NCR में बिल्डर-बैंक नेक्सेस की होगी CBI जांच …नोएडा ग्रेटरनोएडा में 70 हजार बायर्स को नहीं मिला फ्लैट !

NCR में बिल्डर-बैंक नेक्सेस की होगी CBI जांच …
नोएडा ग्रेटरनोएडा में 70 हजार बायर्स को नहीं मिला फ्लैट, सबवेंशन स्कीम में ऐसे फंसे बायर्स
सांकेतिक फोटो। - Dainik Bhaskar
सांकेतिक फोटो…

एनसीआर में बिल्डरों और बैंकों और एनबीएफसी के बीच कथित सांठगांठ की जांच सीबीआई करेगी। ये आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बायर्स की याचिका पर दिया है। यह निर्णय उन हजारों घर खरीदारों की शिकायतों के बाद आया है।

जो सालों से अपने फ्लैटों का कब्जा नहीं पा सके हैं, जबकि बैंकों द्वारा उन्हें ईएमआई चुकाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इसमें से हजारों की संख्या में ऐसे बायर्स है जो अब डिफाल्टर की श्रेणी में आ चुके है। नोएडा ग्रेटरनोएडा में ऐसे करीब 70 हजार फ्लैट बायर्स है जिनको अब तक पजेशन नहीं मिला है। ​ नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि यहां हजारों फ्लैट बायर्स हैं जिन्होंने बिल्डर को पूरा पैसा दिया। बिल्डर पर ईएमआई पर ब्याज बैंक में जमा नहीं किया। ऐसे बायर्स डिफाल्टर हो गए।

क्या है कोर्ट का आदेश इसे जाने

सुप्रीम कोर्ट के अपने आदेश में कहा कि एनसीआर में बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ की सीबीआई जांच होगी। इस मामले में सीबीआई निदेशक को एसआईटी बनाने के निर्देश दिए गए है। यूपी और हरियाणा डीजीपी को सीबीआई को पुलिस अफसर मुहैया कराने के आदेश दिया गया है।

इनमें एक PE सुपरटेक के खिलाफ होगी। मामले की मॉनिटरिंग खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा। इस मामले में सीबीआई से मांगी अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। इस मामले में हर महीने सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

बायर्स को फंसाने के लिए बिल्डर लेकर आया सबवेंशन स्कीम क्या है?

सबवेंशन स्कीम रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा बैंकों के सहयोग से शुरू की गई एक भुगतान योजना थी। जिसका उद्देश्य घर खरीदने वालों के लिए संपत्ति खरीदना अधिक आसान और आकर्षक बनाना था। इस योजना के तहत खरीदार एक छोटे से शुरुआती निवेश के साथ घर बुक कर सकते थे। जबकि बिल्डर ने कब्जा मिलने तक लोन ब्याज (प्री-ईएमआई) का भुगतान करने की जिम्मेदारी ली थी।

सबवेंशन स्कीम कैसे काम करती है

  • घर खरीदने वाला व्यक्ति एक अग्रिम राशि का भुगतान करता था, जो आमतौर पर कुल संपत्ति लागत का 5% से 20% होता था।
  • बैंक शेष राशि के लिए होम लोन स्वीकृत करता था और कुल लागत का 80-95% सीधे डेवलपर को वितरित करता था।
  • बिल्डर परियोजना पूरी होने और कब्जा सौंपे जाने तक लोन पर केवल ब्याज (प्री-ईएमआई) का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ।
  • जब खरीदार को संपत्ति का कब्जा मिल गया, तो उसने शेष राशि का भुगतान किया और लोन पर पूरी ईएमआई का भुगतान करना शुरू कर दिया।

कैसे बायर्स हो गए डिफाल्टर

बिल्डर की योजना में बायर्स आ गए। उन्होंने कुल लागत का 5 से 20 प्रतिशत तक पैसा बिल्डर को देकर फ्लैट बुक कराया। इसके बाद बिल्डर ने बैंक से प्रॉपर्टी पर 80 प्रतिशत का लोन दिलाया। ये लोन बिल्डर के पास गया।

योजना के तहत बिल्डर को लोन की ईएमआई पर लगने वाले ब्याज का भुगतान बैंक को करना था। कुछ किस्ते भरने के बाद बिल्डर ने ब्याज देना बंद कर दिया। ये पैसा अन्य परियोजना में डायवर्ट किया। साथ ही निर्माण कार्य भी बंद कर दिया। ऐसे में बायर्स को न तो फ्लैट मिला ब्याज और किस्त जमा नहीं होने पर वो डिफाल्टर हो गया।

नोएडा ग्रेटरनोएडा में इसका असर

अदालत ने पाया कि सुपरटेक के 6 शहरों में 21 से अधिक प्रोजेक्ट हैं। जिनमें 19 वित्तीय संस्थान हैं। इनमें से कम से कम 800 पीड़ित घर खरीदार हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि सुपरटेक और 8 बैंकों के बीच अंतर्निहित साठगांठ की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा दिल्ली एनसीआर के अन्य शहरों में भी बिल्डर और बैंक के कथित साठगांठ की जांच की जाए।

