिए, क्योंकि वे केवल युवा पीढ़ी को बर्बाद ही नहीं कर रहे, बल्कि ड्रग्स माफिया के रूप में उभरकर कानून एवं व्यवस्था और कई बार तो आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन रहे हैं।

यह किसी से छिपा नहीं कि आम तौर पर माफिया समूह और आतंकी संगठन ड्रग्स से होने वाली काली कमाई के जरिये ही फलते-फूलते हैं। साफ है कि ड्रग्स का कारोबार आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। निःसंदेह भारतीय एजेंसियां नशे के कारोबारियों की कमर तोड़ने के लिए कहीं अधिक ताकत से सक्रिय हैं और इसमें उन्हें कामयाबी भी मिली है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि नशा मुक्त भारत का लक्ष्य आसान नजर आ रहा है।