एमपी नगरपालिका-परिषद की कमान पति-बेटों के हाथ ?
मध्यप्रदेश के 413 नगरीय निकायों में से 220 में भले ही महापौर-अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाएं हैं, लेकिन इनमें से 26% यानी 57 में कमान पूरी तरह उनके पति–बेटों के हाथ में है। वहीं 48% यानी 105 निकायों में रिश्तेदारों की दखलंदाजी है, लेकिन पूरी तरह नहीं। केवल 26% यानी 58 निकायों में ही महिला अध्यक्ष और मेयर नगर सरकार के फैसले खुद ले रही हैं।
ये निष्कर्ष है दैनिक भास्कर की पड़ताल का। भास्कर के 97 रिपोर्टर्स ने प्रदेश की उन सभी नगर परिषद, नगर पालिका व नगर निगम के कामकाज का आकलन किया जहां महिलाएं अध्यक्ष–मेयर चुनकर आई हैं।
….. ने ऐसे की पड़ताल …….220 नगरीय निकायों के अध्यक्ष–मेयर के कामकाज के बारे में लोगों से चर्चा कर समझा की वहां फैसले किस तरह और कौन ले रहा है, रिश्तेदारों का निकाय के कामकाज में कितना दखल है। रिश्तेदारों की निकायों में मौजूदगी, कार्यक्रमों में भागीदारी के आधार पर तीन स्थितियों का आकलन किया…
- जहां महिला अध्यक्ष-मेयर खुद पूरी जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
- जहां पूरी जिम्मेदारी पति-बेटे और रिश्तेदार ही संभाल रहे हैं।
- जहां रिश्तेदारों के हाथ में पूरी तरह कमान तो नहीं है लेकिन हस्तक्षेप है।
सिलसिलेवार जानिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में कहां क्या स्थिति है, पहले बात नगर निगम की…
बीजेपी की 3 कांग्रेस की 1 मेयर खुद फैसले लेती हैं भोपाल: मालती राय पहली बार की मेयर हैं। नगर निगम से जुड़े सभी फैसले वह खुद लेती हैं। सरकारी कामकाज में उनके परिवार के किसी भी सदस्य का प्रत्यक्ष तौर पर दखल नहीं हैं।
ग्वालियर: यहां की मेयर शोभा सिकरवार हैं। वे हर हफ्ते जनता दरबार का आयोजन करती है। पति सतीश सिकरवार विधायक हैं, मगर पत्नी के काम में दखल नहीं देते।
खंडवा: मेयर अमृता अमर यादव पहली बार चुनी गई हैं। जब उनका कार्यकाल शुरू हुआ तो पति अमर यादव ने सांसद प्रतिनिधि बनकर कामकाज में हस्तक्षेप किया, लेकिन कमिश्नर सविता प्रधान से विवाद के बाद नगर निगम में उनकी एंट्री बंद हो गई।
बुरहानपुर: माधुरी पटेल दूसरी बार मेयर बनी हैं। उनके कामकाज में परिवार के किस भी सदस्य का दखल नहीं है। वह अपने फैसले खुद लेती हैं। उनके पति भी मेयर रह चुके हैं, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आते।
बीजेपी की 3, कांग्रेस-आप की 1-1 मेयर के 50% काम रिश्तेदार देखते हैं
मुरैना: शारदा सोलंकी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतीं। जनता दरबार में आने वाली समस्याएं भी पुत्र सौरभ ही सुनता है। नगर निगम की बैठकों में शामिल होता है। निरीक्षण के दौरान वह महापौर के साथ रहता है।
देवास: बीजेपी की मेयर गीता अग्रवाल के साथ उनके पति दुर्गेश अग्रवाल कामकाज देखते हैं। हर गतिविधि में साथ रहते हैं। पदभार ग्रहण के दौरान गीता यादव की कुर्सी पर उनके पति दुर्गेश अग्रवाल बैठे दिखाई दिए थे।
सागर: बीजेपी की मेयर संगीता तिवारी के साथ बैठक और कार्यक्रमों में उनके पति सुशील तिवारी दिखाई देते हैं। निर्माण कार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन के कार्यक्रमों में वे नजर आते हैं। मेयर से किसी को काम हो तो पहले पति से मिलते हैं।
कटनी: साल 2022 में प्रीति सूरी बतौर निर्दलीय ये चुनाव जीती थीं। बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गईं। उनके साथ अधिकांश समय पति संजीव सूरी मौजूद होते हैं। वार्ड का दौरा भी दोनों साथ करते हैं। संजीव सूरी ने भी पार्षद का चुनाव लड़ा था, मगर वे हार गए।
सिंगरौली: ये एकमात्र नगर निगम आम आदमी पार्टी के पास हैं। मेयर रानी अग्रवाल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनका कामकाज पति प्रेम अग्रवाल देखते हैं। निगम के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में पति साथ होते हैं।
अब नगरपालिकाओं की बात…
सिलसिलेवार जानिए तीनों पैरामीटर्स के बारे में..
