कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे अध्यापकों का शोषण कैसे रुकेगा?
कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे अध्यापकों का शोषण कैसे रुकेगा?
कॉन्ट्रैक्ट और गेस्ट फैकल्टी के रूप में काम कर रहे शिक्षकों की बढ़ती संख्या ने शैक्षिक संस्थानों के कार्यकलापों और शैक्षिक गुणवत्ता पर असर डाला है.
भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में स्थायी और कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के बीच बढ़ते अनुपात ने एक नई चिंता को जन्म दिया है. अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) के मुताबिक, वर्तमान में सरकारी विश्वविद्यालयों और यूनिवर्सिटीज में 10,81,116 स्थायी शिक्षक और लगभग 2,43,075 कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक हैं. इसका मतलब है कि सरकारी संस्थानों में हर 4 स्थायी शिक्षकों के मुकाबले 1 कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक है. वहीं, निजी संस्थानों में 1,54,621 स्थायी और लगभग 10,453 कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक काम कर रहे हैं. यहां अनुपात हर 15 स्थायी शिक्षकों के मुकाबले 1 कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक का है.
कॉन्ट्रैक्ट और गेस्ट फैकल्टी के रूप में काम कर रहे शिक्षकों की बढ़ती संख्या ने शैक्षिक संस्थानों के कार्यकलापों और शैक्षिक गुणवत्ता पर असर डाला है. ऐसे शिक्षकों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया जाता है और उन्हें स्थायी शिक्षकों के मुकाबले कम वेतन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर उन्हें शोषण और भेदभाव का सामना भी करना पड़ रहा है.
इस असमानता को हाइलाइट करने के लिए सोमवार यानी 2 दिसंबर को कांग्रेस सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी ने लोकसभा में पूछा कि क्या केंद्र सरकार भारत के यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ाने वाले कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी के लिए एक ऐसा सिस्टम बनाएगी, जिससे उनके वेतन और कॉन्ट्रैक्ट में समानता आ सके और उन्हें उनके काम के लिए बराबरी का मुआवजा मिले. इस सवाल के जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि फिलहाल सरकार के पास ऐसा कोई प्लान नहीं है.
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि अगर सरकार के पास कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी स्थायी पदों के बराबर वेतन और सुविधाएं देने का कोई प्लान नहीं है तो ऐसे में इन अध्यापकों का शोषण कैसे रुकेगा?
कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी की वर्तमान स्थिति
पटना यूनिवर्सिटी में पिछले 3 साल से कॉन्ट्रैक्ट पर पढ़ा रहे प्रोफेसर कुणाल झा ने एबीपी से बातचीत में कहा कि कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी का शोषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है. भारत के सरकारी विश्वविद्यालयों और यूनिवर्सिटी में लगभग 2.43 लाख कॉन्ट्रैक्चुअल फैकेल्टी मेंबर हैं. वहीं, निजी संस्थानों में 10,453 कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक हैं. इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन उन्हें मिलने वाला वेतन और सुविधाएं बहुत ही कम हैं.
कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षक आमतौर पर अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं, जिनमें उन्हें सीमित समय के लिए नियुक्त किया जाता है. इनका काम स्थायी शिक्षकों के बराबर होता है, फिर भी इन्हें न तो स्थायी कर्मचारियों जैसी सुरक्षा मिलती है और न ही समान वेतन. इसके अलावा, कई बार तो वो बिना किसी अवकाश के काम करते हैं और उनके पास किसी प्रकार के पेंशन या स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं भी नहीं होतीं.
कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के शोषण के कारण
कम वेतन और असमान लाभ: कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट फैकल्टी को परमानेंट शिक्षकों के मुकाबले बहुत कम वेतन मिलता है. कई बार तो उनका वेतन न्यूनतम वेतन से भी कम होता है. इसके अलावा, उन्हें पेंशन, चिकित्सा लाभ या अवकाश जैसी स्थायी कर्मचारियों के लाभ नहीं मिलते.
अस्थिर नौकरी: कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के लिए नौकरी स्थायी नहीं होती है. उनका कॉन्ट्रैक्ट कुछ महीनों या सालों तक ही होता है, जिसके बाद उन्हें फिर से नियुक्ति के लिए आवेदन करना पड़ता है. इस अस्थिरता के कारण उनका भविष्य अनिश्चित रहता है.
काम के घंटे: कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों और गेस्ट फैकल्टी स्थायी शिक्षकों की तरह ही पूरी मेहनत और समय लगाकर काम करते हैं, लेकिन उनके काम के घंटे असमान होते हैं और अक्सर उन्हें अतिरिक्त घंटों के लिए भुगतान नहीं किया जाता.
आवश्यक सुविधाओं का अभाव: इन शिक्षकों को शैक्षिक संस्थानों में काम करने के लिए बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव होता है. उन्हें अपनी कार्य शक्ति और क्षमता के अनुरूप काम करने के लिए सुविधाएं नहीं मिलती, जिससे वे अपने कर्तव्यों को ठीक से निभाने में असमर्थ होते हैं.
सरकार की भूमिका और कानूनी ढांचा
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शरद दास ने एबीपी से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे कॉन्ट्रैक्ट और अतिथि शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए. हालांकि, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने लोकसभा में यह स्पष्ट किया है कि सरकार के पास कॉन्ट्रैक्चुअल और गेस्ट शिक्षकों के लिए कॉन्ट्रैक्ट और वेतन के मानकीकरण के लिए कोई राष्ट्रीय योजना नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा का विकास राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है और केंद्र केवल उनका समर्थन करता है.
इसके बावजूद, सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों का शोषण शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रभाव डालता है. एक ठोस राष्ट्रीय वेतन ढांचा स्थापित किया जा सकता है, जो न केवल वेतन में समानता लाए, बल्कि इन शिक्षकों को स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं भी प्रदान करे.
कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम
राष्ट्रीय मानक वेतन ढांचा: सरकार को एक राष्ट्रीय वेतन ढांचा स्थापित करना चाहिए, ताकि सभी शिक्षकों को उनके कार्य के अनुसार समान मुआवजा मिल सके. इस ढांचे में यह सुनिश्चित किया जाए कि कॉन्ट्रैक्चुअल और स्थायी शिक्षकों के बीच वेतन और सुविधाओं में कोई अंतर न हो.
स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया: कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों को एक निश्चित समय के बाद स्थायी पदों पर नियुक्ति के लिए अवसर मिलना चाहिए. इसके लिए एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए, जिससे वे अपने करियर को सुरक्षित महसूस कर सकें.
सेवा सुरक्षा और लाभ: कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों को पेंशन, चिकित्सा लाभ, बीमा और अन्य कर्मचारियों को लाभ मिलना चाहिए. यह उन्हें एक स्थिर जीवन जीने का अवसर देगा और शैक्षिक संस्थानों में उनकी कार्य क्षमता में सुधार होगा.
कार्य के घंटे और अवकाश: कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के लिए निर्धारित कार्य के घंटे और अवकाश सुनिश्चित किए जाने चाहिए. उन्हें साप्ताहिक अवकाश और अन्य अधिकारों का समान रूप से पालन किया जाना चाहिए, जैसा कि स्थायी कर्मचारियों को मिलता है.
वर्तमान में कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों को कितना मिलता वेतन
UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मचारियों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों में यह कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों को कम से कम सहायक प्रोफेसर के समान वेतन मिलना चाहिए. इसके अलावा, साल 2019 में UGC ने अस्थायी यानी कॉन्ट्रैक्चुअल शिक्षकों के वेतन को बढ़ाने के लिए नए नियम बनाए. अब, अस्थायी शिक्षकों को हर लेक्चर के लिए कम से कम 1500 रुपये मिलेंगे, और उनका मासिक वेतन कम से कम 50,000 रुपये होगा. इसका मतलब है कि अब अस्थायी शिक्षकों को पहले से ज्यादा वेतन मिलेगा.