एमपी में सालभर में 385 करोड़ उड़ाए ?

ठगी का पैसा 5 मिनट में 150 अकाउंट्स में घूमा
पुलिस समझे, उससे पहले रकम जालसाजों की जेब में; एमपी में सालभर में 385 करोड़ उड़ाए

ईसी साल अगस्त के पहले हफ्ते में भोपाल के रहने वाले कारोबारी मोना सिंह को साइबर ठगों ने अपना निशाना बनाया। शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर उनसे ढाई करोड़ की ठगी की। मोना सिंह ने साइबर क्राइम पुलिस को शिकायत की। पुलिस पिछले तीन महीने से साइबर ठगी की पहेली को सुलझाने में जुटी है।

पहेली इसलिए क्योंकि ठगों ने महज 10 मिनट के अंतराल में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और इस तरह से डेढ़ सौ खातों में मोना सिंह का पैसा ट्रांसफर किया था। पुलिस अब तक ये पता नहीं लगा सकी है कि पैसा आखिर में किसके पास पहुंचा। जांच में ये भी पता चला कि जिन खातों में पैसा घुमाया गया, वो किराए से लिए गए थे।

मध्यप्रदेश की भोपाल पुलिस ने हाल ही में बिहार के एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जिसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 1800 बैंक अकाउंट्स खुलवाए और इन्हें साइबर फ्रॉड करने वालों को बेचा। हर बैंक खाते के एवज में गिरोह 10 हजार रुपए वसूल करता था। इस तरह केवल खाते बेचकर ही बिहार के इस गिरोह ने 2 करोड़ रुपए कमाए हैं।

किराए के खातों का जालसाजी में किस तरह से इस्तेमाल होता है? इन खातों की जानकारी लगने के बाद भी पुलिस असली जालसाज तक क्यों पहुंच नहीं पाती? कैसे इन खातों में पैसा घूमता रहता है,

 

दो केस से समझिए, पैसा किस तरह एक से दूसरे खाते में ट्रांसफर होता है…

केस1: 1.5 करोड़ रुपए 294 खातों में घुमाए

एक सरकारी अधिकारी के साथ शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 1.5 करोड़ की ठगी की गई। अधिकारी ने साइबर पुलिस को इसकी शिकायत की। पुलिस ने जब इस केस का इन्वेस्टिगेशन शुरू किया तो वह भी यह देखकर हैरान रह गई कि डेढ़ करोड़ की रकम को 294 खातों में ट्रांसफर किया गया था।

इस केस के बारे में बताते हुए साइबर सेल के जांच अधिकारी और एसआई देवेंद्र साहू कहते हैं कि ठगों ने पहली बार इस राशि को आठ अकाउंट में ट्रांसफर किया। इसके बाद दूसरी लेयर तैयार की और 5 खातों में ये पैसा ट्रांसफर हुआ। तीसरी लेयर में 13, चौथी में 195 और इस तरह से 13 लेयर में ये पैसा 294 खातों में ट्रांसफर हुआ।

साहू कहते हैं कि पैसा केवल ट्रांसफर ही नहीं हो रहा था बल्कि उसे खातों से निकाला भी जा रहा था। पुलिस अब 294 खाताधारकों की डिटेल निकालकर इसकी पड़ताल कर रही है।

केस2: 11 राज्यों के 150 खातों में ट्रांसफर हुए पैसे

ये केस भी शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 2.5 करोड़ रुपए के फ्रॉड से जुड़ा है। तीन महीने पहले हुए इस मामले की जांच कर रहे साइबर सेल के एसआई भरत प्रजापति बताते हैं कि इस केस में पैसा सबसे पहले 20-20 लाख की किस्तों में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के 12 खातों में ट्रांसफर हुआ।

इसके बाद यहां से 15-15 लाख रुपए केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा के 25 से ज्यादा खातों में ट्रांसफर हुए। पैसों के घूमने का सर्किल यहां जाकर नहीं रुका बल्कि जालसाज 5 से 7 लाख रुपयों को इन्हीं 11 राज्यों के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करते रहे।

इस बीच एटीएम से लेकर बैंकों की ब्रांच से रुपया निकलता गया। अब जिन खातों का इस्तेमाल हुआ, वे सब किराए के खाते थे। ऐसे में पता लगाना मुश्किल है कि असल में पैसा किसके खाते में गया।

