घर खरीदते समय अगर की ये 6 गलतियां, तो RERA भी नहीं कर पाएगा फिर आपकी कोई मदद
RERA: घर खरीदते समय अगर की ये 6 गलतियां, तो RERA भी नहीं कर पाएगा फिर आपकी कोई मदद

भारत में घर खरीदना कोई आसान काम नहीं है। किफायती दरों पर होम लोन प्राप्त करना, कानूनी जटिलताओं से निपटना, प्रोजेक्ट में देरी और बिल्डर द्वारा आवंटन रद्द करना ऐसी तमाम मुश्किलें हैं, जिनका सामना हर घर खरीदान को करना पड़ता है। रियल एस्टेट डेवलपर्स की अनुचित प्रथाओं से घर खरीदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (RERA) लागू किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में, RERA भारत में घर खरीदारों के लिए एक मजबूत नियामक सुरक्षा प्रदान करने वाला बनकर उभरा है। कई मामलों में, पीड़ित खरीदारों ने RERA में बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज की और उन्हें मुआवजा भी मिला। हालांकि, कुछ ऐसे मामले हैं जहां प्रॉपर्टी खरीदते समय उचित सावधानी न बरतने पर RERA भी परेशान घर खरीदार की कोई मदद नहीं कर सकता है। तो आइए जानते हैं वो कौन-सी गलतियां हैं, जिन्हें करने से हर घर खरीदार को बचना चाहिए।
RERA मुख्य रूप से चल रहे और भविष्य के प्रोजेक्ट्स पर लागू होता है, जिसके कारण यह स्वतः ही उन प्रोजेक्ट्स को बाहर कर देता है जो प्री-RERA हैं, यानी एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं हैं। प्री-RERA प्रोजेक्ट्स में खरीदार RERA में शिकायत नहीं कर सकते। अगर डेवलपर रेरा एक्ट के तहत लगाए गए दायित्वों का उल्लंघन करता है, तभी शिकायत दर्ज हो सकती है। निगम द्वारा स्वीकृत योजनाओं या ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को चुनौती देने वाली शिकायतें आमतौर पर RERA द्वारा स्वीकार नहीं की जातीं। यदि प्रोजेक्ट नियामक सीमा (500 वर्ग मीटर से कम या 8 यूनिट से कम) के नीचे है, तो खरीदार RERA के तहत राहत नहीं मांग सकते और उन्हें उपभोक्ता या सिविल कोर्ट में कानूनी कार्रवाई करनी होगी। इसलिए घर खरीदते समय यह ध्यान रखें कि प्रोजेक्ट रेरा के तहत पंजीकृत होना चाहिए। छोटे प्रोजेक्ट से दूर रहने में ही भलाई है।
एकतरफा क्लॉज वाले समझौतेकई रियल एस्टेट डेवलपर्स समझौतों में एकतरफा क्लॉज शामिल करते हैं, जो उन्हें आवंटन रद्द करने या खरीदार की स्पष्ट सहमति के बिना प्रोजेक्ट विनिर्देशों में बदलाव करने जैसे कई पहलुओं में पूर्ण अधिकार देते हैं। CREDAI के कानूनी सलाहकार और रियल एस्टेट विशेषज्ञ एडवोकेट प्रणव गुप्ता कहते हैं, “कई बार घर खरीदार बिना सावधानीपूर्वक जांच के एफिडेविट, नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOCs), और अंडरटेकिंग जैसे दस्तावेजों में उल्लिखित कार्रवाइयों को स्वीकार या लागू करते हैं। ऐसे दस्तावेजों में अक्सर प्रतिबंधात्मक क्लॉज होते हैं जो खरीदारों को भविष्य में कानूनी दावे करने से रोकते हैं। RERA प्राधिकरण, इन निष्पादित दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए, अक्सर घर खरीदारों के हितों के खिलाफ फैसले सुनाते हैं। इसलिए किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार जरूर पढ़ें और समझ में न आने पर अपने कानूनी सलाहकार की मदद लें।
बुकिंग स्टेज में नकद लेनदेनकई खरीदार स्टांप ड्यूटी से बचने के लिए बुकिंग स्टेज में नकद लेनदेन करते हैं। ऐसे में अगर आवंटन रद्द होता है तब इस स्थिति में रिफंड की संभावना कमजोर हो जाती है। इससे घर खरीदार कानूनी रूप से कमजोर हो जाता है। बुकिंग फॉर्म को वैधानिक मान्यता न होने से खरीदार की स्थिति कमजोर हो जाती है, जिससे उन्हें RERA के तहत पर्याप्त सहारा नहीं मिलता। ” इसलिए बुकिंग स्टेज में नकद लेनदेन से जितना हो सके उतना बचने की कोशिश करनी चाहिए।
भुगतान समयसीमा में चूकसबसे आम कारणों में से एक है भुगतान में चूक, जहां खरीदार सहमत भुगतान अवधि का पालन नहीं करते। ऐसी स्थिति में, बिल्डर खरीदार की वित्तीय चूक के कारण होने वाली प्रोजेक्ट देरी के लिए जिम्मेदार नहीं होता, और इसके बजाय खरीदार को जुर्माना या ब्याज देना पड़ सकता है। यदि खरीदार भुगतान में चूक करता है, तो वह कब्जे में देरी के लिए राहत मांगने का अधिकार खो सकता है। इसलिए, खरीदार को बिक्री समझौते की समीक्षा करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भुगतान अवधि बहुत सख्त न हो और वे अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को समय पर पूरा कर सकें।
शिकायत दर्ज करने में देरीRERA में शिकायतों के लिए स्पष्ट रूप से कोई वैधानिक सीमा अवधि निर्धारित नहीं है, लेकिन अदालतों ने बार-बार उचित समय सीमा के भीतर दावे दर्ज करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यदि शिकायत में अत्यधिक देरी होती है, तो RERA दावे को खारिज कर सकता है। शिकायत दर्ज करने में देरी खरीदार के मामले को कमजोर कर सकती है। यदि घर खरीदार बिल्डर की चूक की समय पर रिपोर्ट करने में विफल रहता है, तो RERA दावे को समय-सीमाबद्ध मान सकता है, जिससे उनकी राहत की क्षमता सीमित हो जाती है। इसके अलावा, शिकायत दर्ज करने में तकनीकी गैर-अनुपालन या समय सीमा चूकने से मामले खारिज हो सकते हैं। इसलिए समय रहते शिकायत करने में ही समझदारी है।