जिस वजह से धरती से खत्म हुए डायनासोर, वो फिर हुआ तो क्या बच पाएंगे इंसान?

जिस वजह से धरती से खत्म हुए डायनासोर, वो फिर हुआ तो क्या बच पाएंगे इंसान?

डायनासोर के धरती से खत्म होने का कारण केपीजी यानी क्रेटेशियस-पेलियोजीन था जिस वजह से धरती की एक तिहाई वनस्पतियां और जीव जंतु नष्ट हो गए थे. विलुप्ति की यह घटना एक एस्टोरॉयड के टकराने की वजह से हुई थी. भविष्य में अगर फिर ऐसी घटना होती है तो इंसान बचेंगे या नहीं यह एक बड़ा सवाल है.

जिस वजह से धरती से खत्म हुए डायनासोर, वो फिर हुआ तो क्या बच पाएंगे इंसान?

धरती पर एस्टेरॉयड के टकराने से डायनासोर का खात्मा हुआ था.

धरती पर लंबे समय तक डायनासोर का राज रहा. वह सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली प्रजातियों में से थे, फिर अचानक धरती से उनका खात्मा हो गया. ये कैसे हुआ ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज तक नहीं मिल सका, फिर भी वैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाला उसमें इसका कारण क्रेटेशियस-पेलियोजीन (के-पीजी) को माना गया. यह तकरीबन 6.6 करोड़ साल पुरानी घटना है, माना जाता है कि इसी वजह से धरती की तीन चौथाई वनस्वति, जानवर और अन्य प्रजातियां नष्ट हो गईं थीं.

केपीजी ने कैसे मचाई थी तबाही?केपीजी यानी क्रेटेशियस-पेलियोजीन के पीछे वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 6.6 करोड़ साल पहले एक बड़ा एस्टोरॉयड या धूमकेती धरती से टकराया था. यही घटना क्रीटेशस पैलियोजीन विलुप्ति का कारण बनी थी. इसका केंद्र मैक्सिको में युकाटन प्रायद्वीप के चिक्सुलब क्रेटर को माना गया था, जहां एस्टोरॉयड टकराया था. वैज्ञानिकों के मुताबिक वह एस्टोरॉयड तकरीबन 10 से 15 किमी आकार का रहा होगा, जिससे वहां 150 किमी तक का गड्ढा हो गया था.

वैज्ञानिकों के मुताबिक तात्कालिक नुकसान के अलावा एस्टोरॉयड के प्रहार से धरती के वायुमंडल में धूल का ऐसा गुबार छाया गया था जिससे वर्षों तक धरती पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ी. इससे ग्रह पर भीषण ठंड हो गई और जीव-जंतु और वनस्पतियां मरने लगीं. 1990 के दशक में मैक्सिको की खाड़ी में जब चिकशुबूल क्रेटर मिला तो इस निष्कर्ष को बल मिला. यह 180 किमी चौड़ा क्रेटर की जब जांच की गई तो इसमें इरीडियम बड़ी मात्रा में मिला जो एस्टेरॉयड में ही होता है.

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घटना का क्या पड़ा था प्रभाव?केपीजी की वजह ही डायनासोर की विलुप्ति का कारण माना जाता है. इनके साथ ही टेरोसॉर, अम्मोनाइट्स, प्लेसिओसॉर और मोसासौर जैसी प्रजातियां भी विलुप्त हो गईं. हालांकि धरती पर आई इस विपिदा में कीड़े, मछली अन्य स्तनधारी और कुछ जीव इस घटना से ही बच गए. आज के समय में जिस तरह इंसान धरती की सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति हैं, उस वक्त डायनासोर थे. ऐसे में एक सवाल ये भी है कि अगर फिर धरती पर वैसी विपदा आती है तो क्या इंसान बच पाएंगे. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसान बच जाएंगे, लेकिन कुछ इसे मुश्किल मानते हैं.

के-पीजी घटना के समय थे मानव!धरती पर मानव जीवन जहां तक फैला है, वह अगर पूरा खत्म होता है उसका कारण कम से कम 100 किलोमीटर आकार का एस्टोरॉयड होगा. वैज्ञानिक ऐसा भी अनुमान जताते हैं कि मानव के सबसे पहले पूर्वज डायनासोर के समय में धरती पर थे, लेकिन हो सकता है कि उन तक उस घटना का प्रभाव न पहुंचा हो. साइंस एबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों को जो जीवाश्म मिले हैं उनका अध्ययन करने पर सामने आया है कि उस समय डायनासोर के साथ-साथ अन्य स्तनधारी भी थे. संभावना जताई गई है कि इनमें मनुष्य और कुत्तों जैसी प्रजातियां शामिल हो सकती हैं. यह खोज करने वाले वैज्ञानिक मानते हैं कि जो स्तनधारियों के होने के सबूत मिले हैं उनमें मानव के सबसे पहले पूर्वज भी शामिल हो सकते हैं.

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NASA का स्पेस क्राफ्ट WISE/NEOWISE धरती के पास से गुजरने वाले ए स्टेरॉयड के बारे में पता लगाता है (फोटो- NASA)

तो क्या बच पाएंगे इंसान?डायनासोर के खात्मे की समय धरती के पास कोई जानकारी नहीं थी. अब यदि ऐसा होता है तो वैज्ञानिकों के पास पहले से पूरी जानकारी होगी. तकनीकी रूप से विकसित होने की वजह से आज एस्टोरॉयड का पूरा डेटाबेस है. अचानक होने वाली घटना से बचने के लिए NASA का स्पेस क्राफ्ट WISE/NEOWISE धरती के आसपास एस्टेरॉयड या धरती के पास तक आने वाली चीजों के बारे में पता लगाता है. ये यह भी बता देता है कि एस्टेरॉयड धरती से टकराएगा या नहीं. अगर धरती तक कोई खतरा आता भी है तो अब उसे अंतरिक्ष में ही खत्म किया जा सकता है.

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