यह विमान पास के मेडिकल कालेज के जिस हास्टल की कैंटीन पर आग का गोला बनकर गिरा, वहां कुछ मेडिकल छात्र और अन्य लोग भी मारे गए। अहमदाबाद विमान हादसे के कारणों को लेकर आम लोगों के साथ विशेषज्ञों के अपने-अपने विचार हैं। इनमें एक कैप्टन स्टीव भी हैं, जिन्होंने अहमदाबाद हादसे के कारणों को लेकर जो दावा किया, उसे खुद ही बदल दिया, लेकिन इसके पहले उन्हें एक भारतीय टीवी चैनल पर ‘ज्ञान’ देते देखा गया। अन्य विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि बोइंग का अपेक्षाकृत नया और आधुनिक ड्रीमलाइनर विमान किन कारणों से ऐसे भयावह हादसे का शिकार बना।

चूंकि बोइंग के इस विमान के साथ पेश आया यह पहला बड़ा हादसा है, इसलिए भारत समेत विश्व भर की एयरलाइंस एवं हवाई संचालन सेवा से जुड़ी संस्थाएं चिंतित हैं। इस हादसे की राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहन जांच हो रही है। इसी के साथ जो प्रश्न उठे हैं, उनके घेरे में एअर इंडिया प्रबंधन, टाटा समूह, डीजीसीए, एयरपोर्ट अथारिटी और भारत सरकार आदि के साथ बोइंग कंपनी भी है। इस हादसे के बाद बोइंग के अलावा एअर इंडिया में भागीदार सिंगापुर एयरलाइंस (एसआइए) के साथ कुछ अन्य एयरलाइंस के शेयर भी गिरे। अहमदाबाद में हवाई हादसे के बाद से भारत समेत दुनिया भर में विमानों के संचालन में छोटी-बड़ी खामी मिलने, उड़ान रद होने, रोके जाने के समाचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें ड्रीमलाइनर समेत अन्य विमान भी हैं।

निर्माण के दौरान अपने विमानों के सेफ्टी सिस्टम की अनदेखी के कारण बोइंग गंभीर सवालों के घेरे में रही है। इस कंपनी के ‘व्हिसिलब्लोअर’ इंजीनियर सैम ने ड्रीमलाइनर एवं अन्य विमानों के निर्माण में जानबूझकर लापरवाही बरतने का आरोप मढ़ा था। इसके चलते बोइंग की खूब बदनामी हुई थी। बोइंग ने इस इंजीनियर के आरोप खारिज करते हुए कहा था कि वह अपने सभी विमानों के निर्माण में जरूरी सावधानी बरतती है, पर शायद उसने ऐसा नहीं किया।

2021 में अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने ड्रीमलाइनर की डिलीवरी रोक दी थी। बोइंग के बदनाम हुए मैक्स विमान इस्तेमाल कर रही इंडोनेशिया और इथोपिया एयरलाइंस के नए विमान 2017-18 में दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। इन हवाई हादसों की जांच में यह सामने आया था कि मैक्स विमानों के साफ्टवेयर में खामी थी और इस खामी को दूर करने वाले उपायों से विमान के लैस होने का बोइंग ने जो वादा किया था, वह उनमें थे ही नहीं। इसके चलते बोइंग की साख को धक्का तो लगा ही, उस हादसे में मारे गए लोगों के स्वजनों को अदालत के बाहर समझौता करने के बाद भी भारी हर्जाना देना पड़ा। इससे उसे तगड़ी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी।

टाटा एयरलाइंस की स्थापना भारत में सिविल एविएशन के जनक जेआरडी टाटा ने की थी। बाद में सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया और नाम कर दिया एअर इंडिया। एअर इंडिया को कुप्रबंधन और घाटे से उबारने के लिए मोदी सरकार ने उसे निजी कंपनी को बेचने का फैसला लिया। स्वाभाविक रूप से पहली पसंद टाटा समूह बना।

2022 में एअर इंडिया उसके हाथों में चली गई। नाम एअर इंडिया ही रहा। इससे दुनिया में कुछ लोग इसे भारत सरकार की एयरलाइंस समझते हों तो हैरानी नहीं। टाटा समूह के हाथ में जाने के बाद माना यह गया कि अब इसका संचालन सुगम एवं सुरक्षित तरीके से होगा, लेकिन अहमदाबाद का हादसा संकेत कर रहा है कि संभवतः ऐसा नहीं हो सका है। उस पर विमान संचालन में पर्याप्त सजगता न बरतने के आरोप में जुर्माना भी लग चुका है। उसे सुविधाओं में कमी के आरोप से भी दो-चार होना पड़ा है।

अहमदाबाद हादसे पर एअर इंडिया प्रबंधन के साथ टाटा समूह स्वाभाविक रूप से दुखी और गंभीर है, लेकिन एअर इंडिया में भागीदार सिंगापुर एयरलाइंस के बारे में कुछ कहना कठिन है। एसआइए में सिंगापुर सरकार की भी हिस्सेदारी है। वहां के पीएम ने तो अहमदाबाद हादसे पर दुख जताया, पर एसआइए के एक्स(ट्विटर) हैंडल पर संवेदना का एक शब्द नहीं दिखा। अहमदाबाद हादसे को लेकर जो सवाल उठे हैं, उनका उसे भी जवाब देना होगा।

निःसंदेह समय के साथ विमान यात्रा सुरक्षित हुई है, लेकिन हर हवाई हादसे पर विमानों के सुरक्षित संचालन पर वैसे ही सवाल भी उठते हैं, जैसे इन दिनों उठ रहे हैं। अहमदाबाद हादसे के बाद उत्तराखंड में एक और जानलेवा हेलीकाप्टर हादसे के चलते ये सवाल और अधिक चिंता का कारण बन गए हैं। अब अपने देश में विमान और हेलीकाप्टर सेवाओं का उपयोग बड़ी संख्या में आम आदमी कहे जाने वाले लोग भी करते हैं, क्योंकि हवाई यात्रा जरूरत बन गई है। हवाई यात्रा सुरक्षित हो, यह एयरलाइंस और नियामक संस्थाओं के साथ भारत सरकार को भी सुनिश्चित करना होगा।