5G का जमाना, BSNL अभी भी 4G में उलझा!

 5G का जमाना, BSNL अभी भी 4G में उलझा! दूर-दराज के गांवों में क्यों नहीं पहुंच रही सेवा?

BSNL देश भर में एक लाख 4G साइट्स लगा रहा है. खास बात यह है कि यह सारे इक्युप्मेंट भारत में ही बने है और इसे 5G में भी अपग्रेड किया जा सकता है.

भारत में 5G सेवाओं की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL अभी भी 4G सेवाओं को पूरी तरह लागू करने में जुटी है. दूर-दराज के गांवों में तो अभी भी बीएसएनएल की 2G सेवा ही मुश्किल से मिल पाती है.

बीएसएनएल ने 4G सेवाएं शुरू करने में भी काफी देरी कर दी है. हालांकि, इस देरी के लिए पूरी तरह BSNL को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. सरकार ने बीएसएनएलको सिर्फ स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था. उस समय भारतीय कंपनियों के पास 4G के लिए पूरी तरह विकसित तकनीक नहीं थी. इसी कारण बीएसएनएल को 4G सेवा शुरू करने में देरी हुई.

देश के कितने गांव तक पहुंचा BSNL
लोकसभा में पूछे गए सवाल पर पूर्वोत्तर के संचार और विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने बताया, जब दुनिया 3G से 4G की ओर बढ़ रही थी, बीएसएनएल के पास दो ऑप्शन थे: या तो विदेशी तकनीक अपनाई जाए या फिर खुद की 4G तकनीक बनाई जाए. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत बीएसएनएल ने खुद की 4G तकनीक बनाने का फैसला किया. 

BSNL ने स्वदेशी 4G तकनीक विकसित कर ली है. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश है. बीएसएनएल अब एक लाख जगहों पर यह तकनीक लगा रहा है, जिनमें से करीब 61,000 जगहों पर काम पूरा हो चुका है. इस तकनीक को 5G में भी अपग्रेड किया जा सकता है. बाकी तमाम टेलीकॉम कंपनियों ने देश के 99% जिलों में 5G सेवाएं शुरू कर दी हैं. जबकि बीएसएनएल अभी देश के सभी गांवों तक 4G सेवाएं पहुंचाने के लिए ‘4G सैचुरेशन प्रोजेक्ट’ पर काम कर रहा है. बीएसएनएल फिलहाल देश के करीब 67% गांवों में ही अपनी सेवाएं देता है.

सरकार की BSNL को पुनर्जीवित करने के लिए कितना फंड दिया
दूसरे सवाल के जवाब में संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ पेम्मासनी चंद्रशेखर ने बताया, सरकार ने BSNL और MTNL को दोबारा मज़बूत बनाने के लिए कई बार विशेष पैकेज को मंजूरी दी है. यह पैकेज 23 अक्टूबर 2019, 27 जुलाई 2022 और 7 जून 2023 को कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किया गया था. इन  पैकेज के तहत कुल 228,166 करोड़ रुपये दिए जाने थे, जिनमें से अभी तक 133,581 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं.

5G का जमाना, BSNL अभी भी 4G में उलझा! दूर-दराज के गांवों में क्यों नहीं पहुंच रही सेवा?

इस पैकेज का मुख्य उद्देश्य BSNL और MTNL की आर्थिक हालत में सुधार करना और उन्हें फिर से मुनाफे में लाना था. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के ज़रिए कर्मचारियों की संख्या कम की गई ताकि खर्च कम हो सके. सरकारी गारंटी वाले बॉन्ड जारी करके कंपनियों के कर्ज को कम किया गया. बीएसएनएल की सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए नई पूंजी लगाई गई. 4G और 5G सेवाएं शुरू करने के लिए स्पेक्ट्रम दिया गया. कंपनियों की कुछ संपत्ति बेचकर पैसा जुटाया गया. गांवों में टेलीफोन सेवाएं बेहतर बनाने के लिए अलग से पैसा दिया गया.

गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचाने का क्या है प्लान
संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने भी बताया कि आत्मनिर्भर भारत की पहल के तहत बीएसएनएल ने पूरे देश में एक लाख 4G साइट्स लगाने का ऑर्डर दिया है. यह सारे इक्युप्मेंट भारत में ही बने है. सितंबर 2023 से 4G इक्युप्मेंट की आपूर्ति शुरू हो गई है. 6 दिसंबर 2024 तक 61,492 4G साइट्स लगाई जा चुकी हैं और 51,135 साइट्स चालू हैं. यह इक्युप्मेंट 5G में भी अपग्रेड किया जा सकता है.

दूर-दराज के गांवों तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए सरकार कई प्रोजेक्ट चला रही है. जैसे जिन गांवों में अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं है, वहां 4G सेवाएं पहुंचाना. सीमा पर स्थित चौकियों (BOP/BIP) तक संचार सेवाएं पहुंचाना. नक्सल प्रभावित इलाकों में भी संचार सुविधाएं बेहतर बनाना. लक्षद्वीप द्वीप समूह में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना.

इसके अलावा, सरकार ने 4 अगस्त 2023 को ‘भारतनेट कार्यक्रम’ को मंजूरी दी है. इस कार्यक्रम के तहत सभी ग्राम पंचायतों और गांवों तक ऑप्टिकल फाइबर केबल पहुंचाई जाएगी. ग्रामीण इलाकों में 1.5 करोड़ हाई स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्शन दिए जाएंगे. BSNL इस योजना के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी है.

ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा कैसे पहुंचेगी
लोकसभा में सवाल पूछा गया कि गुजरात के ग्रामीण इलाकों में टेलीकॉम सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बीएसएनएल ने अभी तक क्या कदम उठाए हैं. गुजरात के ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सरकार का क्या प्लान है? इस पर संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ पेम्मासनी चंद्र शेखर ने कहा, बीएसएनएल गुजरात के गांव में तेज इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने के लिए जोर-शोर से काम कर रहा है.

गुजरात के ग्रामीण इलाकों में 2910 जगहों पर लगे पुराने 2G और 3G इक्युप्मेंट्स को हटाकर भारत में बनी 4G तकनीक लगाई जाएगी. केंद्र सरकार की ‘4G सैचुरेशन स्कीम’ के तहत गुजरात के 949 गांवों में 4G सेवाएं शुरू की जाएंगी, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं है.

‘भारतनेट प्रोजेक्ट’ के जरिए सभी ग्राम पंचायतों (GPs) और गांवों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाई जा रही है. 31 अक्टूबर 2024 तक गुजरात की 14,316 ग्राम पंचायतों तक भारतनेट सेवाएं पहुंच चुकी हैं. बाकी ग्राम पंचायतों और गांवों तक ‘संशोधित भारतनेट कार्यक्रम’ के तहत हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जाएंगी.

BSNL का खर्च ज्यादा, कमाई कम! क्या ये सच है?
यह जानना भी जरूरी है कि क्या BSNL पर होने वाला खर्च उसकी कमाई से दोगुना है. अगर ऐसा है, तो सरकार कंपनी को मुनाफे में लाने के लिए क्या कर रही है? पूर्वोत्तर के संचार और विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने लोकसभा में इस सवाल का भी जवाब दिया. उन्होंने बताया, BSNL ने अपने खर्च को कम करने और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इससे कंपनी की आर्थिक हालत में सुधार हो रहा है और वह मुनाफा कमा रही है. ग्राहकों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

वित्तीय वर्ष 2023-24 में BSNL की कुल कमाई का सिर्फ 39% हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर खर्च हुआ है. यह दर्शाता है कि कंपनी अपने खर्च को कंट्रोल करने में सफल रही है. सरकार द्वारा दिए गए पैकेज और BSNL की नई रणनीति के कारण कंपनी 2020-21 से लगातार मुनाफा कमा रही है. जून 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच BSNL ने करीब 87 लाख नए मोबाइल ग्राहक जोड़े हैं. यह कंपनी के कुल ग्राहकों का करीब 10% है.

5G का जमाना, BSNL अभी भी 4G में उलझा! दूर-दराज के गांवों में क्यों नहीं पहुंच रही सेवा?

क्या सच में BSNL के 12,500 टॉवर निजी कंपनियों को लीज पर दे दिए?
सरकार ने बताया, बीएसएनएल ने 31 मार्च 2024 तक 12,502 टॉवर अन्य टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों को लीज पर दे दिए हैं. इनमें से 8048 टावर RJIL (Reliance Jio Infocomm Limited) को दिए गए हैं. बीएसएनएल एक सरकारी कंपनी है और वह अपने फैसले तकनीकी और व्यावसायिक लाभ को ध्यान में रखकर लेती है. बीएसएनएल ने 2017-18 से 2023-24 तक टॉवर लीज पर देकर कुल 6920.39 करोड़ रुपये की कमाई की है.

भारत में टेलीकॉम सेवाओं के दामों का नियंत्रण भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) करता है. TRAI के नियमों के मुताबिक, ज्यादातर टेलीकॉम सेवाओं के दाम कंपनियां खुद तय कर सकती हैं. कुछ सेवाओं के दाम TRAI द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, जैसे नेशनल रोमिंग, ग्रामीण लैंडलाइन सेवाएं, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी और लीज्ड सर्किट. ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए Unstructured Supplementary Service Data (USSD) सेवाओं के लिए ‘शून्य’ शुल्क निर्धारित किया गया है.

BSNL पर कितना कर्ज है?
सरकार ने बीएसएनएल को मजबूत बनाने के लिए कई बार आर्थिक मदद दी है और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए हैं. इससे कंपनी की हालत में सुधार हुआ है और वह अब घाटे से बाहर निकल आई है. आंकड़े बताते हैं कि 31 मार्च 2024 तक BSNL पर सबसे कम कर्ज (23,297 करोड़ रुपये) था, जबकि वोडा आइडिया लिमिटेड पर सबसे ज्यादा कर्ज (2,07,885 करोड़ रुपये) था. बीएसएनएल का कर्ज लगातार कम हो रहा है, भारती एयरटेल और वोडा आइडिया का कर्ज बढ़ रहा है. वहीं जियो इंफोकॉम का कर्ज घट-बढ़ रहा है.

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क्या सच में BSNL पर होने वाला खर्च उसकी कमाई से दोगुना है?

दरअसल, 2019 में सरकार ने बीएसएनएल को पहली बार 69,000 करोड़ रुपये दिए गए जिससे कंपनी का खर्च कम हुआ. फिर 2022 में 1.64 लाख करोड़ रुपये दिए गए, जिससे कंपनी को नई पूंजी मिली, कर्ज कम हुआ और गांवों में टेलीफोन सेवा बेहतर बनी. 2023 में 4G/5G सेवाएं शुरू करने के लिए 89,000 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम दिया गया.इस मदद से BSNL अब  मुनाफा कमाने लगी है.

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