‘थानो बचाओ’ नारे के साथ पेड़ों से लिपटे सैकड़ों लोग, देहरादून एयरपोर्ट के लिए जंगल काटने का विरोध

उत्तराखंड (Uttarakhand) वन विभाग द्वारा देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (Jolly Grant Airport) के विस्तार के लिए ‘थानो स्थित जंगल से दस हजार पेड़ों की प्रस्तावित कटाई के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों ने देहरादून हवाई अड्डे (Dehradun Airport) के बाहर विरोध प्रदर्शन (Protest) किया. इस दौरान लोग ‘थानो बचाओ’ (Save Thano) के नारे लगाने के साथ पेड़ों को गले लगाते नजर आए. ‘थानो’ देहरादून का एक फॉरेस्ट एरिया है.

विरोध प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों ने बताया कि ‘किसी भी हाल में ऐसे विध्वंसकारी प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन नहीं होने देंगे, थानो जंगल अनमोल है, इसमें मौजूद हर पेड़ मायने रखता है’. मालूम हो कि उत्तराखंड वन विभाग और उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand government) ने शिवालिक ऐलिफेंट रिज़र्व की 243 एकड़ वन भूमि को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को देने का फैसला लिया है. प्रस्ताव के मुताबिक इसमें अलग-अलग प्रजातियों के कुल 9745 पेड़ काटे जाएंगे, इन पेड़ों में शीशम (2135), खैर (3405), सागौन (185), गुलमोहर (120) सहित 25 अन्य प्रजातियां शामिल हैं.

राज्य सरकार ने एयरपोर्ट का विस्तार करने के अपने फैसले का बचाव करने के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से देहरादून हवाई अड्डे की निकटता का हवाला दिया है. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि ‘उत्तराखंड चीन के साथ एक सीमा साझा करता है, रणनीतिक महत्व के लिए जॉली ग्रांट हवाई अड्डा बहुत महत्वपूर्ण हैं.

उत्तराखंड राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड ने इस साल जून में संरक्षित गंगोत्री नेशनल पार्क के भीतर 73 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी दी थी. इस क्षेत्र का उपयोग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन सड़कों के निर्माण के लिए किया जाएगा, इससे भारत-चीन सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की आवाजाही आसान हो जाएगी.

वर्तमान में, देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर रनवे 2,140 मीटर लंबा है. एएआई (AAI) ने रनवे की लंबाई को 2,140 मीटर से 2,765 मीटर तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. इस निर्माण की लागत 353 करोड़ रुपये है, इस रनवे के विस्तार के बाद से देहरादून एयरपोर्ट की क्षमता आठ गुना बढ़ जाएगी. हालांकि, पर्यावरणविदों और स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि ‘थानो रेंज में 10,000 से अधिक पेड़ों की कटाई न केवल हाथी गलियारों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि इस क्षेत्र की पर्यावरण-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है. यहां पेड़ों के कटान से वन में मौजूद हाथी, गुलदार, चीतल, सांभर व अन्य वन्य जीवों के भविष्य के लिए बड़ा खतरा पैदा होगा, यहीं नहीं हवाई अड्डे के विस्तार के लिए दी जाने वाली जमीन राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसेटिव जोन के दस किलोमीटर के दायरे में पड़ती है और इसके तीन किमी के दायरे में एलीफैंट कॉरिडोर है, इतनी भारी संख्या में पेड़ों के काटे जाने की वजह से डोईवाला क्षेत्र में मौसम में भारी बदलाव होगा.

 

पीपल फॉर एनिमल नामक एनजीओ के उत्तराखंड चैप्टर की सेक्रेटरी गौरी मौलेखी ने इस प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बताया, ‘वन और वन्यजीव ही उत्तराखंड पर्यटन और रोजगार के मुख्य स्तंभ हैं, इन्हें सुरक्षित रखना ही सरकार का मुख्य कर्तव्य होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इसके बिल्कुल उलट काम किया जा रहा है, यह प्रकृति के लिहाज से घातक होगा.’

जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के डायरेक्टर, डीके गौतम ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि ‘उत्तराखंड सरकार, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगाए गए मानदंडों के अनुसार वन आरक्षित करेगी. डीके गौतम ने कहा, ‘जहां तक ​​पेड़ों का सवाल है, किसी और जगह पर वृक्षारोपण किया जाएगा.

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