11 साल, 151 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं, 72 देश…विदेश नीति पर उठाए सवाल

11 साल, 151 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं, 72 देश’, खरगे ने पीएम मोदी की विदेश नीति पर उठाए सवाल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 11 वर्षों से लगातार विदेश यात्राएं कर रहे हैं, लेकिन जब भारत को पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत थी, तो कोई भी देश हमारा साथ देने के लिए आगे नहीं आया।
'11 years, 151 international trips, 72 countries', Kharge raised questions on PM Modi's foreign policy

पीएम मोदी पर खरगे ने कसा तंज – फोटो : ANI
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री की विदेश नीति को लेकर सवाल उठाए हैं। खरगे ने कहा कि 11 साल, 151 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं, 72 देश, मगर भारत को क्या मिला? इसमें 10 बार अमेरिका की यात्रा शामिल है, लेकिन वैश्विक मंच पर भारत अलग-थलग दिख रहा है।

एक्स पर पोस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 11 वर्षों से लगातार विदेश यात्राएं कर रहे हैं, लेकिन जब भारत को पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत थी, तो कोई भी देश हमारा साथ देने के लिए आगे नहीं आया। पिछले 11 साल में प्रधानमंत्री मोदी ने 151 विदेश यात्राएं की हैं और 72 देशों का दौरा किया है। इनमें से उन्होंने 10 बार अमेरिका का दौरा किया है। फिर भी, मोदी सरकार की विदेश नीति के तहत हमारा देश अकेला खड़ा है। क्या प्रधानमंत्री का काम सिर्फ विदेश जाकर फोटो खिंचवाना है? 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से पाकिस्तान को लोन दिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर का लोन दिया है। लेकिन किसी ने भी भारत के रुख का समर्थन नहीं किया। जब हमारी बहादुर सेना आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन कर रही थी, तब अचानक युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई।

संघर्ष विराम में मध्यस्थता के ट्रंप के दावे पर खरगे ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कहकर हमारे देश का अपमान किया है कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराया और यह बात कम से कम 7 बार दोहराई। पूरा देश आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई में एकजुट था, लेकिन मोदी जी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों के बारे में देश की जनता को स्पष्टता न देकर इस मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। 

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