बच्चों को अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के जोखिम समझाएं ?
गुरुवार की देर शाम, इंदौर-भोपाल के बीच हाईवे पर एक रेस्तरां में गर्मागर्म चाय पीते हुए मैंने देखा कि जैसे ही एक बस वहां आकर रुकी, दो बच्चे फट से कूदे, रेस्तरां की ओर भागे और फूड ऑर्डर किया। उनके पिता को बस से उतरने में ठीक चार मिनट लगे, जो कई यात्रियों के पीछे थे, लेिकन उनके आने से पहले ही बच्चों की टेबल पर फूड आ चुका था और उन्होंने पिज्जा-फिंगर चिप्स का लुत्फ लेना शुरू कर दिया था।
पिता ने बस ये कहा, ‘कितनी बार तुम लोगों को बताना पड़ेगा कि पिज्जा, फिंगर चिप्स नहीं खा सकते?’ दोनों में से किसी ने भी सिर तक ऊपर नहीं किया या माफी जैसा कुछ नहीं था। बस ये कहा, “इसके सिवा कुछ नहीं था, जो हम खा सकें।’ तब मैंने आसपास नजर दौड़ाई और देखा कि रेस्तरां में कई बच्चे फिंगर चिप्स और प्री-पैकेज्ड अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खा रहे थे, जिसे सिर्फ बच्चों के लिए ही गर्म किया जा रहा था।
ठीक मेरे पीछे बैठा बच्चा अपनी मां से फुसफुसाते हुए बोला, ‘वो जल्द ही छोटा हाथी बन जाएगा’ और हंसने लगा। उसकी मां ने ‘श्श्शश’ कहा और चुप कराते हुए दूसरे विषय पर ध्यान भटकाने की कोशिश की। बस के अधिकांश यात्रियों ने प्री-पैकेज्ड या फिर पहले से तैयार फूड खाया, और ये जानते हुए तैयार रखा गया था कि उस समय बस आएगी।
उन प्री-पैकेज्ड फूड में कई अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड थे, जिसे माइक्रोवेव में चंद मिनट में ही तैयार किया जा सकता है, जबकि बोर्ड पर लिखे कई भारतीय व्यंजनों का स्वाद सिर्फ वही यात्री चख रहे थे, जिनके पास इंतजार करने का पर्याप्त समय था और अपने निजी वाहनों से यात्रा कर रहे थे।
इस दृश्य से मुझे दिसंबर 2024 की एक वर्कशॉप याद आ गई, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने आयोजित किया था, जहां कई वैज्ञानिकों ने फूड पर अपने अंतरिम डेटा प्रस्तुत किए थे। यह एक निरंतर अध्ययन है जिसमें वैज्ञानिक यह जांच कर रहे हैं कि ये फूड हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं।
उनके अनुसार, कुछ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड जैसे फ्रोजन पिज्जा और फिंगर चिप्स में, कम प्रोसेस या ताजा पकाए हुए फूड की तुलना में, प्रति ग्राम ज्यादा कैलोरी होती है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में नमक, वसा, चीनी और कार्बोहाइड्रेट का संयोजन होता हैं जो सामान्यतः अन्य खाद्य पदार्थों में नहीं पाया जाता। जबकि कम प्रोसेस और ताजा पका फूड ओवरईटिंग नहीं होने देता और वजन भी नहीं बढ़ाता, कम से कम इतना तो नहीं जितना ये अल्ट्रा-प्रोसेस फूड करते हैं।
असल में ये फूड क्रेविंग पैदा करते हैं, जैसा बिल्कुल उस रेस्तरां में बच्चों में हुई। शोधकर्ताओं ने इन प्रकार के खाद्य पदार्थों को “बहुत ज्यादा स्वादिष्ट’ कहा है क्योंकि इनका हमारे मस्तिष्क के रिवॉर्ड सिस्टम पर गहरा प्रभाव होता है। इसके चलते खाने से खुद को रोक पाना मुश्किल हो जाता है।
इस मीटिंग में दिए गए एक प्रेजेंटेशन में बताया गया कि हेल्दी दिखने वाले कई फूड अत्यधिक स्वादिष्ट होते हैं, जिनमें कई फुल फैट दही (उच्च वसा और उच्च चीनी), नमकीन नट्स (उच्च सोडियम और उच्च वसा) में ये होता है, जबकि साधारण बिना नमक वाले नट्स में नहीं होते।
सवाल है कि युवा माता-पिता के रूप में आप क्या कर सकते हैं? ऐसे फूड से बचें जिसमें प्रति ग्राम दोगुुनी कैलोरी या उससे अधिक होती है। आप उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों को सामान्य खाद्य पदार्थों जैसे पनीर और सलाद के साथ मिला सकते हैं और किसी भी खाद्य पदार्थ में सोडियम की मात्रा हमेशा देखेंं।
आप जो सबसे बड़ा काम कर सकते हैं, वो ये है कि घर में ही हेल्दी खाना खाने की आदतों से जुड़ी प्रतिस्पर्धा करा सकते हैं। उनके साथ बैठें, इससे जुड़ी हानिकारक चीज उन्हें बताएं और उनसे पूछें कि वे अपनी सेहत में कैसे योगदान कर सकते हैं। जब जिम्मेदारी उनके सिर पर आती है, तो वे एक बहुत ही जिम्मेदारी से योगदान देते हैं। मैंने अपने कजिन्स के बच्चों में यह खुद देखा है।
अगर आप बच्चों को समझाते हैं और उन्हें यह तय करने में भागीदार बनाते हैं कि उनके अनुसार परिवार को क्या खाना चाहिए और किससे बचना चाहिए, तो वे अंततः सुपर स्मार्ट फूड एडवाइजर बन जाएंगे।