राजस्थान के RAS अधिकारी पंकज ओझा के खिलाफ FIR !
राजस्थान के RAS अधिकारी पंकज ओझा के खिलाफ FIR, IAS की ‘इमेज’ खराब करने का आरोप
फर्जी और भड़काऊ संदेश फैलाने के आरोपों को लेकर राजस्थान के RAS अधिकारी पंकज ओझा के खिलाफ राजस्थान देवस्थान विभाग ने अशोक नगर थाने में FIR दर्ज करवाई है. वर्तमान में पंकज ओझा राजस्थान सरकार विभाग के गोपालन विभाग के निदेशक पद पर तैनात हैं.
फर्जी और भड़काऊ संदेश फैलाने के आरोपों को लेकर राजस्थान के RAS अधिकारी पंकज ओझा के खिलाफ राजस्थान देवस्थान विभाग ने अशोक नगर थाने में FIR दर्ज करवाई है. वर्तमान में पंकज ओझा राजस्थान सरकार विभाग के गोपालन विभाग के निदेशक पद पर तैनात हैं. पूरा मामला 27 अक्टूबर को सचिवालय कक्ष 4210 में हुई मीटिंग से जुड़ा है. FIR में आरोप है कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा एक फर्जी वॉट्सऐप मैसेज तैयार कर उसको ग्रुप्स में वायरल किया गया, जिससे विभाग और देवस्थान विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा की छवि धूमिल हुई.
27 अक्टूबर को हुई देवस्थान की बैठक में सचिव डॉ. समित शर्मा, कमिश्नर कन्हैयालाल स्वामी, उप सचिव आलोक सैनी, सहायक आयुक्त रतनलाल योगी, सहायक महेंद्र देवतवाल, सेक्शन ऑफिसर पूजा पटेल, विभाग के विष्णु दत्त पांडे, पशुपालन विभाग के डॉक्टर पुरुषोत्तम शर्मा, डॉक्टर प्रवीण कौशिक, गोपालन निदेशक पंकज ओझा और गोपालन विभाग की सीनियर अकाउंट्स ऑफिसर शालिनी शर्मा मौजूद थीं.
ये है पूरा मामलाराजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग ने सोशल मीडिया पर विभाग और उसके वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ फैले एक भ्रामक, धार्मिक रूप से संवेदनशील और मानहानिकारक फर्जी संदेश के मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. यह शिकायत उप शासन सचिव आलोक कुमार सैनी की ओर से थाना अशोक नगर, जयपुर में दर्ज कराई गई है.
विभाग की ओर से कहा गया है कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने एक फर्जी वॉट्सऐप संदेश तैयार कर उसे कई ग्रुप्स में वायरल किया, जिसमें देवस्थान विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा के नाम से हिंदू देवी-देवताओं और पुजारियों के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां जोड़ दी गईं.
शिकायत के अनुसार, यह संदेश 27 अक्टूबर को सचिवालय की कक्ष संख्या 4210 में हुई एक आधिकारिक बैठक से जोड़कर फैलाया गया, जबकि बैठक की कार्यवाही में ऐसा कोई कथन नहीं हुआ. विभाग ने कहा कि यह संदेश जानबूझकर विभाग और सचिव की छवि खराब करने, जनता में भ्रम फैलाने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की नीयत से प्रसारित किया गया है.
कानूनी कार्रवाई की मांगशिकायत में कहा गया है कि इस कृत्य से जुड़े व्यक्ति गंभीर अपराध के दोषी हैं. विभाग ने पुलिस से आग्रह किया है कि फर्जी संदेश तैयार करने और उसे प्रसारित करने वाले व्यक्तियों की पहचान की जाए. साइबर फॉरेंसिक यूनिट मोबाइल व डेटा की जांच करे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से इस भ्रामक सामग्री को हटाने की कार्रवाई की जाए. दोषियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो.

