जेड प्लस सिक्योरिटी के बावजूद गोल्डन टेंपल के बाहर सुखबीर बादल ?

 जेड प्लस सिक्योरिटी के बावजूद गोल्डन टेंपल के बाहर सुखबीर बादल पर हमले से उठ रहे कई सवाल

पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हमला कई सारे सवाल उठा रहे हैं. पंजाब सरकार की तरफ से की जाने वाली सुरक्षा, वो चाहे गोल्डन टेंपल की सुरक्षा हो या फिर और जगहों की सुरक्षा हो… उस पर एक सवाल है कि कोई भी हमलावर किसी के ऊपर आसानी से हमला कर सकता है. ये पंजाब सरकार की तरफ से सुरक्षा को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, उस पर ये सवाल खड़ा करता है.

दूसरा सवाल ये कि स्वर्ण मंदिर जैसी खास जगहों पर, जहां पर देश-दुनिया के लोग आते हैं, वो भी अगर सुरक्षित नहीं है तो बात बड़ी हो जाती है. स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा के अपने लेयर्स हैं, उस पर भी सवाल उठ रहा है. तीसरा ये कि जो पुलिस स्वर्ण मंदिर को सुरक्षा देती है, उस पर भी सवाल है.

खास बात ये कही जा रहा है कि इस हमले में जो आरोपी है, उसे एक दिन पहले भी स्वर्ण मंदिर में देखा गया था. ऐसे में जब इस तरह की बात है तो पुलिस ने पहले क्यों नहीं इसे देखा? अब बात अगर हमलावर के कनेक्शन की करें तो इसमें अभी तक जो जानकारी सामने आयी है, उसके मुताबिक कभी 2007 से 2017 के बीच में आर्म्स एक्ट में नारायण सिंह चौड़ा को सजा हुई थी. उसमें नारायण सिंह को जेल हुई थी और उसके बाद 2017 में जेल से बाहर आया था.

नारायण सिंह चौड़ा को लगा था कि सुखबीर बादल की उस दरम्यान सरकार थी और उसी सरकार के चलते जेल हुई. इसके कारण ही निशाने पर लिया गया. ये सब के मन में जरूर सवाल होगा कि आखिर सुखबीर बादल पर नारायण सिंह चौड़ा ने क्यों हमला किया, तो ये एक बड़ी वजह थी उस सरकार के दौरान आर्म्स एक्ट में सजा काटी.

दूसरी बड़ी बात ये है कि नारायण सिंह चौड़ा का कनेक्शन बब्बर सिंह खालसा इंटरनेशनल आतंकी गुट से कनेक्शन सामने आ रहा है. पहले ये पाकिस्तान भी जा चुका है. गुरिल्ला वॉर पर किताब भी नारायण सिंह ने लिखी है कि गुरिल्ला वॉर को कैसे आगे बढ़ाया जाए. ये भी कथित तौर पर चर्चा में है.

हालांकि, भारत आज से नहीं बल्कि 80 के दशक से ही आतंकवाद और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सामना कर रहा है. पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी शातिर रणनीति में थोड़ी तब्दिली की है. पहले वे प्रशिक्षित आतंकी गुटों को भेजा करता था, लेकिन अब उसने खालिस्तान मूवमेंट का समर्थन करना शुरू किया. उनको आर्म्स से लेकर तमाम अन्य मदद मुहैया करानी शुरु कर दी.     

इसकी वजह से भारत के खिलाफ खालिस्तान मूवमेंट को खड़ा करने की फिर से कोशिश की जा रही है, जबकि भारत ने अपने स्तर पर पाकिस्तान को कई बार मैसेज दिया है. उसे समझाया है कि इस तरह से चीजें न हो. आतंकवाद को खत्म करने के लिए लगातार दबाव डाल रहे हैं. पाकिस्तान में आतंकवाद खत्म करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी है. उसके बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.

पंजाब में जब भारत सरकार ने आतंकवाद को खत्म किया था और लोगों का जीवन जनसामान्य हो गया, इसके बाद भी पिछले कुछ समय से लगातार खालिस्तान मूवमेंट में तेजी देखी जा रही है. कनाडा से लोगों की तरफ से इस खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देने की कोशिशें की जा रही हैं. वहां के कुछ नागरिक भारत में आतंकी घटनाओं में लिप्त हैं और ऐसे लोगों को कनाडा में संरक्षण मिलता है. उसमें वहां की सरकार भी शामिल है, जिसकी वजह से भारत और कनाडा का संबंध तनावपूर्ण बना हुआ है. 

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी कुछ खालिस्तान समर्थक लोग जाकर पनाह ले लेते हैं, जो भारत में वांछित हैं. कहने का तात्पर्य ये है कि भारत के खिलाफ जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद का प्रयोग किया जा रहा है, इसे एक तरह से छद्म वॉर के तौर पर भी देखा जा सकता है. भारत कड़ाई से इसका सामना करता भी है, इन सब चीजों को विफल करता है. लेकिन, निश्चित तौर पर जो कुछ चुनिंदा देश हैं, जो आतंकवाद को प्रश्रय देकर भारत को परेशान कोशिश करता रहता है. हालांकि, उसमें वो सफल नहीं होते हैं, लेकिन उसकी कोशिश लगातार जारी रहती है.

हाल की अगर घटनाओं का जिक्र करें तो बांग्लादेश को ही ले लीजिए, जहां पर हिन्दुओं पर हमले किए जा रहे हैं. जब से शेख हसीना की सरकार हटी है और जमात-ए-इस्लामी की सरकार आयी है, उसके बाद से क्योंकि जमात-ए-इस्लामी कट्टरपंथी और पाकिस्तान समर्थित ग्रुप है, इसलिए पाकिस्तान वहां से उसकी मदद कर रहा है.

ऐसे में बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक विचारों को बढ़ावा देकर एक तरफ जहां हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश की अपनी एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष की छवि थी, विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, ऐसे में जब से जमात की सरकार आयी है, कट्टरवाद बढ़ गया है.

इसका सीधा असर भारत पर होता है, वहां से घुसपैठिए भारत में आते हैं. ऐसे में भारत इस वक्त इस्लामिक आतंकवाद या यूं कहें कि इस्लामिक कट्टरवाद दोनों मुहाने पर खड़ा हो गया है. एक तरफ बांग्लादेश है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान है. पाकिस्तान भी कट्टरवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देकर कश्मीर को लगातार अशांत करने की कोशिश में लगा रहता है. 

इसके अलावा, पाकिस्तान को खालिस्तानी मवमेंट को फिर से हवा देने का मौका मिल गया है. यानी भारत को तीन तरह से घेरने की कोशिशें की जा रही है. कश्मीर में जाकर पाकिस्तान अशांति फैला ही रहा है, अब बांग्लदेश में जाकर उपद्रव कर रहा है. इसके अलावा, वो अब खालिस्तानी मूवमेंट को बढ़ावा दे रहा है. इन सभी चीजों को देखते हुए भारत सरकार को इसके काउंटर में कदम उठाने चाहिए. हालांकि, भारतीय विदेश नीति काफी उदार रही है. सभी पड़ोसियों को साथ लेकर चलने की कोशिशें है. लेकिन जो कट्टर इस्लामिक संगठन है, वो भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर धब्बा लगाने की कोशिश करना चाहता है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि …. न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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