नीमच में फर्जी एनकाउंटर…TI छुट्टी लेकर गायब ?

नीमच में फर्जी एनकाउंटर के 16 साल पुराने मामले में ग्वालियर के TI छुट्टी लेकर गायब

मध्य प्रदेश के नीमच में 2009 में हुए फर्जी एनकाउंटर केस में टीआई मंगल सिंह पपोला सीबीआई के रडार पर हैं। बंशी गुर्जर को मारने का दावा झूठा निकला, क्योंकि वह 2012 में जिंदा मिला। अब पपोला भूमिगत हैं और स्पेशल लीव पर चले गए हैं।

नीमच में फर्जी एनकाउंटर के 16 साल पुराने मामले में ग्वालियर के TI छुट्टी लेकर गायबनीमच में फर्जी एनकाउंटर का मामला।
  1. 009 में पुलिस ने बंशी गुर्जर का एनकाउंटर बताया
  2. समन के बाद भूमिगत हुए, मोबाइल भी किया बंद
  3. मृतक की पहचान आज तक नहीं हो सकी स्पष्ट

 ग्वालियर। मध्य प्रदेश के नीमच में 16 साल पहले हुए एक कथित फर्जी एनकाउंटर का मामला फिर सुर्खियों में है। इस मामले में ग्वालियर के झांसी रोड थाने के टीआई मंगल सिंह पपोला सीबीआई की कार्रवाई के दायरे में आ गए हैं।

सीबीआई ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया, लेकिन जब हवलदार थाने पहुंचा तो पपोला वहां नहीं मिले। इसके बाद उन्होंने मोबाइल बंद कर लिया और भूमिगत हो गए। अब वे स्पेशल पे लीव (एसपीएल) पर चले गए हैं। यह मामला 2009 का है, जब नीमच पुलिस ने नशे के तस्कर बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मारने का दावा किया था, लेकिन 2012 में बंशी जिंदा पकड़ा गया।

फर्जी एनकाउंटर का खुलासा

  • 2009 में नीमच पुलिस ने दावा किया था कि 7-8 फरवरी की रात उन्होंने बंशी गुर्जर का एनकाउंटर किया। उस समय पुलिस को खूब वाहवाही मिली थी, लेकिन तीन साल बाद 2012 में बंशी गुर्जर जिंदा लौट आया, जिससे साबित हुआ कि जिसे मारा गया, वह कोई और था।
  • इस घटना में शामिल पुलिस टीम पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगे। उस समय की टीम में मंगल सिंह पपोला आरक्षक थे और तत्कालीन टीआई पीएस परमार व मुख्तौर कुरैशी के साथ थे। इस एनकाउंटर के बाद पपोला को प्रमोशन भी मिला था।

सीबीआई की कार्रवाई और कोर्ट का हस्तक्षेप

  • शुरुआत में मामले की जांच सीआईडी को सौंपी गई, लेकिन पुलिस विभाग से जुड़े होने के कारण इसमें लीपापोती के आरोप लगे। इसके बाद कोर्ट में याचिका दायर हुई और 2014 में जांच सीबीआई को हस्तांतरित हुई। हाल ही में कोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई ने कार्रवाई तेज की।
  • नीमच के इस केस में ग्वालियर के टीआई पपोला के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में कार्यरत एएसपी, डीएसपी और निरीक्षकों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। कोटा सीबीआई ने पपोला को समन जारी किया है।

मृतक की पहचान अभी तक नहीं:

  • फर्जी एनकाउंटर के मामले में जब बंशी गुर्जर जिंदा निकला तो पुलिस ने किसे बंशी गुर्जर बताकर एनकाउंटर किया, यह खुलासा सीबीआइ ने अभी नहीं किया है। न ही एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम अभी तक स्पष्ट कर पाई है कि मृतक कौन था। यह 16 साल बाद भी रहस्य बना हुआ है।
  • कोटा सीबीआइ ने नीमच के एनकाउंटर केस में टीआइ मंगल सिंह पपोला को समन जारी किया है। इसके बाद से वह एसपीएल पर हैं। इससे ज्यादा जानकारी नहीं हैं। इस संबंध में वरिष्ठों को भी जानकारी दे दी गई है। -कृष्ण लालचंदानी, एएसपी, ग्वालियर