1.पूरी जिम्मेदारी संभालने वाली अध्यक्ष: नगर पालिका की 17अध्यक्ष अपना कामकाज खुद करती हैं। इनमें बीजेपी की 13 और कांग्रेस की 4 अध्यक्ष हैं।
2. 50% जिम्मेदारी संभालनी वाली अध्यक्ष: ऐसी नगरपालिकाओं की संख्या 27 हैं। इनमें से 23 नगरपालिकाओं पर बीजेपी, तो कांग्रेस 3 पर काबिज है। एक नगर पालिका अध्यक्ष निर्दलीय है। यहां महिलाएं आधी जिम्मेदारी खुद संभालती हैं और आधी जिम्मेदारी उनके रिश्तेदार संभालते हैं। तीन उदाहरण से समझिए…
- सीहोरा नगर पालिका: यहां संध्या दुबे नगर पालिका अध्यक्ष हैं। उनके पति दिलीप दुबे पूर्व विधायक रहे हैं। अध्यक्ष के कामकाज में उनका दखल रहता है। दिलीप दुबे जब किसी फैसले पर अंतिम मुहर लगाते हैं उसी के बाद पत्नी उस पर आगे बढ़ती हैं।
- मंडीदीप नगर पालिका: प्रियंका अग्रवाल अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज है। उनके कामकाज में पति राजेंद्र अग्रवाल का पूरा दखल होता है। राजेंद्र अग्रवाल पहले बीजेपी जिला अध्यक्ष भी रहे हैं।
- श्योपुर नगर पालिका: यहां रेणु सुजीत गर्ग पहली बार अध्यक्ष बनी हैं। उनका आधा काम पति सुजीत गर्ग संभालते हैं। वो सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ बैठकों में भी शामिल होते हैं।
3. पूरी जिम्मेदारी रिश्तेदारों के हाथ में: ऐसी 11 नगर पालिकाएं हैं। इनमें से 7 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस काबिज हैं। इन नगर पालिकाओं में महिला अध्यक्ष केवल नाम की है। सारा कामकाज उनके पति-बेटे और रिश्तेदार संभालते हैं। तीन उदाहरण से समझिए…
- छतरपुर नगर पालिका: यहां से बीजेपी की ज्योति चौरसिया अध्यक्ष हैं। उनके पति सुरेंद्र चौरसिया नगर पालिका का पूरा कामकाज देखते हैं। वो बीजेपी के जिला महामंत्री होने के साथ साथ नगर पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि भी हैं। वे नगर पालिका के तहत आने वाले कामों की मॉनिटरिंग करते हैं। सारी व्यवस्थाओं का जायजा खुद लेते हैं और अधिकारियों को निर्देश भी देते हैं।
- बालाघाट नगर पालिका: यहां भारती सुरजीत सिंह ठाकुर पहली बार अध्यक्ष बनी हैं। उनके कामकाज में पति सुरजीत सिंह ठाकुर का सीधा दखल होता है। प्रशासनिक जमावट भी उन्हीं के हिसाब से होती है। विकास कार्य और कार्यक्रमों में वो पत्नी के साथ नजर आते हैं।
- दतिया नगर पालिका: यहां शांति ढेंगुला नगर पालिका अध्यक्ष हैं। उनका पूरा कामकाज बेटे प्रशांत ढेंगुला के जिम्मे है। वह खुद भी पार्षद रह चुके हैं। इस बार दतिया महिला सीट होने से मां को चुनावी मैदान में उतारा था। बैनर पोस्टर में मां की जगह खुद के नाम और फोटो का इस्तेमाल पद के साथ करते हैं।

अब जानिए क्या है नगर परिषद के हाल
119 नगर परिषदों में रिश्तेदारों का दखल 258 में से 156 नगर परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाएं काबिज हैं। लेकिन इनमें से 119 नगर परिषद में रिश्तेदारों का दखल है। इनमें से 46 नगर परिषद का कामकाज तो पूरी तरह से पति-बेटों और रिश्तेदारों के हाथों में हैं। केवल 37 नगर परिषद ऐसी हैं, जहां महिला अध्यक्ष खुद ही फैसले लेती हैं। इन दो उदाहरण से समझिए…
- चुरहट नगर परिषद: सीधी जिले की चुरहट नगर परिषद की अध्यक्ष मोनिका गुप्ता 2022 में अध्यक्ष चुने जाने से पहले गृहिणी थी। उनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। हालांकि, उनके पति विजय गुप्ता कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। चुरहट नगर परिषद अध्यक्ष का पद महिला के लिए आरक्षित हुआ, तो विजय गुप्ता ने पत्नी को चुनाव लड़ाया। बहुमत के आधार वह अध्यक्ष चुन ली गईं, मगर सारा कामकाज विजय गुप्ता ही देखते हैं। अप्रत्यक्ष तौर पर अध्यक्ष की भूमिका में गुप्ता ही है।
- नामली नगर परिषद: रतलाम जिले की नामली नगर परिषद की अध्यक्ष अनीता परिहार हैं, मगर परिषद का सारा कामकाज उनके देवर सत्येंद्र परिहार के हाथ में हैं। अध्यक्ष प्रतिनिधि के तौर पर वह सारा कामकाज करते हैं। नामली में शीतला सप्तमी पर मेला लगने वाला है। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने रतलाम ग्रामीण एसडीओपी किशोर पाटनवाल , नामली तहसीलदार, नामली थाना प्रभारी, नगर परिषद सीएमओ के साथ शीतला माता मेला प्रांगण का निरीक्षण किया और अधिकारियों को निर्देश दिए।
