मंत्री बंगले तक हर महीने पहुंचता 3.5 करोड़..भ्रष्टाचार में रंगी 1,100 पन्नों की चार्जशीट !
मंत्री बंगले तक हर महीने पहुंचता 3.5 करोड़ का ‘मिठाई और सामान’, भ्रष्टाचार में रंगी 1,100 पन्नों की चार्जशीट
Chhattisgarh Liquor Scam मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने रायपुर के विशेष अदालत में चौथा पूरक चालान पेश किया है। इस चालान में 2161 करोड़ के घोटाले से जुड़ा सारा कच्चा चिट्ठा है। घोटाले में पूर्व मंत्री लखमा की संलिप्तता के पूरे सबूत है। शनिवार को 29 आबकारियों अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में पांचवीं रिपोर्ट पेश की जाएगी।
- कवासी लखमा ने मंत्री पद का किया दुरुपयोग
- परिवार के लोगों और करीबियों के नाम खपाए पैसे
- आबकारी अधिकारियों के खिलाफ पेश होगी चार्जशीट
रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2,161 करोड़ के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने रायपुर की विशेष अदालत में 1,100 पन्नों का चौथा पूरक चालान पेश किया। इसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा के सीधे संलिप्त होने के पुख्ता सबूत पेश किए गए हैं।
चालान के मुताबिक, हर महीने मंत्री लखमा के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में लगभग 3.5 करोड़ रुपये नकद पहुंचाए जाते थे। यह रकम ‘मिठाई’ और ‘सामान’ जैसे कोडवर्ड में भेजी जाती थी। रकम आबकारी विभाग के अधिकारियों और एजेंटों की मिलीभगत से सरकारी गाड़ियों में लाकर बंगले तक पहुंचाई जाती थी।
कोर्ट में चलेगा केस, पेश होगी पांचवीं चार्जशाीट
ईओडब्ल्यू 29 आबकारियों अधिकारियों के खिलाफ शनिवार को कोर्ट में पांचवीं चार्जशीट पेश करेगी। अधिकारियों का कहना है कि बिना गिरफ्तारी के 29 से ज्यादा आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया जा रहा है। जांच एजेंसी इन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी। अदालत में इनके खिलाफ मुकदमा चलेगा। आरोप सिद्ध होने पर अदालत के निर्देश पर ही गिरफ्तारी होगी।
साथ ही अधिकारियों ने बताया कि यदि ये अधिकारी पेशी में उपस्थित नहीं होंगे तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। इसमें से 16 अधिकारी अभी नौकरी पर हैं, जबकि 12 अधिकारी रिटायर हो गए हैं। घोटाले में शामिल एक अधिकारी की बीमारी से मौत हो चुकी है।
ढेबर के जरिए डेढ़ करोड़ पहुंचते थे
चालान के अनुसार, सरकारी शराब दुकानों से बेची गई बी-पार्ट शराब से हर महीने अनवर ढेबर द्वारा 1.5 करोड़ रुपये की एक अलग राशि मंत्री लखमा को पहुंचाई जाती थी। इस पैसे को अमित सिंह, इंदरदीप सिंह गिल उर्फ इनू, प्रकाश शर्मा उर्फ छोटू और कमलेश नाहटा जैसे एजेंटों के माध्यम से पहुंचाया जाता था।
40 लाख पेटी अवैध शराब की बिक्री
जांच में यह भी सामने आया है कि सिंडिकेट ने आबकारी अधिकारियों और शराब दुकान कर्मचारियों की मिलीभगत से करीब 40 लाख पेटियों की फर्जी शराब बेची है। इसके लिए डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 600 रुपए तक वसूले गए।
- कवासी : 2.24 करोड़ का मकान
- बेटा हरीश कवासी- 1.40 करोड़ का मकान, 7.46 लाख की जमीन, 45 लाख का अन सिक्योर्ड लोन
- बहू शीतल: 21 लाख की जमीन
- बेटी संगीता कवासी: 4.36 लाख में पेट्रोल पंप के लिए जमीन
- बेटी बोंके कवासी: 58 लाख रुपये की जमीन
- रिश्तेदार कवासी भीमा: 4.10 करोड़ का जगदलपुर में सीमेंट फैक्ट्री
- कर्मचारी राजेश नारा: 44.26 लाख की जमीन
- कारोबारी जयदीप भदोरिया: 1 करोड़ रुपये उधार दिए
- कांग्रेस भवन सुकमा: 1.33 करोड़ का भुगतान
दो करोड़ रुपये नकद हर महीने ओएसडी के हाथ
ईओडब्ल्यू की जांच में राजफाश हुआ है कि मंत्री लखमा के तत्कालीन विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) जयंत देवांगन को हर महीने दो करोड़ रुपये नकद सौंपे जाते थे। यह राशि आबकारी निरीक्षक कन्हैया लाल कुर्रे, जनार्दन कौरव और इकबाल खान सहित अन्य अधिकारियों की मदद से जुटाई जाती थी। देवांगन इसे बंगले के अलग-अलग कमरों में छिपवाता था।