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भोपाल। दिल्ली की सीबीआई टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में एसडीओपी एडविन कर को गिरफ्तार किया है। एडविन पन्ना जिले के गुनौर अनुविभाग में SDOP के पद पर पदस्थ है। यह मामला 2009 में नीमच में हुए बंसी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर से जुड़ा है। जहां बंसी गुर्जर नामक एक कथित तस्कर का फेक एनकाउंटर हुआ था।  पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मारा गया बताया था, लेकिन बाद में वह जिंदा पाया गया। 

जानकारी के मुताबिक कुछ सालों बाद हत्या के मामले में पुलिस ने गुर्जर को गिरफ्तार भी किया था। इस मामले में, बंसी गुर्जर के स्थान पर जिस युवक की मौत हुई थी, पुलिस आज तक उसकी पहचान नहीं कर पाई है। एनकाउंटर की टीम में भोपाल क्राइम ब्रांच के ACP मुख्तर कुरैशी भी शामिल थे। डीएसपी एडविन कर की गिरफ्तारी के बाद मुख्तर कुरैशी अंडरग्राउंड हो गये हैं। 

कैसे खुला राज?दरअसल वर्ष 2009 में नीमच पुलिस ने दावा किया था कि बंशी गुर्जर पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। लेकिन कुछ साल बाद यह खबर सामने आई कि बंशी गुर्जर न केवल जीवित है, बल्कि अलग-अलग जगहों पर छिपकर अपराधों को अंजाम दे रहा है। मामला कोर्ट तक पहुंचा, और 2011 में गिरफ्तार तस्कर घनश्याम धाकड़ ने पुलिस को बताया कि फरारी के दौरान वह बंशी गुर्जर के साथ रह चुका है।बंशी गुर्जर की गिरफ्तारी 20 नवंबर 2011 को उज्जैन से हुई, जिससे साफ हो गया कि 2009 का एनकाउंटर फर्जी था। जांच में यह भी सामने आया कि बंशी गुर्जर ने खुद को मृत साबित करने के लिए नकली दस्तावेज भी तैयार किए थे।

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16 साल पहले हुआ था फर्जी एनकाउंटर, डीएसपी व हेड कांस्टेबल को CBI ने किया था गिरफ्तार, अब कोर्ट ने भी सुनाया फैसला

 Apr 2025, 7:38 pm
Neemuch Fake Encounter: मध्य प्रदेश के नीमच में 16 साल पहले एक एनकाउंटर हुआ था। जांच में पता चला की यह फर्जी एनकाउंटर था। जिसके बाद डीएसपी और हेड कांस्टेबल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। अब कोर्ट ने दोनों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।
Neemuch News
नीमच फर्जी एनकाउंटर मामले में कोर्ट का फैसला
नीमच: बहुचर्चित बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। पन्ना डीएसपी ग्लेडविन एडवर्ड कार और हेड कांस्टेबल नीरज प्रधान की जमानत याचिका को इंदौर जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दोनों ने 4 अप्रैल को बेल के एप्लिकेशन डाली थी। कोर्ट ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका रद्द कर दी है।

दरअसल, सीबीआई दिल्ली यूनिट-1 ने दोनों को 2 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। एक दिन की रिमांड के बाद दोनों को सेंट्रल जेल इंदौर भेजा गया था। इनके खिलाफ सीबीआई ने आईपीसी की धारा 307, 353, 332 और आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27 के तहत केस दर्ज किया है। दोनों पर आरोप है कि फर्जी एनकाउंटर में किसी अन्य व्यक्ति को मार दिया था।

