भोपाल निगम ने 2 साल में खरीदीं 3 करोड़ की टंकियां अधिकतर का पता नही

भोपाल । नगर निगम राजधानी की 95 फीसदी आबादी को पाइप लाइनों से पानी की सप्लाई का दावा करता है। वहीं निगम का रिकॉर्ड कहता है कि प्रत्येक वार्ड में कम से कम 10 पानी की टंकियां भी रखवाई गई हैं, ताकि लोगों को पानी मिल सके। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब पूरे शहर में पाइप लाइनों से सप्लाई हो रही है, तो पानी की टंकियां क्यों रखवाई गई । सूत्रों का कहना है कि पानी की टंकियों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। दरअसल, हकीकत यह है कि ये टंकियां सिर्फ कागजों में खरीदी गई हैं। वर्ष 2016 -17 में अलग-अलग टेंडर निकालकर करीब 2 करोड़ 95 लाख 21 हजार 475 रुपए की लागत से 2 से 5 हजार लीटर क्षमता वाली प्लास्टिक की टंकियां मय आयरन फ्रेम के खरीदी गई थीं। नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि शहर में विभिन्न स्थानों पर 1300 से ज्यादा टंकियां रखी हुई हैं। इस लिहाज से प्रत्येक वार्ड में 15 से 16 टंकियां रखी होनी चाहिए, लेकिन पड़ताल में इसकी सच्चाई सामने आई है। सच्चाई ये है कि वार्डों में रखी टंकियों की संख्या पांच या छह से ज्यादा नहीं है।

टंकी खरीदी के बड़े टेंडर 

  • जनवरी 2015 : 5000 लीटर की 60 टंकियां, लागत 20.44 लाख
  • अक्टूबर 2015 : 5000 लीटर की 120 टंकियां, लागत 46.80 लाख
  • नवंबर 2015: 3000 और 5000 लीटर की 45 टंकियां, 17.47 लाख
  • दिसंबर 2015: 3000 लीटर की 20 टंकियां, 31.93 लाख
  • फरवरी 2017 : 3000 और 5000 लीटर की टंकियां, 27 लाख रुपए।
  • अप्रैल 2017 : 3000 और 5000 लीटर की टंकियां, 43.20 लाख

खरीदी गई टंकिया 

कुल टंकी खरीदी लागत: छह साल में सीमेंट और प्लास्टिक की टंकियों की खरीदी में 1 करोड़ 41 लाख 32 हजार 422 रुपए खर्च किए गए।

  • 26 लाख 70 हजार रुपए 731 रुपए से 3000 लीटर की 173 नग टंकियां खरीदीं।
  • 5000 लीटर की 354 टंकियां 94 लाख 72 हजार 215 रुपए में खरीदी गई।
  • 6000 लीटर की 69 टंकियों की खरीदी 19 लाख 89 हजार 476 रुपए में की गई।

 पुराना है टंकी घोटाला 

शहर में टंकी खरीदी घोटाला नया नहीं हैं, बल्कि ये सिलसिला भी दूसरे घोटालों की तर्ज पर बीते एक दशक से ज्यादा वक्त से चल रहा है। 2006 से 2012 तक निगम ने 441 सीमेंट की टंकियां खरीदीं। इन टंकियों को भोपाल की कंपनी मेसर्स सचदेवा इंजीनियरिंग और मेसर्स भारत इंजीनियरिंग एवं मेसर्स अरुण कुमार गोलानी से खरीदा गया। इन्हें निगम ने 17 लाख 55 हजार रुपए का भुगतान किया। अब स्थिति ये है कि सीमेंट की टंकियां शहर में नजर नहीं आतीं। सवाल ये है कि आखिर ये टंकियां गई कहां, क्योंकि इन्हें बिना क्रेन न तो रखा जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है। साथ ही इन टंकियों की उम्र करीब 50 साल होती है और इन्हें खरीदे हुए अभी आठ साल ही बीते हैं।

 जरूरत के हिसाब से खरीदी

शहर में लगभग 1300 पानी की टंकियां रखी हुई हैं। जरूरत के हिसाब से टंकी खरीदी की जाती है। सीमेंट की टंकियों के बारे में मुझे जानकारी नहीं है, क्योंकि इनकी खरीदी मेरे कार्यकाल से पहले की गई थी। एआर पवार, सिटी इंजीनियर नगर निगम (जलकार्य शाखा

 

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