दस्तावेज ही नहीं, जरूरत है वसीयत… लिखने से लेकर रजिस्टर कराने तक यहां पढ़ें पूरा प्रोसेस
आपके आस-पास ऐसे लोग जरूर होंगे जिनकी संपत्ति का विवाद कोर्ट में चल रहा होगा। अगर आप जानने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि ऐसे मामले सालों-साल चलते ही रहते हैं। ऐसे ही लंबे कानूनी विवादों से बचाने के लिए वसीयत की जरूरत होती है। लेकिन भारत में इसे लेकर जागरुकता कम है। ऐसे में वसीयत आपके मन में जो भी सवाल हैं उनके जवाब खबर में मौजूद हैं।
- दीवानी अदालतों में प्रॉपर्टी के विवाद सबसे ज्यादा
- वसीयत को लेकर भारत में जागरुकता बेहद कम
- 21 वर्ष से अधिक उम्र के लोग लिख सकते हैं वसीयत
इसे लिखने के लिए कोई तय नियम नहीं है। अगर आप स्पष्ट रूप से तय कर चुके हैं कि आपकी संपत्ति का मालिकाना हक आप किसे देना चाहते हैं, तो वसीयत लिखने में आपको तनिक भी समस्या नहीं आएगी।
सबसे पहले आपको एक लिस्ट बना लेनी है कि आपके पास बैंक जमा, नकदी, जमीन, पॉलिसी, शेयर, आभूषण या अन्य निवेश जैसी कितनी संपत्ति है। इसके बाद आपको सीधे लिखते जाना है कि आप अपनी संपत्ति में किसे कितना हिस्सा देना चाहते हैं। अगर किसी एक व्यक्ति के नाम पर ही आपको सारी संपत्ति करनी है, तो यह भी आप वसीयत में लिख सकते हैं। फिर आपको हस्ताक्षर या अंगूठा लगाकर इस बात की पुष्टि कर देनी है कि वसीयत आपने ही लिखी है।
एक बात का रखें ध्यान
जैसा कि हमने आपको पहले बता दिया कि वसीयत को लिखने के लिए कई तय दिशा-निर्देश नहीं है। अगर वसीयत में कही गई बात का उद्देश्य स्पष्ट है, तो उसमें व्याकरण की अशुद्धि भी नहीं देखी जाती है।
लेकिन वसीयत लिखते समय आपको यह ध्यान रखना जरूरी है कि आपको इस पर दो गवाहों के दस्तखत करवाने होंगे। ये गवाह आपकी वसीयत में नॉमिनी नहीं होने चाहिए। इसका सीधा मतलब ये है कि मान लीजिए आपने अपनी बेटी और पत्नी को वसीयत में संपत्ति का हकदार बनाया है। तो आप गवाह के तौर पर पत्नी और बेटी में से किसी के भी दस्तखत नहीं करवा सकते।
गवाहों का विश्वासपात्र होना जरूरी
यहां ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि आपकी वसीयत पर दोनों गवाहों के दस्तखत वकील की मौजूदगी में ही होने चाहिए। जिन गवाहों के दस्तखत आप करवा रहे हैं, उन्हें जरूरत पड़ने पर कोर्ट में गवाही देने के लिए भी जाना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि जिनके दस्तखत आप लें, वह आपके विश्वासपात्र हों।
रजिस्टर भी होती है वसीयत
वैसे तो आपके द्वारा लिखी हुई वसीयत आपकी मृत्यु के तुरंत बाद ही वैध हो जाती है। भले ही आपने उसे एक कोरे कागज पर लिखकर दस्तखत कर दिए हों। लेकिन इसके खोने, खराब होने या भविष्य में किसी कानूनी विवाद से बचने के लिए आप इसके रजिस्टर भी करवा सकते हैं।
इसके लिए आप अपने जिले में मौजूद सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस जा सकते हैं। वसीयत से जुड़े किसी भी विवाद की स्थिति में इसकी वैरिफाइड कॉपी हासिल करना आसान हो जाता है। हालांकि भारतीय पंजीकरण अधिनियम की धारा 18 (ई), 1908 के मुताबिक वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है।
प्रश्न: वसीयत लिखने के लिए वकील की जरूरत होती है?
जवाब: नहीं। वसीयत आप खुद भी लिख सकते हैं। इसके लिए वकील की जरूरत नहीं है। हालांकि वकील की मदद से लिखने पर आपको थोड़ी सहूलियत हो जाती है।
प्रश्न: वसीयत लिखकर रखें कहां?
उत्तर: एक बात आपको स्पष्ट रूप से समझ लेनी है कि वसीयत मृत्यु के बाद काम आने वाला डॉक्यूमेंट है। जब तक आप जीवित हैं, तब तक यह सिर्फ कागज का टुकड़ा है। इसलिए वसीयत को आप रजिस्ट्रार कार्यालय, बैंक लॉकर या घर में ऐसी जगह रख सकते हैं, जहां उसके खोने या खराब होने का डर न रहे। लेकिन इसे आप जहां भी रखें, अपने परिजनों की जानकारी में ही रखें, ताकि आपके बाद उसे आसानी से हासिल किया जा सके।
प्रश्न: वसीयत लिखना इतना जरूरी क्यों है?
उत्तर: पहले निवेश, पॉलिसी, पासबुक इत्यादि से जुड़ी प्रक्रियाएं पेपर पर होती थीं। इसलिए लोग उन्हें इकट्ठा कर संभालकर रखते थे। लेकिन समय डिजिटल हो गया है। आज किसके पास कौन-सी पॉलिसी है, कितना बैंक जमा है या किस शेयर में निवेश किया है, ये उसके अलावा किसी को पता नहीं होता है। ऐसे में आपके जाने के बाद परिवार को सब कुछ पता रहे, इसके लिए वसीयत जरूरी है।
प्रश्न: क्या कोई भी वसीयत लिख सकता है?
