250 से अधिक उपयंत्री-SDO को नोटिस की तैयारी ..जल जीवन मिशन में कमीशनखोरी का मामला !
जल जीवन मिशन में मध्यप्रदेश के पीएचई विभाग की मंत्री संपतिया उइके पर एक हजार करोड़ की कमीशनखोरी का आरोप लगने के बाद अब विभाग के अफसर पूरे मामले में लीपापोती करने में जुट गए हैं।
मंत्री को क्लीनचिट देने के बाद प्रमुख अभियंता इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहते हैं। वहीं, प्रदेश के 250 से अधिक उपयंत्रियों और सहायक यंत्रियों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। कई इंजीनियरों को नोटिस थमा भी दिए गए हैं।
इसके विरोध में एमपी डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने दोलन की चेतावनी दी है। इधर, पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।
मध्य प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के संरक्षक इंजीनियर राजेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि हमने मुख्यमंत्री, मंत्री पीएचई विभाग, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव पीएचई को पत्र लिखकर पूरे मामले में विरोध जताया है। तय किया है कि अगर सरकार उपयंत्रियों और सहायक यंत्रियों को नोटिस देकर कार्रवाई करेगी तो 15 जुलाई को बैठक कर आंदोलन किया जाएगा।
राजेंद्र सिंह भदौरिया ने कहा-

डीपीआर तैयार करने से लेकर मंजूरी देने, भुगतान करने का काम विभाग के कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री करते हैं। जबकि नोटिस उपयंत्री और सहायक यंत्री को दिया जा रहा है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएम को लिखे पत्र में यह जानकारी दी एसोसिएशन ने सीएम, सीएस, मंत्री, पीएस को दिए पत्र में कहा है कि जल जीवन मिशन ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल व्यवस्था के लिए शुरू हुआ है। इसमें तकनीकी स्वीकृति संबंधित कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री एवं मुख्य अभियंता द्वारा जारी की गई।

भोपाल में 776.59 करोड़ की योजना हुई 1042.34 करोड़ की
योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान भोपाल परिक्षेत्र में तकनीकी रूप से स्वीकृत की गई 4890 एकल ग्राम योजनाओं में से 1290 ग्रामों की योजनाओं को पुनरीक्षण करने की स्थिति निर्मित हुई, जिनकी मूल लागत 776.59 करोड़ थी पुनरीक्षण के बाद उन योजनाओं की पुनरीक्षित लागत राशि रुपए 1042.34 करोड़ हुई है।
इंदौर में 1897.08 से 2361.31 करोड़ पहुंची लागत
इंदौर चीफ इंजीनियर के रीजन में तकनीकी रूप से स्वीकृत की गई 6568 एकल ग्राम योजनाओं में से 1775 ग्रामों की योजनाओं को पुनरीक्षण करने की स्थिति निर्मित हुई। इनकी मूल लागत 1897.08 करोड़ थी। पुनरीक्षण के बाद योजनाओं की पुनरीक्षित लागत 2361.31 करोड़ रुपए हुई है।
ग्वालियर और जबलपुर में यह है स्थिति
ग्वालियर चीफ इंजीनियर के रीजन में 5447 एकल ग्राम योजनाओं में से 1284 ग्रामों की योजनाओं को पुनरीक्षण करने की स्थिति निर्मित हुई, जिनकी मूल लागत 1117.94 करोड़ थी। पुनरीक्षण के बाद उन योजनाओं की लागत 1598.10 करोड़ हुई।
इसी तरह जबलपुर चीफ इंजीनियर के अधीन आने वाले जिलों में 9789 एकल ग्राम योजनाओं में से 4076 ग्रामों की योजनाओं को पुनरीक्षण करना पड़ा, जिनकी मूल लागत 2548.32 करोड़ थी।
पुनरीक्षण के बाद योजनाओं की पुनरीक्षित लागत राशि रुपए 4163.98 करोड़ हुई यानी तकनीकी स्वीकृतकर्ता अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही के कारण पुनरीक्षित योजनाओं की 2825.81 करोड़ की वृद्धि हुई जिसका अतिरिक्त खर्च शासन को वहन करना पड़ रहा है।

उपयंत्री, सहायक यंत्री को नोटिस देना नियमों के खिलाफ
सरकार से कहा है कि उपयंत्री एवं सहायक यंत्रियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर प्रोजेक्ट की तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह स्थिति कार्य विभाग मैनुअल में उल्लेखित प्रावधानों से भिन्न है।
सरकार से कहा गया है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत योजनाओं की तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही करने के आदेश जारी किए जाएं। केवल उपयंत्री एवं सहायक यांत्रिकियों को नोटिस देकर जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों को बचाए जाने के आरोप को लेकर प्रदेश स्तरीय जल जीवन मिशन एवं पेय जल से संबंधित कार्य छोड़ो आंदोलन किया जाएगा।
इस नियम का हवाला भी दिया
डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने सरकार को मैन्युअल भी बताया है जिसमें कहा है कि मप्र निर्माण विभाग मैनुअल के संबंध में सामान्य नियम के अंतर्गत तकनीकी स्वीकृति की व्यवस्था है। डिजाइन और एस्टीमेट की स्वीकृति देने से पहले स्वीकृति देने वाले अधिकारी को संतुष्ट होना चाहिए कि पूरी परियोजना के लिए तकनीकी स्वीकृति की राशि व्यय स्वीकृति की राशि से अधिक होने की संभावना नहीं है। इसके बाद ही मंजूरी दी जानी चाहिए।