साइबर अपराध से सुरक्षित होगा एम्स, स्टाफ सीख रहा गुर

साइबर अपराध से सुरक्षित होगा एम्स, स्टाफ सीख रहा गुर

डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ को दिया जा चुका है विशेष प्रशिक्षण

नई दिल्ली। एम्स को साइबर हमले से बचाने के लिए स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शुक्रवार तक एम्स में विशेष सत्र चलेगा। इससे पहले एम्स ने डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया था। इसे लेकर एम्स के निदेशक एम श्रीनिवास ने आदेश जारी किया है।

आदेश के तहत एम्स के स्टाफ को अनिवार्य रूप से ट्रेनिंग लेनी होगी। इससे पहले नवंबर 2022 में हुए साइबर हमले के बाद छह माह तक एम्स की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं थीं। ऑनलाइन पंजीकरण व रिपोर्ट सहित दूसरे डाटा को लेकर मरीजों को लंबे समय तक परेशान होना पड़ा था। मरीज को लैब में रिपोर्ट लेनी पड़ रही थी। एम्स में रोजाना एक लाख से अधिक जांच होती हैं। साथ ही, रोजाना 15 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं। करीब तीन हजार मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा रोजाना औसत 800 मरीज आपातकालीन विभाग में इलाज के लिए आते हैं। इन सभी का रिकार्ड मौजूदा समय में ऑनलाइन रहता है। इनके डाटा को सुरक्षित रखने के लिए एम्स में चैट जीटीपी सहित कई एप को बैन किया गया है।

बढ़ रही साइबर सुरक्षा की जरूरत
एम्स के विशेषज्ञाें का कहना है कि मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और स्वास्थ्य सेवा संस्थान को लक्षित कर होने वाले साइबर खतरों के बढ़ते जोखिम को देखते हुए कंप्यूटर सुविधा सहित एम्स के सभी कर्मचारियों को विशेष रूप से साइबर सुरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं।

बाहर के उपकरण नहीं होंगे इस्तेमाल
एम्स में साइबर सुरक्षा को देखते हुए संस्थान के कंप्यूटर पर बाहर के उपकरण का इस्तेमाल मना कर दिया गया है। एम्स का मानना है कि बाहर के उपकरण के माध्यम से संस्थान के कंप्यूटर में वायरस आ सकता है जो डाटा की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

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