2025 तक 453 स्टेशन के विकास का था लक्ष्य, सिर्फ 1 पर हुआ काम ?
2025 तक 453 स्टेशन के विकास का था लक्ष्य, सिर्फ 1 पर हुआ काम, रेलवे स्टेशनों का कब होगा कायाकल्प?
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशनों को विकसित करने का प्रस्ताव था.
भारत के रेलवे नेटवर्क को लेकर जब भी बात होती है तो सामने आता है एक विशाल ढांचा, जो दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क्स में से एक है. रेलवे भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और हर रोज करोड़ों लोग इससे सफर करते हैं, लेकिन यही रेलवे, जो हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है, अपनी सुविधाओं और सुरक्षा के लिए हमेशा चर्चा का विषय भी रही है.
पिछले कुछ सालों से रेलवे मंत्रालय ने देश के रेलवे स्टेशनों को एक नया रूप देने का दावा किया था. इसके तहत, ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य 2024-2025 (दिसंबर 2024) तक भारत के 453 प्रमुख रेलवे स्टेशनों को हाईटेक और बेहतर बनाना था. इसका मुख्य उद्देश्य था कि स्टेशनों का विकास इस तरह से किया जाए कि वो यात्रियों को बेहतर अनुभव दे सकें, साथ ही सुरक्षा और सहूलत के लिहाज से भी स्टेशनों को आधुनिक बनाया जाए.
हालांकि, अब सवाल उठता है कि इस विशाल योजना में कितना विकास हुआ है और कितने स्टेशन इस योजना के तहत पूरी तरह से विकसित हो पाए हैं. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि इस योजना की वास्तविक स्थिति क्या है और क्या सरकार ने जो वादे किए थे, वो पूरे हो पाए हैं?
अमृत भारत स्टेशन योजना का उद्देश्य
‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत रेलवे मंत्रालय ने 2024-25 तक 453 रेलवे स्टेशनों को विकसित करने का लक्ष्य तय किया था. इस योजना का उद्देश्य था कि इन स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए, जैसे कि एयर कंडीशनिंग, बेहतर शौचालय, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग, यात्रियों के लिए बेहतर इंतजाम और सुरक्षा व्यवस्था. इसके अलावा, सभी स्टेशनों को उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे से सुसज्जित करना था ताकि यात्री किसी भी परेशानी से बच सकें.
इस योजना के तहत नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशनों को भी विकसित करने का प्रस्ताव था. इसके साथ ही, छोटे और मझोले शहरों के स्टेशनों को भी अपग्रेड करने का लक्ष्य था.
अब तक क्या हुआ?
2024-25 तक 453 स्टेशनों के विकास का लक्ष्य था, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अब तक केवल एक ही स्टेशन को अपग्रेड किया जा सका है. जी हां, 453 स्टेशन में से अब तक केवल एक स्टेशन का विकास हुआ है, जबकि बाकी के स्टेशन जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
यह स्थिति तब और हैरान कर देती है जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बार-बार सोशल मीडिया पर वीडियो और एनिमेशन शेयर करके दावा किया था कि भारत के रेलवे स्टेशन जल्द ही विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस होंगे. उन्होंने साल 2022 में दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए एक एनिमेटेड विजुअल शेयर किया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि कैसे दिल्ली रेलवे स्टेशन को एक आधुनिक रूप दिया जाएगा, लेकिन अब तक, वह सपना सच नहीं हो पाया है.
इसके अलावा द हिंदू की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि एक तीर्थ स्थल को भी अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत विकसित किया जाना था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी इसका आधा काम भी पूरा नहीं हो पाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहां कुछ काम हुआ भी है, वहां गुणवत्ता में काफी कमी है.

सांसद कल्याण बैनर्जी ने क्या कहा
17 मार्च को रेलवे के अनुदान पर चर्चा हो रही थी. इस दौरान पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बैनर्जी ने इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 453 रेलवे स्टेशनों का विकास होना था, लेकिन अब तक सिर्फ एक ही स्टेशन का विकास हुआ है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि 1100 मानव संचालित क्रॉसिंग को बंद करने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक केवल 497 क्रॉसिंग बंद हो पाई हैं.
