सूरत में फेक डॉक्टर सर्टिफिकेट घोटाला ….22 साल से चल रहा था गोरखधंधा ?
सूरत में फेक डॉक्टर सर्टिफिकेट घोटाला, मास्टरमाइंड समेत 14 गिरफ्तार, 22 साल से चल रहा था गोरखधंधा
पांडेसरा पुलिस ने फेक सर्टिफिकेट जारी करने के आरोप में सूरत से रसेश गुजराती और अहमदाबाद से बीके रावत को गिरफ्तार किया है. ये लोग एक साल के लिए सर्टिफिकेट जारी करते थे. और फिर रिन्यूअल के लिए उन्हें हर साल 5 हजार रुपये अलग से देने पड़ते थे.
गुजरात के सूरत शहर में बड़ी संख्या में फेक डॉक्टर मिले हैं. सूरत की पांडेसरा पुलिस ने करीब दो दशक से चल रहे एक बड़े स्तर पर चल रहे फेक मेडिकल डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें मास्टरमाइंड समेत 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अहमदाबाद के डॉक्टर बीके. रावत और डॉक्टर रसेश गुजराती की अगुवाई में इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया. बताया जा रहा है कि रसेश कांग्रेस से जुड़ा हुआ है.
पुलिस के अनुसार, इस घोटाले के जरिए आरोपियों ने 1,500 से अधिक अयोग्य डॉक्टरों को फेक मेडिकल डिग्री जारी करने में मदद की. आरोपियों ने 75 से 80 हजार रुपये में फेक बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन (BEMS) की डिग्री जारी की. पुलिस का अनुमान है कि इस घोटाले के जरिए दोनों डॉक्टरों ने कम से कम 10 करोड़ रुपये कमाए.
फेक सर्टिफिकेट के आधार पर प्रैक्टिसबैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) की डिग्री रखने वाले डॉ. बीके रावत ने घोटाले को अंजाम देने के लिए डिप्लोमा इन होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (DHMS) की डिग्रीधारक डॉ. रसेश गुजराती के साथ मिलकर काम किया. पुलिस के अनुसार, फेक डिग्री हासिल करने के बाद नकली डॉक्टर उसी सर्टिफिकेट के आधार पर प्रैक्टिस करने लगते थे. घोटाला सूरत के पांडेसरा क्षेत्र से शुरू हुआ और इसकी आंच अहमदाबाद तक पहुंच गई.
पुलिस उपायुक्त (जोन-4) विजय सिंह गुर्जर ने खुलासा किया कि इन डिग्रियों को एक ऐसी संस्था, बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन के नाम से जारी की गई थीं, जो अस्तित्व में ही नहीं है. पांडेसरा में पुलिस ने अयोग्य डॉक्टरों की ओर से संचालित क्लीनिकों की जांच में तेजी लाई जिसकी वजह से ये गिरफ्तारियां हुईं.
पांडेसरा में 3 क्लीनिकों पर रेडसूरत पुलिस ने पांडेसरा में चल रहे 3 क्लीनिकों पर छापा मारकर फर्जी डॉक्टरों को पकड़ा. उनके पास बीईएमएस के सर्टिफिकेट हासिल किया और पड़ताल करने पर पता चला ये सूरत के दो डॉक्टरों की ओर से दी गई है. पुलिस ने इस मामले में अब तक कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि रावत और रसेश नाम के दो लोगों के साथ मिलकर 10-12वीं पास बेरोजगारों को 70 से 80 हजार में फेक मेडिकल डिग्री देने का गोरखधंधा चला रहे थे. इतना ही नहीं, वे रजिस्ट्रेशन के लिए हर महीने 5000 रुपये भी ले रहे थे. साल 1992 से चल रहे इस रैकेट में अब तक 1200 लोगों को फर्जी डिग्री दी गई है. पुलिस के अनुसार, हर साल सर्टिफिकेट रिन्यू कराने के लिए 5 हजार रुपए भी देने पड़ते थे.
आरोपी का कांग्रेस पार्टी से नातापांडेसरा पुलिस ने फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने के आरोप में सूरत से रसेश गुजराती और अहमदाबाद से बीके रावत को गिरफ्तार किया है. ये लोग एक साल के लिए सर्टिफिकेट जारी करते थे. और फिर रिन्यूअल के लिए उन्हें हर साल 5 हजार रुपये अलग से देने पड़ते थे. अब अगर कोई फेक डॉक्टर अपनी फीस नहीं दे पाता या जांच की बात करता तो उसे धमकी दी जाती थी.
बताया जा रहा है कि रसेश गुजराती ने इस गोरखधंधे के लिए इरफान और सोबित सिंह नाम के 2 लोगों को काम पर रखा था. ये दोनों लोग ऐसे लोगों को अपने पास बुलाते थे जो डॉक्टर बनना चाहते हैं भले ही वो 10वीं पास ही क्यों न हों. महज एक हफ्ते के अंदर उन्हें सर्टिफिकेट मिल जाया करता था.
हालांकि, पांडेसरा पुलिस की हिरासत में रसेश गुजराती अभी भी अपनी बात पर कायम है कि उसने अपनी डिग्री किसी को नहीं दी है. खुलासा हुआ है कि आरोपी रसेश गुजराती कांग्रेस नेता है. उसे सूरत डॉक्टर सेल का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया. कांग्रेस ने साल 2019 में गुजराती को नियुक्त किया था. पूरी घटना के बाद कांग्रेस का बयान सामने आया है. कांग्रेस नेता हेमांग वासवदा ने कहा कि झोलाछाप डॉक्टर पर कार्रवाई जरूरी है. उनकी मांग है कि नियमों के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए.