कानपुर के पूर्व CMO ने DM पर लगाए 5 आरोप !
‘एक बार राज्यपाल की मीटिंग होनी थी, वो भी उस मीटिंग में ऑनलाइन जुड़ी थीं। मैं अपनी सीट पर बैठा था, तभी डीएम साहब आए और पीछे से मेरे सिर पर मारा। इससे मेरा मुंह आगे रखे माइक से टकरा गया। वहां पर मेरे सारे जूनियर भी मौजूद थे। सभी ने इस घटना को देखा भी। मुझे काफी शर्मिंदा होना पड़ा।’
ये आरोप कानपुर के पूर्व CMO डॉ. हरी दत्त नेमी ने शहर से जाते-जाते DM जितेंद्र प्रताप सिंह पर लगाए हैं। ऐसे ही CMO के 5 आरोप पढ़िए-
1.) फिजिकली भी करते थे बेइज्जत
CMO डॉ. नेमी ने कहा- वो ओरल तो मेरी बेइज्जती करते ही थे, लेकिन कभी-कभी वो फिजिकली भी करते थे। सबसे पहले उन्होंने राज्यपाल की मीटिंग में मेरे साथ ऐसा किया। इसके बाद 14 जून को सीएम डैशबोर्ड की बैठक में उन्होंने हाथ पकड़ कर मुझे बाहर किया।
2.) जाती सूचक शब्दों का प्रयोग करते थे
CMO कहा- DM जितेंद्र प्रताप सिंह मेरे लिए हमेशा जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते थे। कहते थे कि तुम मंदबुद्धि हो, तुम्हें कुछ नहीं आता है। जबकि स्वास्थ्य विभाग की जो भी योजनाएं वर्तमान में चल रहीं, उसमें सभी में मैं पहले नंबर पर था। डैशबोर्ड पर कई कार्ययोजनाओं में राज्य स्तर पर कानपुर नगर को पहला स्थान दिलाया। संचारी-संक्रामक रोगों के नियंत्रण में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान शहर को प्राप्त हुआ।

3.) जिलाधिकारी कहते थे- मेरे सिस्टम में आओ
डॉ. नेमी ने कहा- CBI से आरोपी फर्म के अधोमानक सामान के क्रम का भुगतान मैंने नहीं किया था। इस पर DM साहब मेरे ऊपर आग-बबूला हो गए। मुझे कहा कि तुम दलित जाति के मंद बुद्धि के व्यक्ति हो। तुम्हें पैसा कमाना नहीं आता है। तुम्हे सिस्टम नहीं पता। DM साहब मुझसे वसूली चाहते थे। धमका कर कहते थे कि सारे लोग सिस्टम में हैं, तुम क्यों नहीं हो।
4.) डॉ. सुबोध के ट्रांसफर को निरस्त करने का दबाव बनाया
CMO डॉ. नेमी ने कहा- डॉ. सुबोध यादव नियमों के विपरीत और पार्टी विशेष के लिए काम करते हैं। भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। इसके कारण मैंने अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को उनके पदों से हटाते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी के पद पर ट्रांसफर कर दिया था।
डॉ. सुबोध यादव के ट्रांसफर से बौखलाए DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने मुझे बुलाकर कहा कि डॉ. सुबोध का ट्रांसफर तत्काल निरस्त कर पूर्व पदों पर काम करने दो। मैंने कहा कि डॉ. सुबोध भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, एक विशेष पार्टी के लिए काम करते हैं।
कानपुर नगर के आम जनमानस और जनप्रतिनिधियों की काफी शिकायतें हैं। प्रथम दृष्टया मुझे भी शिकायतों की पुष्टि हुई है। इस कारण इनका ट्रांसफर रोका नहीं जा सकता है। इसके बाद डीएम साहब ने मुझसे कहा कि जो मैं कहता हूं वही करो, किसी भी जनप्रतिनिधि की नहीं सुननी है।

5.) पहले मीटिंग से ही न्यूसेंस क्रिएट किया
डॉ. नेमी ने कहा कि पहली मीटिंग से ही वे मेरे साथ न्यूसेंस क्रिएट करने लगे थे। जब मैं नया-नया जिले में आया ही था, 16 दिसंबर को मैंने चार्ज संभाला और 19 दिसंबर को मेरी जिलाधिकारी के साथ पहली बैठक थी। इससे पहले मेरा कभी भी इनसे आमना सामना भी नहीं हुआ था, फिर भी इन्होंने मेरे साथ न्यूसेंस किया। जिस मीटिंग में भी मैं गया, हर मीटिंग में कुछ न कुछ मेरे साथ उन्होंने ऐसा किया है, जिससे मेरी छवि धूमिल हुई हैं।
CMO के आरोपों पर DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा-
जिलाधिकारी ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर लिखा पत्र
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा था कि CMO द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पत्र संख्या 669 दिनांक 28.10.2024 के क्रम में रिक्त पदों पर की जाने वाली भर्ती का कोई भी विज्ञापन नहीं निकाला गया।
साक्षात्कार के बाद 4 दिन के अंदर परिणाम भी घोषित नहीं किया गया। बता दें कि शहरभर में करीब 26 डॉक्टरों की अलग-अलग आयुष्मान के लिए भर्ती होनी थी। इसमें करीब 326 डॉक्टरों ने इंटरव्यू दिया था, लेकिन बाद में इसकी फाइल ही कैंसिल हो गई थी।
योगी को लिखे लेटर में भी CMO ने DM पर ऐसे ही 3 आरोप लगाए-