- अंतिम अनुमोदन का अधिकार: आबकारी मंत्री रहते हुए कवासी लखमा को विभाग में सभी निर्णयों का अंतिम अनुमोदन देने का अधिकार प्राप्त था, जिससे वे हर प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका में थे।
- हर वैध-अवैध गतिविधि की जानकारी: लखमा को विभाग में चल रही सभी वैध और अवैध प्रक्रियाओं की स्पष्ट जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उन्हें रोकने के बजाय नजरअंदाज किया।
- कमीशनखोरी और समानांतर बिक्री का नेटवर्क: शासकीय शराब दुकानों में बिना ड्यूटी चुकाई पेटियों की समानांतर बिक्री। ठेके में कमीशनखोरी के जरिए हर महीने करीब दो करोड़ रुपये की अवैध आमदनी होती थी।
- अवैध धन का उपयोग निर्माण कार्य में: आबकारी विभाग से अर्जित इस काले धन का उपयोग सुकमा में कांग्रेस भवन, हरीश कवासी के निजी मकान और लखमा के स्वयं के भवन के निर्माण में किया गया।
- सहयोगियों को नकद बंटवारा: क्षेत्रीय दौरों के समय लखमा अपने खास सहयोगियों और कार्यकर्ताओं को नकद राशि बांटते थे, जिससे स्थानीय राजनीतिक पकड़ मजबूत होती रही।
- राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ: आबकारी घोटाले की राशि का उपयोग राजनीतिक निर्माण (कांग्रेस भवन) और व्यक्तिगत हितों के लिए संपत्ति में किया गया।
- रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदी: कवासी लखमा ने अवैध कमाई से अपने रिश्तेदारों के नाम पर जमीन, मकान व अन्य चल-अचल संपत्तियां खरीदीं, जिससे सीधा सबूत न मिले।
- शराब घोटाले से अर्थव्यवस्था को चोट: आबकारी विभाग में चल रहे घोटाले ने एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी थी, जिससे राजस्व की भारी हानि हुई।
मंत्री पद पर रहते हुए कवासी लखमा ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर विभागीय सिस्टम को भ्रष्टाचार से संचालित किया और खुद के हितों को प्राथमिकता दी। अब इस पूरे शराब घोटाले से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
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पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने शराब की काली कमाई से महुआ खरीदा, चुनाव में हवाई यात्रा, संपत्तियों में किया निवेश
बहुचर्चित CG Liquor Scam मामले में ईओडब्ल्यू और एसीबी ने स्पेशल कोर्ट में पेश पूरक चालान पेश किया है। जिसमें घोटाले की राशि को लेकर कई खुलासे हुए हैं। चालान से पता चला की आरोपी मंत्री कवासी लखमा ने उन पैसों को प्रॉपर्टी में निवेश किया है। साथ ही बहुत तरह के अलग-अलग काम किए हैं।
- घोटाले के पैसे से कवासी लखमा ने खरीदा महुआ
- पूर्व मंत्री के करीबियों के पास मिले 44 प्रॉपर्टी पेपर
- लखमा ने एनएसयूआई के नेता को दिए 4 करोड़
रायपुर: प्रदेश में हुए 2,161 करोड़ रुपये शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच लगातार नई परतें खोल रही है। स्पेशल कोर्ट में पेश किए गए पूरक चालान से राजफाश हुआ है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अवैध शराब से मिली काली कमाई को अपने करीबियों, रिश्तेदारों और सहयोगियों पर खुलकर खर्च किया।
चालान में लखमा द्वारा महुआ खरीद, हवाई यात्रा, संपत्ति में निवेश और लाखों रुपये की नकदी लेनदेन की विस्तृत जानकारी सामने आई है। वहीं ईओडब्ल्यू ने शराब सिंडिकेट से जुड़े राज्य के 29 से अधिक आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया है। इन पर पांच जुलाई को कोर्ट में पांचवीं चार्जशीट पेश की जाएगी।
लखमा ने महुआ में किया डेढ़ करोड़ का निवेश
चालान में बताया गया है कि लखमा ने वर्ष 2020 में महुआ की बढ़ती कीमतों को देखते हुए तोंगपाल निवासी अपने करीबी व्यापारी जयदीप भदौरिया को एक करोड़ रुपये दिए थे। बाद में उन्होंने खुद भी डेढ़ करोड़ रुपये महुआ संग्रहण में निवेश किए। इस राशि के लिए पर्ची लखमा के नाम से जारी की गई थी।
हवाई यात्रा पर खर्च किए 42 लाख
2023 के विधानसभा चुनावी वर्ष में कवासी लखमा ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों के लिए ट्रैवल एजेंट्स के माध्यम से करीब 42 लाख रुपये की हवाई यात्रा कराई। इनमें से अधिकतर भुगतान नकद में किया गया। ईओडब्ल्यू को टिकट बुकिंग के दस्तावेज ट्रैवल एजेंट्स से प्राप्त हुए हैं।
एनएसयूआइ नेता को दिए चार करोड़
दंतेवाड़ा एनएसयूआइ के पूर्व अध्यक्ष हलीम खान को लखमा ने चार करोड़ रुपये नकद दिए थे। चालान में बताया गया है कि इनमें से 1.5 करोड़ हैदराबाद के ‘रेड्डी’ को दिलवाया गया, 73 लाख में रायपुर की सेल टैक्स कालोनी में मकान खरीदा गया और 80 लाख रुपये के गहने लिए गए। हलीम ने 12 लाख अपनी महिला मित्र को और 76 लाख अनिल मिश्रा के पास सुरक्षित रखवाए। साथ ही पौने तीन लाख का आइफोन भी खरीदा।
छह करीबियों से बरामद हुईं 44 संपत्तियां
लखमा के छह करीबी सहयोगियों के यहां से ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने छापेमारी कर 44 संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए। इनमें सर्वाधिक दस्तावेज अंबिकापुर के कारोबारी अशोक अग्रवाल के पास से मिले।
विवरण इस प्रकार है
- अशोक अग्रवाल, अंबिकापुर – 14 प्रापर्टी पेपर
- जी. नागेश, रायपुर – 11 प्रापर्टी पेपर
- बसीर अहमद, सुकमा – 07 प्रापर्टी पेपर
- राजकुमार तामो, दंतेवाड़ा – 07 प्रापर्टी पेपर
- पारसमल जैन, सुकमा – 03 प्रापर्टी पेपर
- राजेश नारा, सुकमा – 02 प्रापर्टी पेपर
शराब घोटाले में 29 आबकारी अधिकारी आरोपी
ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पाया कि राज्य में वर्ष 2019 से 2023 के बीच शराब सिंडिकेट के माध्यम से हर जिले में आबकारी अधिकारियों को प्रति पेटी शराब पर 150 रुपये का कमीशन दिया जाता था। जांच में 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।
जिनमें 16 वर्तमान में सेवा में हैं, 12 रिटायर हो चुके हैं और एक की मृत्यु हो गई है। इन सभी के खिलाफ पांच जुलाई को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है, लेकिन कई अधिकारी नोटिस लेने से इनकार कर चुके हैं या मोबाइल बंद कर गायब हैं।
जनार्दन चला रहा था सिस्टम, ऐसे होती थी सप्लाई
तत्कालीन सहायक आयुक्त जनार्दन कौरव आबकारी विभाग का पूरा सिस्टम चला रहा था। वह एपी त्रिपाठी के निर्देश पर अधिकारियों की पोस्टिंग, अवैध शराब की गाड़ियों की जानकारी और अन्य समन्वय का काम करता था। डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब सीधे दुकानों में पहुंचाई जाती थी।
हर साल होती थी 70 करोड़ से ज्यादा की वसूली
वर्ष 2019 से 2023 के बीच जिला आबकारी अधिकारियों द्वारा करीब 2,161 करोड़ रुपये की अवैध शराब बेची गई। करीब 319 करोड़ रुपये शराब सप्लायर्स से वसूले गए, जो सिंडिकेट तक पहुंचाए गए।
मंत्री को हर महीने डेढ़ करोड़ भेजता था अनवर ढेबर
शासकीय दुकानों में बेची गई शराब से हर महीने डेढ़ करोड़ रुपये की राशि अनवर ढेबर के माध्यम से आबकारी मंत्री को भेजी जाती थी। यह पैसा अमित सिंह के जरिए इंदरदीप सिंह गिल और कमलेश नाहटा तक पहुंचता था। जयंत देवांगन के माध्यम से मंत्री बंगले में पैसा छोड़ा जाता था। वाट्सएप काल से इसकी पुष्टि होती थी। जिसमें कवासी लखमा के सुरक्षा अधिकारी शेख सकात की भूमिका भी सामने आई है।
ये आरोपी हैं जेल में
शराब घोटाले में अब तक अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, अनिल टुटेजा, कवासी लखमा, विजय भाटिया समेत 12 से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
15 जिलों को बनाया गया था शराब खपाने का केंद्र
प्रदेश के 15 जिलों को शराब बेचने के लिए टारगेट किया गया था। दुकानों को निर्देश था कि इस बिक्री का रिकॉर्ड न रखा जाए। शुरुआत में एक पेटी की कीमत 2,880 रुपये रखी गई थी, जिसे बाद में 3,840 रुपये कर दिया गया था।