लखनऊ में SP के बाद अब कांग्रेस का पोस्टर वॉर, CM योगी को दंगाई बता लगाई गई होर्डिंग
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ हिंसा और आगजनी करने वाले कथित CAA दंगाईयों के पोस्टर लगाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लखनऊ में पोस्टर वॉर जारी हो गया है. आपको बता दें कि दो दिन पहले ही समाजवादी पार्टी की ओर से कथित सीएए दंगाईयों के पोस्टर के बगल में बलात्कार के दोषी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की होर्डिंग लगाई गई थी. समाजवादी पार्टी की ओर से बेटियों को इनसे बचकर रहने के लिए सचेत किया गया था.
कांग्रेस ने लगवाए सीएम योगी और केशव मौर्या के पोस्टर
अब कांग्रेस ने कथित सीएए दंगाईयों के पोस्टर के बगल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पोस्टर लगा दिए हैं. कांग्रेस के युवा नेता सुधांशु बाजपेयी और लल्लू कन्नोजिया ने ये पोस्टर लगाए हैं. पोस्टर में बड़ी गलती करते हुए कांग्रेसियों ने पूर्व विधायक राधा मोहन दास की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह की फोटो लगा दी है. पोस्टर में सीएम योगी और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के अलावा भाजपा के कई मंत्रियों और विधायकों की तस्वीरें हैं.
योगी सरकार ने लगवाए हैं कथित सीएए दंगाईयों के पोस्टर
कांग्रेस ने इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य भाजपा नेताओं को दंगे का अरोपी बताया है और पूछा है कि इनसे वसूली कब की जाएगी. आपको बता दें कि बीते वर्ष लखनऊ में 19 और 20 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा और आगजनी हुई थी. इसमें सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा था. लखनऊ प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 57 उपद्रवियों की पहचान की थी और उनको 1.55 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा था.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है लखनऊ पोस्टर विवाद की सुनवाई
बाद में इन कथित उपद्रवियों के पोस्टर लखनऊ के सभी प्रमुख चौराहों पर लगवाए गए थे. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को सारे पोस्टर 16 मार्च तक हटाने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने इसे राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन माना था और योगी सरकार से पूछा था कि किस नियम के तहत पोस्टर लगाए गए?
योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार से यही सवाल किया कि किस नियम के तहत पोस्टर लगाए गए? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया. इस बीच योगी सरकार ने अध्यादेश के जरिए ‘रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020’ लाने का फैसला किया है.