लाल चंदन की तस्करी, आखिर क्यों सोने की तरह महंगी है शेषाचलम जंगल की यह लकड़ी?
पुष्पा-2 और लाल चंदन की तस्करी, आखिर क्यों सोने की तरह महंगी है शेषाचलम जंगल की यह लकड़ी?
Red sandalwood in Pushpa 2: अल्लू अर्जुन की पुष्पा-1 हो या पुष्पा-2 द रूल, दोनों के प्लॉट में शेषाचलम के जंगल से लाल चंदन की तस्करी होती नजर आती है. अरबों की कीमत वाले लाल चंदन की तस्करी का अंदाज दिलचस्प है, जो दर्शकों को बांधे रखता है. जानिए शेषाचलम का जंगल कितना बड़ा है,लाल चंदन इतना महंगा क्यों है और इसकी तस्करी क्यों की जाती है.
शेषाचलम के जंगल और लाल चंदन की तस्करी, अल्लू अर्जुन की पुष्पा-1 हो या पुष्पा-2 द रूल, दोनों के बैकग्राउंड में यही चलता है. अरबों की कीमत वाले लाल चंदन की तस्करी का अंदाज दिलचस्प है, जो दर्शकों को बांधे रखता है. यह वो लाल चंदन है जो सिर्फ महंगा ही नहीं, अपनी कई खूबियों के लिए भी जाना जाता है. शेषाचलम के जंगल आंध्र प्रदेश के तिरुपति और कडप्पा की पहाड़ियों पर फैले हुए हैं. यहां से मिलने वाले लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते हैं.
इसकी एक खास बात यह भी है कि शैव और शाक्त समुदाय के लोग पूजा के लिए लाल चंदन का इस्तेमाल करते हैं. जानिए शेषाचलम का जंगल कितना बड़ा और लाल चंदन इतना महंगा क्यों कि तस्करी की जाती है.
कितनी भव्य है शेषाचलम की पहाड़ी?शेषाचलम पहाड़ियों की लम्बाई लगभग 80 किलोमीटर और चौड़ाई करीब 40 किलोमीटर है. दुनिया के कई देशों में लाल चंदन की लकड़ी मांग ज्यादा है. इसमें चीन, जापान, सिंगापुर और यूएई शामिल है. विदेश में मांग के कारण इस लकड़ी की तस्करी होती है.
लाल चंदन को दुर्लभ चंदनों में गिना जाता है, यही भी एक वजह है कि तस्कर अपनी निगाहें इस पर गड़ाकर रखते हैं. आंध्र प्रदेश में इसकी कटाई पर बैन है. इसे राज्य से बाहर लेकर जाना गैर-कानूनी है. पिछले कुछ सालों में यहां खासतौर पर पाए जाने वाले लाल चंदन के पेड़ों की संख्या करीब 50 फीसदी तक घट चुकी है.
कैसे तस्करी करके चीन तक पहुंचा लाल चंदन?इंडिया टुडे मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले तस्करों को लाल चंदन से करीब 1200 फीसदी का फायदा होता था, यही वजह थी वो जान को खतरे में डालकर हर साल करीब 2 हजार टन लाल चंदन चेन्नई, मुंबई, तुतीकोरिन ओर कोलकाता के पोर्ट और नेपाल के जरिए चीन में पहुंचाते थे.
तस्करी के लिए इसे चद्दरों, सरसों की खली, नारियन के रेशे और नमक में छिपाकर एक से दूसरी जगह ले जाया जाता था. तस्करों को पकड़ने के लिए कई बार अभियान चलाया गया. 2015 में हुई मुठभेड़ में कई तस्कर मारे गए. इसको लेकर यहां का कानून सख्त है. लाल चंदन की तस्करी करते हुए पाए जाने पर 11 साल की सेल हो सकती है.
लाल चंदन कितना महंगा और क्यों?यह एक दुर्लभ प्रजाति का चंदन है, जिसके पेड़ खासतौर पर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में पाए जाते हैं. यहां की जलवायु इसकी पैदावार में खास भूमिका निभाती है. यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है. यह लकड़ी अपने गहरे लाल रंग के लिए मशहूर है जिससे उच्च श्रेणी के फर्नीचर, नक्काशी और सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं.
लाल चंदन को पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका इलाज गठिया और स्किन से जुड़े इंफेक्शन में किया जाता है. इसकी एंटीसेप्टिक खूबियां घावों को भरने में मदद करती हैं.
लाल चंदन की कीमत इसकी क्वालिटी और मांग के आधार पर तय होती है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, लाल चंदन की औसत कीमत करीब 50 हजार से 1 लाख रुपए प्रति किलो के बीच होती है. अगर लाल चंदन उच्च गुणवत्ता वाला होता है तो कीमत 2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है.
क्यों बढ़ी तस्करी?मांग बढ़ने के कारण, लाल चंदन की तस्करी भी बढ़ी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016-2020 के दौरान भारत से लगभग 20,000 टन लाल चंदन की तस्करी की गई. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि इसकी तस्करी नेटवर्क काफी ऑर्गेनाइज्ड है, हालांकि सख्त कानून और सुरक्षा के लिए इसे रोकने की कोशिश भी की गई है.