इंदौर :खनिज नीति के नए नियमों के विरोध में शहर के 100 स्टोन क्रशर प्लांट बंद, अधिकतर प्रोजेक्ट अटके

- रोड, फ्लायओवर से लेकर मकान निर्माण तक प्रभावित
प्रदेशभर में संचालित होने वाले 2000 से ज्यादा स्टोन क्रशर प्लांट 8 दिन से प्रदेश की खनिज नीति के विरोध में हड़ताल पर हैं। इंदौर के आसपास के करीब 100 प्लांट बंद पड़े हैं। इसके चलते शहर में चल रहे अधिकतर प्रोजेक्ट अटक गए हैं।
इंदौर शहर में मुख्य रूप से कम्पेल और केवड़ेश्वर के आसपास 20 से ज्यादा तो बेटमा में भी 70 से अधिक खदानें हैं। सभी ठप पड़ी हैं। कहीं भी गिट्टी-मुरम या अन्य निर्माण सामग्री नहीं पहुंचाई जा रही है। इसके चलते कई प्रोजेक्ट अटक गए। प्रोजेक्ट ही नहीं, इन उत्पादों के आधार पर मिलने वाले अन्य उत्पाद जैसे सीमेंट, ईंट, टाइल, पैवर ब्लॉक, प्री कास्टिंग जैसी 500 से ज्यादा इकाइयां भी रॉ मटेरियल नहीं मिलने से बंद हैं।
हाईवे और फ्लायओवर बनाने वालों का काम भी अटक गया है। जिनके पास स्टॉक था वो भी खत्म हो रहा है। सिर्फ हाईवे, फ्लायओवर ही नहीं मकान निर्माण से लेकर कॉलोनियों की गलियों में भी सड़कों के काम रुके हुए हैं। सभी प्रभावित उद्योगों के 25 हजार से ज्यादा मजदूरों की रोजी पर भी संकट है।
- 8 दिन से प्लांट हड़ताल पर हैं
- 2 हजार प्लांट प्रदेशभर में
- 500 से ज्यादा इकाइयां रॉ मटेरियल नहींमिलने से प्रभावित
रॉयल्टी, स्टाम्प ड्यूटी जैसे मुद्दे
इंदौर टाइल्स एवं सेनेटरी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद अग्रवाल ने बताया क्रशर प्लांट मालिकों की कई परेशानियां हैं, जिनका निराकरण नहीं हो रहा। सरकार रॉयल्टी नहीं ले रही है, खदानें अलॉट नहीं कर रही। जो खदानें संचालित हो रहीं, उन पर भी अधिक रॉयल्टी के अलावा स्टाम्प ड्यूटी की मार पड़ रही। जियो टैगिंग व्यवस्था में सुधार का भी मुद्दा है।
फ्लाईऐश की भी कमी
गिट्टी-मरम के अलावा थर्मल पॉवर प्लांट से मिलने वाली फ्लाईऐश भी समय पर नहीं मिल पा रही। फ्लाईऐश का इस्तेमाल मुरम के विकल्प के रूप में किया जाता है। वह भी नहीं आ रही है। इसके चलते भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इंदौर-हरदा हाईवे प्रोजेक्ट ठप
इंदौर-हरदा रोड निर्माण का काम कर रही कंपनी पीडी अग्रवाल के पवन अग्रवाल ने बताया हमारा प्रोजेक्ट 5 दिन से रुका हुआ है। हमारा खुद का एक क्रशर प्लांट है, लेकिन हमें भी मुरम और गिट्टी की सप्लाय नहीं हो सकी। दरअसल, हमारा प्लांट ऑपरेट करने वालों ने भी संगठन का हिस्सा होने के चलते माल देने से इनकार कर दिया है।