‘मनी म्यूल’ का इस्तेमाल कर ट्रांसफर करते हैं पैसा

साइबर एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी कहते हैं कि फ्रॉड करने वाले मनी ट्रेल के लिए अलग-अलग लोकेशन पर नहीं बैठते, न ही इनका नेटवर्क हर राज्य में होता है। ये केवल लोगों के खाते इकट्ठा करते हैं। जो लोग अपने खाते ठगों को इस्तेमाल करने के लिए देते हैं, वो मनी म्यूल कहलाते हैं।

चतुर्वेदी के मुताबिक, घोड़े या गधे के हाइब्रिड बच्चे को म्यूल कहा जाता है यानी जिस तरह गधे और घोड़े सामान ढोने के काम आते हैं, उसी तरह मनी म्यूल अपने अकाउंट में ये पैसा ढोते हैं। कुछ तो ऐसे लोग होते हैं, जो अनजाने में ही मनी म्यूल हो जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि उनका अकाउंट का गलत इस्तेमाल हो रहा है।

कुछ लोग पैसे के लालच में अपना अकाउंट किराए पर देते हैं, तो कुछ को लगता है कि वे ऐसा कर नौकरी कर रहे हैं। मनी म्यूल के अकाउंट्स का इस्तेमाल कर ठग तीन-चार कंप्यूटर सिस्टम से सारे अकाउंट्स ऑपरेट करते हैं।

भोपाल में ठगी, दुबई के एटीएम से निकले रुपए

भोपाल के मोहम्मद जैनुल के साथ जुलाई में शेयर ट्रेडिंग एप के नाम पर 10 लाख रुपए की ठगी हुई। उनके अकाउंट से 23 जुलाई को पहली बार में 6.35 लाख रुपए और कुछ घंटे बाद 2.85 लाख रुपए ट्रांसफर हुए। साइबर सेल के एसआई देवेंद्र साहू बताते हैं कि ठगों ने 6.35 लाख रुपए आइएमपीएस से यूको बैंक भुसावल में ट्रांसफर किए।

यहां से आधे पैसे केरल के केनरा बैंक तो बाकी पैसा इसी बैंक के दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हुआ। इसके कुछ ही देर बाद दुबई में इन्हीं अकाउंट के एटीएम से 99-99 हजार रुपए सात बार में निकाले गए। बाकी बची रकम को चेकबुक के जरिए निकाला गया।

पैसा केरल की बैंक में ट्रांसफर हुआ और ट्रांजेक्शन दुबई से कैसे हुआ? इस बारे में साहू बताते हैं कि ठग पूरी प्लानिंग से काम करते हैं। वे पहले ही पैसों का लालच देकर लोगों को दुबई की सैर कराते हैं। उनके पास भारत के बैंक का एटीएम कार्ड होता है। इंटरनेशनल एटीएम से एक बार में 99 हजार रुपए निकाले जा सकते हैं। इस नियम का वे बेजा फायदा उठा रहे हैं।

 

बैंकिंग और टेलीकॉम कंपनियों की बड़ी जिम्मेदारी

साइबर ठग एक बार किसी के साथ ठगी करते हैं तो पैसा वापस मिलना बेहद मुश्किल होता है। पुलिस के आंकड़े भी यही कहते हैं। राज्य साइबर सेल ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने जो आंकड़े पेश किए, उनमें बताया कि इसी साल जालसाजों ने अलग-अलग तरीके अपनाकर लोगों से 385 करोड़ रुपए ठग लिए, मगर रिकवरी 10 फीसदी से भी कम है। ऐसे मामलों में पुलिस के हाथ उन लोगों तक ही पहुंच पाते हैं, जो अपने बैंक अकाउंट किराए से देते हैं।

सहायक पुलिस आयुक्त सुजीत तिवारी कहते हैं कि दरअसल, पुलिस के पास शिकायतकर्ता ठगी होने के एक या दो दिन बाद आता है। तब तक ये पैसा कई अकाउंट्स में ट्रांसफर हो जाता है।

वे कहते हैं कि ठगी होने के 2-3 घंटे में सूचना मिल जाती है तो मनी ट्रेल के चांस कम हो जाते हैं। तिवारी ये भी कहते हैं कि पुलिस से ज्यादा जिम्मेदारी तो बैंकिंग और टेलीकॉम कंपनियों की है। बैंक आसानी से बिना जांच-परख के अकाउंट खोल रहे हैं। इसी तरह सिम बेचने वाली टेलीकॉम कंपनियों को भी बिना वैरिफिकेशन के सिम नहीं देना चाहिए।

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