कहर बना गर्मी-वायु प्रदूषण का मेल, 30 साल में 1.42 लाख मौतें ?

चिंताजनक: कहर बना गर्मी-वायु प्रदूषण का मेल, 30 साल में 1.42 लाख मौतें; बड़े महानगरों में हालात ज्यादा खराब

अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि पिछले तीन दशकों में न केवल गर्मी और प्रदूषण की घटनाएं पहले से अधिक बार हुई हैं। साथ ही इनके दौरान पीएम2.5 का स्तर भी काफी बढ़ा है।
 
combined effect of air pollution and extreme heat in India killed more than one lakh people in last 30 years
सांकेतिक तस्वीर …
भारत में वायु प्रदूषण और तीव्र गर्मी के संयुक्त प्रभाव ने बीते 30 वर्षों में लगभग 1,42,765 लोगों की जान ले ली है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय प्रदूषण का मेल अब केवल पर्यावरणीय नहीं बल्कि गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका जियोहेल्थ में प्रकाशित इस शोध में यह बताया गया है कि वायुप्रदूषण के अति सूक्ष्म कण पीएम 2.5 और अत्यधिक गर्मी दोनों मिलकर न केवल हीट स्ट्रोक जैसी स्थितियां उत्पन्न करते हैं बल्कि सांस की बीमारियां, हृदय रोग, मधुमेह की जटिलताएं और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। पीएम2.5, यानी 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे सूक्ष्म कण हवा में मौजूद धूल, कालिख (ब्लैक कार्बन), समुद्री नमक, सल्फेट और जैविक कणों से मिलकर बनते हैं। ये कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि सांस के साथ फेफड़ों के भीतर पहुंचकर रक्तप्रवाह में समा सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव उत्पन्न होते हैं। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 1990 से 2019 के बीच दुनियाभर में वैश्विक जलवायु और प्रदूषण (पीएम2.5) के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

पिछले तीन दशक में गर्मी और प्रदूषण दोनों बढ़े
अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि पिछले तीन दशकों में न केवल गर्मी और प्रदूषण की घटनाएं पहले से अधिक बार हुई हैं। साथ ही इनके दौरान पीएम2.5 का स्तर भी काफी बढ़ा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 1990 से 2019 के बीच गर्मी और प्रदूषण भरे दौर में पीएम2.5 के संपर्क में आने से दुनिया भर में 6,94,440 लोगों की असमय मृत्यु हुई है।

बड़े महानगरों में हालात ज्यादा खराब
क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट में यह पाया गया कि दिल्ली, पटना, लखनऊ, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े महानगरों में बढ़ते तापमान के साथ-साथ पीएम2.5 स्तर में भी खतरनाक वृद्धि देखी गई है। अधिक तापमान रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करता है, जिससे वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) की मात्रा बढ़ती है। ये तत्व वायु में मिलकर अत्यधिक विषैले प्रदूषक पैदा करते हैं।

भारत पर विशेष असर…
भारत में किए गए अध्ययन में यह सामने आया कि जब गर्मी अत्यधिक होती है और उसी समय पीएम2.5 का स्तर भी बढ़ा होता है तो मृत्यु दर में तीव्र वृद्धि होती है। करीब 36 लाख मौतों के डाटा के विश्लेषण में यह पाया गया कि अत्यधिक गर्म दिनों में, यदि पीएम2.5 का स्तर 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बढ़े तो उस दिन मौतों में 4.6% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह आंकड़ा सामान्य दिनों में देखे गए 0.8% की वृद्धि से कई गुना अधिक है।

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