उत्तर: जी हां, कोई भी व्यक्ति वसीयत लिख सकता है। बशर्ते, वह मानसिक रूप से स्वस्थ हो और यह जानता हो कि वह क्या लिख रहा है। इसके अलावा उस पर रेप, धोखाखड़ी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप न हों।
प्रश्न: मेरी उम्र 30 साल है। क्या मैं वसीयत लिख सकता हूं?
उत्तर: कानून ने हर उस व्यक्ति को वसीयत लिखने की छूट दी है, जिसकी उम्र 21 साल से अधिक है। इतना ही नहीं, वसीयत तैयार कर आप अपने परिवार की मदद ही कर रहे हैं।
प्रश्न: मेरे पिताजी ने 3 वसीयत बनवाई है। ऐसी स्थिति में क्या होगा?
उत्तर: एक से अधिक वसीयत बनवाना कानूनी रूप से गलत नहीं है। आम तौर पर संपत्ति में इजाफा होने पर लोग फिर से वसीयत बनवाते हैं। लेकिन उन्हें पूर्व की वसीयत को रद्द करना होता है। अगर 3 वसीयत बनी हुई है, तो सबसे हाल की मान्य होगी।
प्रश्न: मेरी उम्र 70 साल है। क्या मुझे अब वसीयत लिखनी चाहिए?
उत्तर: बिल्कुल। हालांकि 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को एक मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है कि वसीयत लिखने समय वह मानसिक रूप से स्वस्थ हैं।
प्रश्न: गवाहों को लेकर क्या कोई नियम है?
उत्तर: केवल यही नियम है कि गवाहों की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए। इसके अलावा उन्हें वसीयत से फायदा न पहुंचता हो, यह भी ध्यान रखना चाहिए। यहां एक बात आपको समझनी जरूरी है कि अगर गवाह वसीयत लिखने वाले से अधिक उम्र का होगा, तो उसके पहले गुजरने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में कम उम्र के गवाह होना आपके लिए फायदे की बात है।
प्रश्न: अगर किसी ने वसीयत नहीं बनाई, तो क्या उसकी मां को हिस्सा नहीं मिलेगा?
उत्तर: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के मुताबिक, वसीयत दूसरे के नाम पर लिख देने से किसी व्यक्ति की पत्नी या मां को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। लेकिन यदि व्यक्ति की मृत्यु वसीयत बनाने से पहले हो जाती है, तो उसकी संपत्ति पर पत्नी, बच्चों और मां का बराबर अधिकार होता है।
प्रश्न: क्या वसीयत सिर्फ संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए होती है?
उत्तर: ऐसा नहीं है। वसीयत में कोई व्यक्ति यह भी लिख सकता है कि उसकी संपत्ति किसे न दी जाए। अगर किसी व्यक्ति को वसीयत में संपत्ति से बेदखल कर दिया गया है, तो वह कोर्ट से भी इसे खारिज नहीं करवा सकता।
प्रश्न: वसीयत रजिस्टर करवाने के लिए क्या डॉक्यूमेंट्स चाहिए होंगे?
उत्तर: वसीयत को रजिस्टर करने के लिए आपको अपने दोनों गवाहों के साथ जाना होगा। इसके लिए वसीयत लिखने वाले और दोनों गवाहों को अपना पहचान पत्र और दो पासपोर्ट साइड फोटो ले जाना जरूरी है।
प्रश्न: महिला की वसीयत को लेकर क्या नियम हैं?
उत्तर: पुरुष और महिला दोनों के लिए वसीयत के नियम एक ही हैं। पुरुष की तरह महिला भी अपनी वसीयत में किसी को भी संपत्ति का मालिकाना हक दे सकती है। बिना वसीयत बनाए अगर विवाहित महिला की मृत्यु हो जाती है, तो उसके पति और बच्चों में संपत्ति बराबर बंट जाती है। वही अगर अविवाहित महिला की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाए, तो उसके पिता को संपत्ति का हक मिल जाता है। अगर पिता न हों, तो मां और भाई-बहनों में संपत्ति बंट जाती है।
प्रश्न: क्या वसीयत को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता?
उत्तर: बिल्कुल किया जा सकता है। लेकिन इसे चुनौती देने के पुख्ता आधार होने चाहिए। जैसे वसीयत जबरन बनवाई गई हो, या लिखने वाला मानसिक तौर पर कमजोर हो, या दस्तखत करने वाले को यह न पता हो कि वह कहां साइन कर रहा है।
प्रश्न: फर्जी वसीयत बनाने वाले पर क्या एक्शन होता है?
उत्तर: अगर यह साबित हो जाता है कि अमुक व्यक्ति ने जाली वसीयत बनवाए हैं, तो उसे 10 साल तक सजा अथवा जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है।
प्रश्न: वसीयत तैयार करते समय क्या तारीख लिखनी जरूरी है?
उत्तर: जी हां। वसीयत बनाते समय आपको कुछ चीजें लिखनी जरूरी है। इसमें वसीयतकर्ता का नाम, पिता का नाम, घर का पता, जन्मतिथि और वसीयत तैयार करने की तारीख शामिल है। वहीं वसीयत में आपको यह स्पष्ट करना होगा कि इसे आपने बिना किसी के प्रभाव या दबाव में आए, अपनी इच्छा से बनाया है।