महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु, क्या हैं इसके कड़े नियम?
Mahila Naga Sadhu: महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु, क्या हैं इसके कड़े नियम?
हिन्दू धर्म में पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं. अगर कोई महिला नागु साधु बनना चाहती है, तो उसे पहले बेहद कड़े नियमों का पालन करना होता है. यहां तक कि उन्हें भी सांसारिक मोहमाया त्यागनी पड़ती हैं.
महिला नागा साधु भी अपनी पूरी जिदंगी भगवान को अर्पित कर देती हैं. वो भी सारी जिंदगी भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं. पुरुष नागा साधु की तरह ही महिला नागा साधुओं के जीवन से भी रहस्य का पर्दा आज तक नहीं उठ पाया है. आखिर महिला कैसे नागा साधु बन जाती है. महिला नागा साधुओं का दैनिक जीवन कैसा होता है. उनकी दिनचर्या क्या होती है. आज हम आपको महिला नागा साधुओं से जुड़े ऐसे ही सवालों का जवाब देंगे.
महिला नागा साधु बनना आसान नहींकहा जाता है कि महिला नागा साधु बनना आसान नहीं होता. महिलाओं के नागा साधु बनने की प्रक्रिया सरल नहीं होती. ये बेहद कठिन और मुश्किल होती है. महिला नागा साधु बेहद मुश्किल तप करती हैं. महिला नागा साधु का सारा जीवन भगवान के लिए होता है. महिला नागा साधु बाहरी दुनियां में बहुत ही कम दिखाई देती हैं. महिला नागा साधु जंगलों और अखाड़ों में रहती हैं. ये कई सालों तक कठिन तप करती हैं.
इन नियमों का करना होता है पालनकिसी महिला के मन में अगर नागा साधु बनने की इच्छा होती है, तो उसके लिए पहले 6 से 12 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक माना जाता है. जो महिला ऐसा करने में सफलता प्राप्त कर लेती है उसे गुरुओं की ओर से नागा साधु बनने की इजाजत दी जाती है. जो महिला नागा साधु बनती है उसकी पिछले जीवन के बारे में जानकारी ली जाती है. साथ ही जो महिला नागा साधु बनती है उसे अपने गुरुओं को अपनी योग्यता का यकीन दिलाना पड़ता है.
अपना ही पिंडदान करना होता हैइतना ही नहीं जो भी महिला नागा साधु बनती है उसका पहला सिर मुंडवा दिया जाता है. नागा साधु बनने का सबसे अहम पड़ाव है पिंडदान करना. महिला नागा साधु बनने के लिए जीते जी महिला का पिंडदान करा दिया जाता है. पिंडदान के बाद महिला को उस जीवन से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाती है. इसके बाद महिला नागा साधु ये स्वीकार कर लेती है कि वो अब एक अध्यात्म के सफर पर निकल पड़ती हैं और अब उसका सारा जीवन ईश्वर को समर्पित होता है.
महिला नागा साधु पहनती हैं गेरुआ वस्त्रपुरुष नागा साधु तो नग्न ररते हैं, लेकिन महिला नागा साधुओं को गेरुआ वस्त्र धारण करने की इजाजत होती है, लेकिन वो वस्त्र भी कहीं से सिला नहीं होता है. महिला नागा साधुओं के माथे पर तिलक होता है. वो भी अपने पूरे शरीर पर भष्म लगाती हैं. नागा साधुओं की तरह ही, लेकिन अलग जगह पर शाही स्नान करती हैं. महिला नागा साधु सादा जीवन जीती हैं.