गंगा में 50 नालों के सीवेज का पानी, कुंभ को लेकर NGT की चेतावनी ?
गंगा में 50 नालों के सीवेज का पानी, कुंभ को लेकर NGT की चेतावनी
महाकुंभ में आने वाले लोग आमतौर पर गंगा नदी में स्नान करते हैं ऐसे में एनजीटी ने पूछा है कि गंगा नदी में जाने वाले 50 नालों के पानी को रोकने के लिए क्या जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं? इसमें नहाने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां की जा रही हैं. सड़कों से लेकर तमाम आधारभूत सुविधाओं पर काम किया जा रहा है. यहां लगभग 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. ऐसे में एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण की तरफ से तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की गई है. महाकुंभ का आयोजन गंगा नदी के किनारे विशाल स्तर पर किया जा रहा है. यहां आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान जरूर करते हैं. एनजीटी की तरफ से गंगा नदी में जाने वाले सीवेज को पानी को लेकर कहा है कि अगर इसके बहाव को नदी में आने से नहीं रोका गया तो महाकुंभ मेले में आने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है.
प्रयागराज में ये कुंभ मेला 40 दिनों तक रहेगा. इस मेले में लाखों की संख्या में विदेशों से भी श्रद्धालु आ सकते हैं. मकर संक्रांति यानी खिचड़ी के पर्व से यहां स्नान शुरू होगा और आखिरी स्नान महाशिवरात्रि के दिन यानी 26 फरवरी को होगा. एनजीटी का कहना है कि ऐसे में स्नान पर्व और बाकी के दिनों में यहां नहाने वाले श्रद्धालु गंदे पानी से प्रभावित हो सकते हैं.
50 नालों से सीवेज का गंदा पनीएनजीटी के मुताबिक, प्रयागराज के रसूलाबाद से संगम में कुल 50 नालों से सीवेज का गंदा पानी गिर रहा है. ये करीब 8 किलोमीटर के क्षेत्र तक फैला हुआ है. 2024 के सितंबर में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने अधीन एक समिति बनाई. उनसे गंगा नदी में जाने वाले गंदे पाने से निपटने के लिए उठाए गए कदम और उपायों पर 23 नवंबर तक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया था.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने 29 नवंबर को एक आदेश जारी किया. उन्होंने आदेश में कहा कि ‘उच्चस्तरीय समिति से गंगा नदी में जाने वाले सीवेज के पाने को लेकर किसी तरह की रिपोर्ट दाखिल नहीं गई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए समिति की तरफ से समय बढ़ाने को भी नहीं कहा गया है. एनजीटी के इस विषय को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कुंभ मेले के शुरू होने से पहले गंगा नदी में पाने के गंदे प्रवाह को रोकने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाने चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 दिसंबर की तारीख को तय किया गया है.