16 साल बाद सीबीआई को मिला ब्रेक थ्रू
बता दें कि सीबीआई को बंशी गुर्जर मामले में 16 साल बाद बड़ा ब्रेक थ्रू मिला है। सीबीआई ने उस व्यक्ति की पहचान कर ली है, जिसे 2009 में बंशी गुर्जर बताकर मार दिया था। हालांकि, सीबीआई ने मृतक का नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। पहचान के बाद सीबीआई ने दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया। खबर फैलते ही मामले में कई पुलिस अधिकारी अंडर ग्राउंड हो गए।

जांच के दायरे में ये अधिकारी
बड़वानी एएसपी अनिल पाटीदार, पीथमपुर सीएसपी विवेक गुप्ता, इंदौर क्राइम ब्रांच एसीपी मुख्तियार कुरैशी और सेवानिवृत्त टीआई पीएस परमार सहित कई अधिकारी फरार बंशी गुर्जर के फर्जी एनकाउंटर में जांच के दायरे में हैं। ऐसे में ये सभी जांच ओपन होने पर अधिकारी भूमिगत हो गए है। तो कुछ अधिकारी लंबे अवकाश पर चले गए। कुछ बिना सूचना के गायब हैं। इनके मोबाइल भी बंद हैं। संबंधित जिलों के एसपी भी इनके बारे में जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। फर्जी एनकाउंटर में कुल 24 लोगों के नाम शामिल हैं, इनमें से 13 पुलिसकर्मी जांच के दायरे में है।

26 मार्च 2011 को जावरा-नयागांव फोरलेन पर भरभड़िया फंटे के पास एक शव मिला था। पहचान राजस्थान के मोतीपुरा निवासी तस्कर घनश्याम धाकड़ के रूप में हुई। परिजनों ने भी पुष्टि की। लेकिन 25 सितंबर 2012 को घनश्याम भी जिंदा मिला। उसे राजस्थान के कनेरा गांव से गिरफ्तार किया गया। घनश्याम धाकड़ ने ही बताया था कि खुद को मृत दिखाने का आइडिया बंशी गुर्जर ने उसे दिया था। घनश्याम ने ही बताया था कि बंशी गुर्जर भी जिंदा है। घनश्याम के इस बयान के बाद मानो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया, क्योंकि बंशी गुर्जर के एनकाउंटर में तत्कालीन नीमच एसपी सहित कई पुलिस अधिकारियों ने वाहवही लूटी थी। इनाम भी हासिल किया था, लेकिन घनश्याम के बयान के बाद पूरा मामला ही फर्जी निकला।

बंशी गुर्जर के एनकाउंटर का राज खोलने के बाद उसे 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन के दानीगेट से गिरफ्तार किया था। इसके बाद पहले जांच सीआईडी को सौंपी गई, लेकिन विभागीय मिलीभगत से जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बाद उज्जैन के गोवर्धन पंड्या और नीमच के मूलचंद खींची ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई। नवंबर 2014 में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए।

मृतक की पहचान के बाद कार्रवाई तेज हुई
करीब 14 से 15 से सीबीआई की दिल्ली टीम बंशी गुर्जर की जगह मारे गए व्यक्ति की पहचान में जुटी थी। बताया जा रहा बीते कुछ दिन पूर्व ही बंसी की जगह मारे गए व्यक्ति की पहचान हुई, इसके बाद से कार्रवाई में तेजी आई है और इंदौर से तत्कालीन रामपुरा टीआई ग्लेडविन एडवर्ड और नीमच से तत्कालीन प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया।

अब सच्चाई सामने आने की उम्मीद
इस पूरे मामले में शासन और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। फर्जी एनकाउंटर सामने आने के बाद भी कई अधिकारियों को प्रमोशन मिला। वे अब तक सेवा में हैं। राजनीतिक संरक्षण की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सीबीआई की ताजा कार्रवाई से उम्मीद है कि 16 साल पुराने इस मामले की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी।

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