दरअसल नोएडा और ग्रेटरनोएडा में अब भी करीब 70 हजार से ज्यादा फ्लैट बायर्स है जिनको फ्लैट नहीं मिला है। इसमें सुपरटेक , जेपी, यूनीटेक और आम्रपाली के फ्लैट बायर्स है। प्रदर्शन के दौरान इनका हर बार यहीं कहना होता है कि हम बिल्डर को पूरा पैसा दे चुके है। लेकिन अब तक हमे घर नहीं मिला। जबकि ईएमआई लगातार जारी है। सीबीआई जांच के बाद इस बड़े नेक्सेस का खुलासा होगा।

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NCR बैंक-बिल्डर गठजोड़: सूचनाओं के अभाव में सीबीआई जांच का रोडमैप लटका

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: एनसीआर में ठगे गए हजारों होम बायर्स के घावों पर सुप्रीम कोर्ट के मरहम के बावजूद बैंको-बिल्डरों के बीच भ्रष्ट गठजोड़ की सीबीआई जांच का खाका तैयार नहीं हो सका है।

सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में मांगा था जांच का प्रस्ताव

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जरुरी जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है। एजेंसी ने एनसीआर के तीनों प्रमुख प्राधिकरणों को निर्धारित फॉर्मेट भेजकर आठ बिंदुओं पर जानकारियां मांगी हैं। इसके बाद ही सीबीआई जांच का रोड मैप तैयार कर सकेगी।

दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय की आर्थिक अपराध शाखा (इकोनॉमिक ऑफेंस जोन) ईओ एक के प्रमुख और डीआईजी गगनदीप सिंगला की तरफ से 29 मार्च को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी), यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा), नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा अथॉरिटी) के सीईओ को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि एसएलपी हिमांशु सिंह बनाम केंद्र सरकार के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को इस संबंध में दो हफ़्तों के भीतर विस्तृत जांच प्रस्ताव दाखिल करना है।

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम(हरियाणा) और आसपास के क्षेत्रों में जारी आवासीय योजनाओं में बैंकों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ का संज्ञान लिया था। सीबीआई ने एक अप्रैल तक जानकारियां मांगी थी। अभी तक सिर्फ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने ही मांगी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं।

एनसीआर के तीन में से दो प्राधिकरणों ने नहीं भेजा जवाब

वहीं यीडा और नोएडा अथॉरिटी के अफसर सूचनाओं का जवाब दो हफ्ते बाद भी तैयार नहीं कर सके हैं। सीबीआई ने निर्धारित प्रोफार्मा पर आठ सेगमेंट के जरिये ठप प्रोजेक्टों का पता और नाम, संबंधित बिल्डरों का पता और नाम, भूमि आवंटित करने की तिथि, संबंधित अथॉरिटी का कुल बकाया, 25 फीसदी पैसा जमा किया गया या नहीं, ठप-पुनर्जीवित-सरेंडर प्रोजेक्टों की ताजा स्थिति, रेरा रजिस्ट्रेशन और अतिरिक्त सूचनाएं (यदि हों, कमेंट्स) मांगा है।

दो प्राधिकरणों से जानकारियां नहीं मिलने के कारण सीबीआई जांच के लिए तय होने जा रहे रोडमैप का खाका खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दो हफ़्तों के भीतर जांच कैसे की जायेगी, इसका रोडमैप तैयार करने का भरोसा दिया गया था। एनसीआर के 40 बिल्डर और 30 बैंक/फाइनेंशियल संस्थाओं पर 18 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अख्तियार किया था।

क्या कहते हैं एनसीआर की तीनों अथॉरिटी के बड़े अफसर
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के बड़े अफसर के मुताबिक सीबीआई ने निर्धारित फॉर्मैट पर जो जानकारियां मांगी। उन्हें भेज दिया गया है। नोएडा अथॉरिटी के बड़े अफसर ने कहा कि अभी वांछित सूचनाओं का जवाब तैयार हो रहा है, जल्द भेज देंगे। यीडा अफसरों ने भी अभी जानकारियां नहीं भेजना स्वीकारा। यह संवेदनशील मामला सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा होने के चलते अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी है।
Bengal
अभी सिर्फ एक अथॉरिटी ने जवाब भेजा : सीबीआई
सीबीआई के बड़े अफसर के मुताबिक अभी जांच नहीं शुरू की गयी है। एसएलपी में 170 के आसपास रिट फाइल है। सिर्फ हिमांशु सिंह के आधार पर जानकारियां मांगी गयी हैं। अभी एनसीआर की सिर्फ एक अथॉरिटी ने जवाब भेजा है। बाकी दोनों अथारिटी से जानकारियां आने के बाद जांच के लिए रोडमैप बनाएंगे। सीबीआई अफसर से जब पूछा गया कि दो हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट ने रोडमैप मांगा था, जो पूरे हो गए। इतना सुनते ही फोन काट दिया।

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