आरआई-पटवारी ने सरकारी रिकॉर्ड निजी सर्वेयरों को सौंपे ?

आरआई-पटवारी ने सरकारी रिकॉर्ड निजी सर्वेयरों को सौंपे
खुद के बजाय सर्वेयर से कराते हैं नपती, सीमांकन, बटान; हर काम में हिस्सा भी

सरकारी या आम लोगों के नाम पर एमपी लैंड रिकॉर्ड में दर्ज जमीनों के दस्तावेज (पटवारी शीट) निजी सर्वेयरों के दफ्तरों में मौजूद है। सर्वेयरों को यह रिकॉर्ड खुद आरआई-पटवारियों ने सौंपा है। भास्कर संवाददाता ने जमीन का खरीदार बनकर निजी सर्वेयरों और पटवारियों से मुलाकातें की। तब यह हकीकत समाने आई कि इन निजी सर्वेयरों के बिना जमीन से संंबंधित कोई भी काम नहीं होता।

नपती और सीमांकन के लिए भोपाल कलेक्टर कार्यालय में 20 इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस) मशीन हैं। लेकिन पटवारी इन मशीनों का उपयोग नहीं करते। वे इन कार्यों के लिए किसान और आम लोगों को सर्वेयर के पास भेज देते हैं। सर्वेयर हर काम के एवज में 4 हजार से 10 हजार रुपए वसूलता है। इनमें आरआई-पटवारी का हिस्सा भी शामिल होता है। खास बात है कि निजी सर्वेयरों की ये दुकानें कलेक्टर कार्यालय के सामने ही संचालित हो रही हैं।

राजधानी में 20 सरकारी मशीनें, फिर भी निजी सर्वेयरों से सीमांकन

भोपाल कलेक्टर कार्यालय में सीमांकन के लिए 20 ईटीएस मशीनें हैं। जमीनों के पुख्ता सीमांकन और जमीन मालिकों की सहूलियत के लिए इन्हें 2017 में खरीदा गया था। हर मशीन की कीमत 7 लाख रुपए थी। इन मशीनों के संचालन के लिए पटवारियों-आरआई को ट्रेनिंग भी दी गई, लेकिन इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। पटवारी किसानों को निजी सर्वेयरों के हवाले कर देते हैं। यहां जमीनों की सीमांकन की फीस के साथ ही अपनी फीस भी वसूलते हैं। हालात ये हैं कि ये निजी सर्वेयर हर सीमांकन के एवज में 8 से 15 हजार रुपए वसूल रहे हैं।

निजी सर्वेयर के यहां सीमांकन, बटान समेत हर काम की कीमत है तय

  • जमीन का मौका उठाना 5000 रुपए
  • जमीन का बटान 4000 रुपए
  • जमीन का सीमांकन 10000 रुपए
  • नामांतरण 5000 रुपए

(नोट: बटान की कीमत 4000 रुपए लेकर जमीन की कीमत के हिसाब से एक लाख रुपए तक हो सकती है, सर्वेयर इन कामों में मोलभाव करते हैं।)

आरआई-पटवारी सरकारी रिकॉर्ड लेकर यहां पहुंचते हैं। राजधानी में ऐसे निजी सर्वेयरों की संख्या दस से अधिक है। सरकारी या आम लोगों के नाम पर एमपी लैंड रिकॉर्ड में दर्ज जमीनों के दस्तावेज (पटवारी शीट) में निजी सर्वेयरों द्वारा सेंधमारी की जा रही है। ये गड़बड़झाला राजस्व निरीक्षक, निजी सर्वेयर और पटवारियों की मिलीभगत से हाे रहा है।

खास बात यह है कि सरकार की ओर से खरीदी गईं इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस) मशीन का उपयोग करने की बजाय निजी सर्वेयरों के पास मौजूद मशीनों से नपती और सीमांकन का काम करवाया जा रहा है। इसके एवज में 4 हजार से 10 हजार रुपए की रकम वसूली जाती है। इन सर्वेयर को पटवारी सरकारी रिकॉर्ड, नक्शे तक उपलब्ध कराते हैं। भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ कि इन सर्वेयरों के पास लैंड रिकॉर्ड में दर्ज जमीनों के खसरे, नक्शे समेत अन्य रिकॉर्ड सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध हैं। इसी के जरिये सर्वेयर भोपाल समेत मप्र के अन्य जगहों पर सीमांकन का काम करते हैं।

इस पूरे गठजोड़ को सामने लाने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने जमीन का खरीदार बनकर निजी सर्वेयरों और पटवारियों से मुलाकात की। तब यह हकीकत समाने आई कि इन निजी सर्वेयरों के बिना जमीन से संंबंधित कोई भी काम नहीं होता। चाहे आप तहसील में पटवारियों, राजस्व निरीक्षकों समेत आला अधिकारियों के कितने भी चक्कर लगा लें। खास बात है कि निजी सर्वेयरों की ये दुकानें कलेक्टर कार्यालय के सामने ही संचालित हो रही हैं। आरआई-पटवारी सरकारी रिकॉर्ड लेकर यहां पहुंचते हैं। राजधानी में ऐसे निजी सर्वेयरों की संख्या दस से अधिक है।

ग्रीन लैंड सर्वे : नामांतरण, मौका और बटान से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड इनके पास

कलेक्ट्रेट के सामने एक दुकान के सेकंड फ्लोर पर ग्रीन लैंड सर्वे का ऑफिस। यहां कंप्यूटर ऑपरेटर लैंड रिकॉर्ड के हिसाब से जमीनों का मौका, बटान व नामांतरण का जिम्मा लेते हैं। ऑफिस के कर्ताधर्ता जीशान को पटवारी शिवचरण मालवीय ने सरकारी नक्शा दिया हुआ है। यहां आरआई कुंवरलाल कुशवाह भी बैठे हैं, जो नक्शे देख रहे हैं। पास के कम्प्यूटर पर पटवारी शिवप्रसाद भी नक्शे देख रहे हैं।

ऑर्बिट सर्वे : पटवारी से बात कर लें, बाकी काम हम कर देंगे

कलेक्ट्रेट के सामने मौजूद ऑर्बिट सर्वे का ऑफिस। यहां मौजूद जैफ से भास्कर संवाददाता ने 5 हजार वर्गफीट फार्म हाउस के मौका, बटान और सीमांकन के बारे में पूछा। जैफ ने बताया पहले तहसील में आवेदन करें। इसके बाद पटवारी से बात करके मौका-सीमांकन का काम हम कर देंगे। मौका उठवाने के 5 हजार, सीमांकन के 8 हजार रु. लगेंगे।

जियो लिंक सर्वे : अधिकतर पटवारी यहीं का पता देते हैं

एयरपोर्ट रोड पर यह ऑफिस है। भास्कर पड़ताल के दौरान ​निधि नेमा समेत कई पटवारियों ने इसी ऑफिस का पता दिया था। वजह-इनके पास सरकारी पुख्ता रिकॉर्ड है। जब यहां के जमीन के नामांतरण के बारे पूछताछ की तो बताया तहसील में आरआई से मिल लें, वही पूरा काम करेंगे। यहां दी गई राशि में पटवारी-आरआई का हिस्सा नहीं है। उनसे अलग बात करें।

निजी सर्वेयर सरकार से अधिकृत नहीं हैं…

निजी सर्वेयर जमीन संबंधी कार्यों के लिए सरकार से अधिकृत नहीं हैं। यदि कोई पटवारी, आरआई इनसे मिलकर काम करता है और इसके लिए बाध्य करता है तो इनकी पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। –विवेक पोरवाल, पीएस, राजस्व विभाग

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