क्या है पूजा स्थल अधिनियम, जिसपर छिड़ा है विवाद ?
क्या है पूजा स्थल अधिनियम, जिसपर छिड़ा है विवाद; पढ़ें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें
What is Places of Worship Act सर्वोच्च न्यायालय ने देशभर की अदालतों को निर्देश दिया है कि जब तक शीर्ष अदालत में पूजा स्थल कानून का मामला लंबित है तब तक अदालतें धार्मिक स्थल पर दावे के नए मुकदमे पंजीकृत नहीं करेंगी। आखिर ये पूजा स्थल अधिनियम क्या है और इसके किन प्रावधानों के खिलाफ याचिका दर्ज की गई है आइए जानते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल अधिनियम पर कई याचिकाएं है दायर….
What is Places of Worship Act धार्मिक स्थलों पर दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमेबाजी पर फिलहाल विराम लग गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने देशभर की अदालतों को निर्देश दिया है कि जब तक शीर्ष अदालत में पूजा स्थल कानून का मामला लंबित है, तब तक अदालतें धार्मिक स्थल पर दावे के नए मुकदमे पंजीकृत नहीं करेंगी और न ही लंबित मुकदमों में कोई प्रभावी अंतरिम या अंतिम (फाइनल) आदेश देंगी। सर्वे का भी आदेश नहीं दिया जाएगा।
ये अंतरिम आदेश चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 (द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किए। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष पूजा स्थल कानून की वैधानिकता और कानून को लागू कराने की मांगें लंबित हैं।
आखिर ये द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है, आइए जानते हैं…
कब लागू हुआ वर्शिप एक्ट, इस कानून में क्या है?
- देश के अलग-अलग धर्मों के पूजास्थलों की यथास्थित कायम रखने के लिए 15 अगस्त 1991 को पूजा स्थल अधिनियम लागू किया गया था।
- कानून में ये भी अंकित किया गया था कि देश में आजादी के समय यानी 15 अगस्त 1947 को जो भी पूजास्थल जिस स्थिति में थे, वो वैसे ही रहेंगे।
- पूजा स्थल अधिनियम सभी धार्मिक स्थलों पर लागू होता है। चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी और धर्म के स्थलों हों, वो दूसरे धर्म के स्थल में नहीं बदले जा सकते।
- संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत नागरिकों को अपना धर्म मानने और उसका पालन करने की आजादी है।
- कानून में यह प्रावधान भी है कि धार्मिक स्थल में बदलाव को लेकर अगर कोई विवाद होता है, तो फैसला देते समय 15 अगस्त 1947 की स्थिति पर विचार किया जाएगा।
किन प्रावधानों को चुनौती दी गई है?
सजा का भी प्रावधान