महिला अपराध के दोषियों को सजा दिलाने में UP देश में नंबर वन, NCRB रिपोर्ट के आधार पर दावा
लखनऊ: हाथरस कांड को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. सपा, बसपा, कांग्रस, आम आदमी पार्टी से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक यूपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने तो हाथरस कांड को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा तक मांग लिया है. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत होते हुए कह गईं कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर जाकर मठ चलाएं या अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, भाजपा चाहे तो उन्हें इसकी जिम्मेदारी सौंप सकती है.
क्या है उत्तर प्रदेश में काननू व्यवस्था की स्थिति? जानिए आंकड़ों के जरिए
अब सवाल उठता है कि क्या यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब है? क्या देश के अन्य राज्य कानून-व्यवस्था के मामले में यूपी से बेहतर स्थिति में हैं? अगर राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2019 की रिपोर्ट को आधार बनाएं तो उत्तर प्रदेश में क्राइम का ग्राफ बीते वर्षों की तुलना में घटा है. खासकर महिला अपराध के मामलों में आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई के मामले में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में शीर्ष पर है. यूपी के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से महिला अपराध के मामलों में कार्रवाई को लेकर वर्ष 2018 में भी यूपी के अव्वल रहने का दावा किया है. उनका कहना है कि अन्य संगीन अपराधों में भी कमी दर्ज की गई है.
महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में यूपी सजा दिलाने में नंबर वन
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2019 में देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज अपराधों का विश्लेषण किया गया है. वर्ष 2019 में देश में आईपीसी की धाराओं के तहत 32.25 लाख से अधिक मुकदमे पंजीकृत हुए थे, जिनमें यूपी में 3.53 लाख अपराध हुए. यह देश में पंजीकृत ऐसे मुकदमों का 10.9 फीसद है. एनसीआरबी रिपोर्ट 2019 के मुताबिक यूपी में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 15,579 आरोपितों को सजा हुई. यूपी में महिलाओं केविरुद्ध अपराध के सर्वाधिक 59,853 मामले दर्ज हुए, लेकिन आरोपियों को सजा दिलाने की दर भी 55.2 फीसद रही, जो देश में सर्वाधिक है. जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान में 5625 और मध्य प्रदेश में 4191 मामलों में आरोपितों को सजा दिलाई गई.
पॉक्सो एक्ट के मामलों उत्तर प्रदेश का देश में 23वां स्थान है
अगर 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ दुष्कर्म की बात करें तो सबसे अधिक 1314 घटनाएं राजस्थान में, 1271 घटनाएं केरल में और 561 घटनाएं आंध्र प्रदेश में दर्ज की गईं. यूपी में ऐसी 272 घटनाएं पुलिस रिकॉर्ड का हिस्सा बनीं. एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि यह पुलिस की समयबद्ध विवेचना व प्रभावी पैरवी से यह संभव हो सका है. यूपी में दुष्कर्म के करीब 3065 केस दर्ज हुए. इस मामले में राज्य देश में 26वें स्थान पर है, जबकि राजस्थान में दुष्कर्म के सबसे अधिक 5997 केस दर्ज हुए. एडीजी का कहना है कि पिछले वर्ष प्रदेश में हत्या की 3806, डकैती की 124, हत्या के प्रयास की 4596 व लूट की 2241 घटनाएं हुईं. इन सभी में अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में गिरावट दर्ज की गई है. खासकर हिंसात्मक अपराधों में यूपी का क्राइम रेट 24.6 फीसद है और उसका देश में 15वां स्थान है.
1 जनवरी से 15 सितंबर 2020 के बीच यूपी में अपराध घटे
इसी प्रकार डकैती के मामलों में यूपी का देश में 28वां स्थान, लूट में 23वां स्थान, हत्या में 28वां स्थान, हत्या के प्रयास में 28वां स्थान और पॉक्सो एक्ट के अपराधों में 23वां स्थान है. एडीजी कानून-व्यवस्था का कहना है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण से साफ है कि वर्ष 2018 की तुलना में बीते वर्ष हत्या के मामलों में 5.28 फीसद, डकैती में 13.89 फीसद, लूट में 30.36 फीसद व दुष्कर्म की घटनाओं में 22.33 फीसद की कमी दर्ज की गई है, जबकि 1 जनवरी से 15 सितंबर 2020 की अवधि के बीच राज्य के तीन वर्षों के अपराध के आंकड़ों की तुलना की जाए तो इस वर्ष डकैती में 33.7 फीसद, लूट में 41.61 फीसद, हत्या में 7 फीसद और दुष्कर्म की घटनाओं में 27.6 फीसद की कमी दर्ज की गई है. वहीं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न संबंधी कुल मामलों में करीब 12 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.