ग्वालियर नगर निगम आयुक्त की नियुक्ति अवैध !

ग्वालियर नगर निगम आयुक्त की नियुक्ति अवैध
डेपुटेशन पर आए 61 कर्मचारी भी मूल विभाग में जाएंगे; हाईकोर्ट ने दिया 15 दिन का समय

ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त संघप्रिय गौतम की नगर निगम में आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को हाईकोर्ट ने अवैध माना है। कोर्ट ने धारा-54 का उल्लेख करते हुए उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए है। साथ ही नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 61 कर्मचारियों को भी अपने मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए हैं।

दरअसल, नगर निगम आयुक्त के पद के लिए सरकार को आदेश में धारा 54 के तहत डेपुटेशन पर भेजने का आदेश जारी करना था, लेकिन यह नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने इसी को आधार बनाया है। कोर्ट ने प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सभी कर्मचारियों को मूल विभाग में भेजने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

यह पूरा विवाद नगर निगम द्वारा स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पशु चिकित्सक की नियुक्ति के बाद से उठा है। कोर्ट ने जिस धारा 54 का उल्लेख करते हुए आयुक्त संघप्रिय गौतम की नियुक्ति को अवैध बताया है, उससे पूरे प्रदेश के नगर निगम आयुक्तों को बदलने या नए सिरे से उनके नियुक्ति आदेश जारी करने के हालात पैदा हो गए हैं।

पशु चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति से उठा था सवाल

हाल ही में नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की पोस्ट पर पशु चिकित्सक डॉ. अनुज शर्मा को प्रतिनियुक्त देने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। डॉ. अनुराधा ने इस बात पर आपत्ति जताई थी और कोर्ट की शरण ली थी।

सवाल उठाया गया कि डॉ. अनुज शर्मा पशु चिकित्सक होते हुए नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी की पोस्ट पर कैसे काम कर सकते हैं। इस पद पर एक MBBS डॉक्टर को ही नियुक्त किया जा सकता है।

कोर्ट ने झाबुआ या आलीराजपुर तबादले के दिए आदेश हाईकोर्ट ने डॉ. अनुज शर्मा को हटाने के आदेश देने के बाद शासन से कहा है कि वह डॉ. अनुज शर्मा का तबादला प्रदेश के झाबुआ या अलीराजपुर जिलों में करें, जिससे वहां के पशु चिकित्सालयों को उनकी सेवा का लाभ मिल सके। इससे उनका और पशुओं का भला होगा।

नगर निगम आयुक्त संघप्रिय गौतम, जिनकी प्रतिनियुक्ति को भी कोर्ट ने अवैध माना।
नगर निगम आयुक्त संघप्रिय गौतम, जिनकी प्रतिनियुक्ति को भी कोर्ट ने अवैध माना।

हाईकोर्ट ने मांगी थी कर्मचारियों की लिस्ट

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने निगम में डेपुटेशन पर आए सभी कर्मचारियों की सूची मांगी, तो पता चला कि 61 कर्मचारी डेपुटेशन पर जमे हुए हैं। इस पर कोर्ट ने नगर निगम में प्रतिनियुक्ति और तबादला लेकर आए सभी 61 कर्मचारियों से जवाब तलब भी किया है।

पूछा कि क्यों उनकी तैनाती को रद्द नहीं किया गया। उन्हें अपने मूल विभागों में वापस क्यों नहीं भेजा गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे अधिकारी जो बिना उचित योग्यता के तैनात किए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

अपना विभाग छोड़कर निगम में सेवा क्यों?

सुनवाई के दौरान प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे 61 कर्मचारियों की सूची को देखकर हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों से पूछा है कि वह अपना मूल विभाग छोड़कर नगर निगम में काम क्यों कर रहे हैं और क्यों करना चाहते हैं। ऐसा क्या है कि जो उनके मूल विभाग में नहीं है।

हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय को नोटिस की तामीली की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा है कि निगम के एडिशनल कमिश्नर अनिल कुमार दुबे को इस मामले में झूठा शपथ पत्र देने के लिए दोषी पाया गया है। हालांकि, उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का फैसला बाद में लिया जाएगा।

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