दुनिया के 53% छात्र भूखे पेट पढ़ रहे ?

भूखे पेट पढ़ रहे दुनिया के आधे से ज्यादा बच्चे, यूनेस्को की चौंकाने वाली रिपोर्ट

यूनेस्को की एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि दुनिया के 53% बच्चे भूखे पेट स्कूल जाते हैं. रिपोर्ट में स्कूलों में पोषक आहार की कमी और गुणवत्ताहीन भोजन की समस्या उजागर हुई है. कुछ देशों जैसे ब्राजील, चीन और भारत में सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं, लेकिन यूनेस्को ने सरकारों से बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने की अपील की है.

भूखे पेट पढ़ रहे दुनिया के आधे से ज्यादा बच्चे, यूनेस्को की चौंकाने वाली रिपोर्ट

दुनिया के 53% छात्र भूखे पेट पढ़ रहे.

दुनिया के आधे से ज्यादा बच्चे भूखे पेट पढ़ रहे हैं, ये चौंकाने वाला खुलासा यूनेस्को की हालिया रिपोर्ट में हुआ है. दरअसल यूनेस्को ने हाल ही फ्रांस द्वारा आयोजित Education and Nutrition: Learn to Eat Well रिपोर्ट जारी की थी. इसमें दुनिया भर के स्कूलों में दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता के बारे में बताया गया है और इसमें सुधार का आग्रहण किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 53 प्रतिशत बच्चों को स्कूल में खाना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले महज 47 प्रतिशत बच्चों को ही ये सुविधा मिल रही है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि बच्चों को जो भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है, अगर इस गुणवत्ता को सुधार लिया जाए तो स्कूलों में बच्चों का नामांकन और उपस्थिति दर को बढ़ाया जा सकता है.

बच्चों में बढ़ रहा मोटापायूनेस्को की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दुनिया भर में 27 प्रतिशत स्कूलों में न्यूट्रिशन एक्सपर्ट के बिना खाना तैयार कराया जा रहा है. इसमें ये भी सामने आया कि कुल 187 देशों में से सिर्फ 93 देश ही ऐसे हैं जहां स्कूल की फूड पॉलिसी को नियंत्रित करने वाला कानून है. इसके अलावा 65 प्रतिशत देश ही ऐसे हैं जहां कैफेटेरिया और वेंडिंग मशीनों से बेचे जा रहे भोजन के विशिष्ट मानक हैं. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि खाने में गुणवत्ता की कमी की वजह से 1990 के बाद बचपन में मोटापे की दर दोगुनी हो गई है. इसके बावजूद लाखों बच्चों तक पौष्टिक खाना नहीं पहुंच पा रहा है.

भारत समेत कुछ देशों में सुधार

रिपोर्ट में बताया गया है कि किन देशों ने भोजन की गुणवत्ता सुधारने की सफल पहल की गई.इसमें पहला नंबर ब्राजील का है, जहां नेशनल स्कूल फीडिंग प्रोग्राम में प्रोसेस्ड फूड पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, ताकि बच्चों को अच्छा खाना उपलब्ध हो. इसके अलावा चीन में भी स्कूली बच्चों के खाने में डेयरी फूड और सब्जियों को शामिल किया गया है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की पहल ने व्यापक सुधार किया है. नाइजीरिया में घर घर जाकर स्कूल में भोजन उपलब्ध कराने की योजना के बारे में बताया जा रहा है, जिससे बच्चों की नामांकन दर में 20 प्रतिशत तक सुधार हुआ है. इसमें अलावा भारत के महाराष्ट्र में भी फोर्टिफाइड जैविक मोती बाजरा का खाना उपलब्ध कराने से किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है.

यूनेस्को ने की ये अपीलयूनेस्को ने रिपोर्ट में ये भी अपील की है कि सरकारों को बच्चों को उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन में ताजे फल और साबुत अनाज शामिल करना चाहिए. इसके अलावा शुगर फूड और प्रोसेस्ड फूड पर रोक लगानी चाहिए. बच्चों को ये भी बताना चाहिए कि उनके लिए किस तरह का खाना बेहतर है. इसके लिए यूनेस्को ने एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी तैयार किया है.

 

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