इसके अलावा, रेलवे ट्रैक के विस्तार का लक्ष्य 20,000 किलोमीटर था, लेकिन अब तक सिर्फ 2855 किलोमीटर ट्रैक ही बिछाया जा सका है. इससे स्पष्ट होता है कि रेलवे मंत्रालय को अपनी योजनाओं को लागू करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
रेलवे मंत्रालय की रिपोर्ट
लोकसभा में स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. सीएम रमेश ने भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट पेश की है. समिति ने कहा कि अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1337 स्टेशनों की पहचान की गई है, जिनमें से 1202 स्टेशनों पर कार्य प्रगति पर है. हालांकि, दिसंबर 2024 तक 453 स्टेशनों के लक्ष्य के मुकाबले केवल एक ही स्टेशन को अपग्रेड किया जा सका है.
समिति ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए यह भी सिफारिश की कि अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत स्टेशनों के पुनर्विकास में भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके. इसके अलावा, पीपीपी मॉडल (Public-Private Partnership) की सफलता का भी मूल्यांकन किया जाए, ताकि इस योजना में सुधार किया जा सके.
राजस्व में आई कमी
समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन सालों में रेलवे की में भी काफी कमी आई है. इसका मतलब ये है कि रेलवे ने जितनी उम्मीद की थी, उससे कम पैसा कमाया है. 2025-26 के लिए जो अनुमानित शुद्ध राजस्व है, वो 3,041.31 करोड़ रुपये है. ये तो फिर भी ठीक है, लेकिन अगर हम माल ढुलाई राजस्व (1,88,000 करोड़ रुपये) और यात्री राजस्व (92,800 करोड़ रुपये) की तुलना करें, तो साफ है कि यात्री सेवाओं से रेलवे को कम पैसे मिल रहे हैंय
समिति ने रेलवे मंत्रालय को एक सुझाव दिया है कि अगर हमें यात्री राजस्व बढ़ाना है, तो रेलवे को अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाना होगा, जैसे कि ऑनबोर्ड सुविधाओं को सुधारना, ताकि यात्री ट्रेन यात्रा को और आकर्षक पाए. इसके साथ ही, रेलवे को ये भी ध्यान रखना होगा कि अगर यात्री सड़क और हवाई परिवहन के बजाय ट्रेन से यात्रा करना पसंद करने लगें, तो इससे रेलवे के यात्री आधार में वृद्धि होगी.
रिपोर्ट में रेलवे को अपनी परिचालन लागतों को कम करने के लिए भी कहा गया है. यानी, जितना खर्च रेलवे कर रहा है, उसे अनुकूलित (optimize) करना होगा ताकि रेलवे के पास ज्यादा पैसा बच सके. साथ ही, रेलवे को अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि वो टिकाऊ तरीके से काम कर सके और यात्रियों के लिए सस्ती सेवाएं दे सके.
क्या है असल समस्या?
रेलवे मंत्रालय की इन योजनाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जब इतनी बड़ी योजना बनाई गई थी, तो फिर क्यों सिर्फ एक ही स्टेशन का विकास हुआ है? इसका जवाब रेलवे मंत्रालय के भीतर की कार्यप्रणाली, बजट की कमी, सरकारी स्तर पर ब्योरा की कमी और भ्रष्टाचार से जुड़ी समस्याओं में छिपा हो सकता है.
क्या हो सकता है आगे?
अगर रेलवे मंत्रालय अपनी योजनाओं को सही तरीके से लागू करता है, तो वह निश्चित रूप से देश के रेलवे स्टेशनों को एक नया रूप दे सकता है. इसके लिए जरूरी है कि रेलवे मंत्रालय अपनी योजनाओं में गति लाए, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करे और सही समय पर कार्य पूरा करने के लिए उचित कदम उठाए.
रेलवे मंत्रालय को अपनी प्राथमिकताओं को फिर से तय करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और विकास के लिए किए गए वादों को निभाया जाए. साथ ही, सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आगामी सालों में इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए फंडिंग, योजना और प्रशासनिक सहयोग का एक मजबूत तंत्र तैयार किया जाए.
रेलवे स्टेशनों का विकास भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करता है, बल्कि देश के विकास को भी गति प्रदान करता है. लेकिन अगर सरकार अपनी योजनाओं को समय पर पूरा करने में सक्षम नहीं होती, तो यह एक बड़ा सवाल बन जाएगा कि क्या हम वाकई में अपनी रेलवे सेवाओं को विश्वस्तरीय बना पाएंगे.