चलिए, दोनों अफसरों के बीच विवाद को समझते हैं…
BJP के नेताओं ने डिप्टी सीएम को लेटर भेजे
दोनों अफसरों के बीच विवाद 5 फरवरी, 2025 से शुरू हुआ, जब कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ ऑफिस में छापा मारा था। इस दौरान सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी समेत 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले थे। डीएम ने सीएमओ कार्यालय से ही एक वीडियो जारी किया। कहा- रजिस्टर में नाम लिखे हैं, लेकिन 34 अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में नहीं मिले। डीएम ने सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया था।
इसके बाद डीएम और सीएमओ के बीच खटास शुरू हुई। इसके पहले डीएम लगातार सीएचसी और पीएचसी पहुंचकर कमियां उजागर कर रहे थे। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब डीएम के कहने पर भी सीएमओ ने लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई एक्शन नहीं लिया।
15 अप्रैल, 2025 को डीएम ने शासन को एक लेटर लिखा। इसमें कानपुर सीएमओ को हटाने के लिए कहा गया। सोर्स के मुताबिक, 5 जून के बाद भी सीएमओ को हटाने के लिए शासन को लेटर लिखा गया। इस बीच, सीएमओ भी अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए एक्टिव हो गए।
सीएमओ का एक ऑडियो भी सामने आया। इसमें उन्होंने कहा- जेएम फार्मा का बिल पेमेंट होना था, मेरे ऊपर दबाव बनाया गया। फर्म सीबीआई चार्जशीटेड थी। इसकी खामियों को लेकर 125 पेज की रिपोर्ट तैयार की। इसको अधिकारियों के पास भेजा गया। सीनियर फाइनेंस अधिकारी वंदना सिंह ने डीएम को लेटर भी भेजा था। अब मेरे खिलाफ षडयंत्र हो रहा। सीएमओ ने अपने ही विभाग के कुछ लोगों पर भी साजिश रचने का आरोप लगाया था।

सीएमओ सतीश महाना से मिले, तब मामला डिप्टी सीएम तक पहुंचा
यहीं से इस मामले में सियासत शुरू हुई। सीएमओ ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की। कहा- BJP सांसद, विधायकों के सुझाव मैंने हमेशा माने। मरीजों को अच्छा इलाज दिलाया, फिर भी मेरे ट्रांसफर की संस्तुति की गई।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को 11 जून को लेटर लिखा कि सीएमओ साहब का व्यवहार आम जनता को लेकर ठीक है। ऐसे में इनका ट्रांसफर रोकने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, तब तक सीएमओ का ट्रांसफर नहीं हुआ था, सिर्फ डीएम ने संस्तुति की थी।
इसके बाद 2 और BJP विधायक सीएमओ के सपोर्ट में आ गए। उन्होंने भी डिप्टी सीएम को लेटर भेजे। MLC अरुण पाठक ने 14 जून और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने 15 जून को लेटर लिखा। BJP में दो फाड़ तब शुरू हुई, जब 16 जून को बिठूर विधानसभा से BJP विधायक अभिजीत सिंह ने सीएमओ को भ्रष्टाचारी बताते हुए सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया। फिर BJP विधायक महेश त्रिवेदी ने भी सीएमओ के खिलाफ लेटर लिख दिया।
इस सियासत के बीच सीएमओ के ड्राइवर सूरज का ऑडियो वायरल हुआ। ड्राइवर ने डीएम को भ्रष्टाचारी बताया। इसके बाद 13 जून को सीएमओ का एक और ऑडियो वायरल हुआ। इसमें सीएमओ ने कहा कि डीएम ढोल ज्यादा बजा रहा है। किसी दिन कोई महिला अधिकारी बदतमीजी कर देगी।

DM ने CMO को मीटिंग से बाहर कर दिया
इसके बाद, 14 जून को कानपुर DM ने सीएम डैशबोर्ड की समीक्षा बैठक से मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को बाहर कर दिया। सीएमओ का दावा है कि डीएम ने मीटिंग में मुझसे कहा- CMO साहब आप तो AI (आर्टिफिशियल) हो गए थे। लेकिन, आप तो जिंदा हो और यहां बैठे हो।
फिर डीएम ने मुझसे पूछा कि CMO साहब यह सब क्या हो रहा है? मैंने कहा कि यह ऑडियो मेरा नहीं है। किसी ने AI से बनाकर इसको वायरल किया। फिर डीएम ने कहा- आप इसकी जांच करें। पता करें कि किसने इस फेक ऑडियो को बनाया है। जाकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं। फिर डीएम ने मेरा हाथ पकड़कर बाहर जाने को कहा। मैं मीटिंग से बाहर चला गया।
ऑडियो, जिसे सीएमओ का बताया गया
इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब एक ऑडियो वायरल हुआ। दावा किया गया कि यह ऑडियो सीएमओ का है। हालांकि, सीएमओ ने खुद का ऑडियो होने से इंकार किया था। उस ऑडियो में क्या बातचीत हुई थी।