शीतकालीन सत्र ….. न विधायकों को जवाब मिल रहे, न मंत्रियों के वादों का पता ?
शीतकालीन सत्र की तैयारियों से जुड़े रिव्यू में सामने आया है कि विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के सरकार जवाब ही नहीं दे रही है। यदि दिए भी हैं तो वह भी अधूरे हैं। शून्यकाल में यदि किसी विधायक ने कुछ पूछा है तो वह भी पेंडिंग है। हैरान करने वाली बात है कि विधायकों के सवालों पर मंत्रियों की ओर से जो वादे-आश्वासन दिए जाते हैं और सिफारिशें होती हैं, वह भी सैकड़ों की संख्या में धूल खा रहे हैं।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने विधानसभा से जुड़े मसलों को लेकर गुरुवार को मंत्रालय में मीटिंग की। इसमें विभागों के प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में जैन ने कहा कि दिल्ली रहा हूं। वहां काफी एक्सरसाइज होती थी, तत्परता से काम करते थे। यहां तो शून्यकाल की सूचनाओं के जवाब भी पेंडिंग हैं। जैन ने यह भी कहा कि शीतकालीन सत्र में काफी विधेयक आने वाले हैं। इसकी तैयारी जल्द से जल्द हो। 10 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक है। इसमें बिल को हरी झंडी मिलेगी।
इस पर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कहा कि 14-15 बिल आने हैं और तैयार 203 बिल ही हैं। आखिरी समय में बिल आते हैं तो उनके प्रकाशन के दौरान तथ्यों में गड़बड़ हो जाती है। सरकार चाहे तो विधानसभा को पहले बता दें कि वह कितने बिल ला रही है। मुख्य सचिव ने कहा, विधानसभा भी बड़े प्रश्नों से जुड़े मामलों को देखे। अनावश्यक उत्तर के चक्कर में लंबा वक्त और समय लगता है। सिंह ने कहा, इसका ध्यान रखेंगे।
बाबुओं की टीप पर निर्णय न लें अफसर
मुख्य सचिव ने फिर दोहराया कि अधिकारी सिर्फ बाबुओं की टीप पर निर्णय न करें। खुद रुचि लेकर जिम्मेदारी से निर्णय लें। बाबू कुछ फाइल में लिखकर दे दे, इसका इंतजार न करें। विधानसभा से जुड़े जितने भी मामले में उन्हें तेजी से निपटाएं।
शून्य काल पर नजर
मप्र में शून्यकाल के जवाब भी सरकार में पेडिंग हैं। कुल 43 मामले हैं। सर्वाधिक 12 केस राजस्व महकमे के हैं। फिर पीडब्ल्यूडी की 6, पंचायत एवं ग्रामीण विकास व स्कूल शिक्षा की क्रमश: 4-4 शिकायतें हैं।